Thursday, May 2, 2024

कला-साहित्य

राष्ट्रवादी से लेकर पेरियारवादी तक हैं नर्तकी नटराज की कला के प्रेरणा स्रोत: वो ‘इंसान’ जिसने इतिहास रचा

पद्मश्री विभूषित नर्तकी नटराज नहीं चाहतीं कि उनकी कला को सहानुभूति के आधार पर सराहा जाए। उनका कहना है, “मैं आभारी हूँ कि मेरे गुण उन बाकी सभी चीज़ों के मुकाबले उभर कर निकल पाए, जिन्हें लोग गुणों के स्थान पर तलाश रहे थे।”

सबरीमाला: कहानी एक धर्मयुद्ध की

सबरीमाला में जबरदस्ती घुस कर प्रतिभा को क्या मिला? एक कहानी जिसमें आपके सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा।

सहज भाषा में पठनीय व्यंग्यबाणों से लैस है ‘गंजहों की गोष्ठी’

85 पृष्ठों की पुस्तक "गंजहों की गोष्ठी" में कुल 20 व्यंग्यबाण (लेख) हैं। हर लेख एक मनके के समान है जो अद्वितीय है

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