Monday, July 1, 2024

राजनैतिक मुद्दे

न पार्टी बची न बचा परिवार… जिसे ‘चाणक्य’ बता कर ढोल पीट रही थी मीडिया, उसका उद्धव ठाकरे से भी बुरा हाल: अब क्या...

शरद पवार को 'चाणक्य' बता कर भाजपा का मजाक उड़ाते नहीं थकने वाले अब ED/CBI का रोना रोएँगे? उनलोगों का 'चाणक्य' न पार्टी बचा पाया और न ही परिवार।

तेजस्वी के मंत्रालय में शाम तबादले सुबह स्टे, विधायकों-सांसदों से मुलाकात, शिक्षकों पर लाठियाँ, ‘फिट लालू’ के ‘दूल्हा’ राहुल… क्यों डरे हुए हैं नीतीश...

उपेंद्र कुशवाहा, दोनों लोजपा, मुकेश सहनी और जीतन राम माँझी - ये सभी नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। लालू यादव तो राहुल गाँधी को 'दूल्हा' बनाने को बेताब हैं। उद्धव ठाकरे का हश्र नीतीश को सपने में आता होगा। शिक्षकों की पिटाई के बाद थू-थू हो रही है।

सारे ब्राह्मणों को मार डाला, विश्वविद्यालय को फूँक दिया… नालंदा के 830 साल बाद फ्रांस में धू-धू कर जली लाइब्रेरी, घुसपैठियों को गले लगा...

यूरोप ने खुल कर विदेशी घुसपैठियों को गले लगाया। मोरक्को की हार के बाद फ्रांस में दंगे हुए। अब पुस्तकालय जला दिया गया है। 830 साल पहले नालंदा विश्वविद्यालय को आगे के हवाले कर दिया गया था।

प्रिय केजरीवाल जी, शायद ‘शीशमहल’ की बालकनी से नहीं दिखता हो ‘पेरिस’, पर हम दिल्ली वालों ने गड्ढे में डूबकर अजीत को मरते देखा...

चुनाव आते ही सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली को लंदन-पेरिस बनाने का ख्वाब दिखाते हैं, इसके बाद वे अपनी सुविधाओं के विस्तार में लग जाते हैं।

मौज में ‘डिजिटल जेहादी’ जुबैर, पर घर में कैद हैं नुपूर शर्मा: कन्हैया लाल और उमेश कोल्हे के हत्यारों को साल भर बाद भी...

पिछले 1 वर्ष में नूपुर शर्मा और तस्लीम रहमानी के जीवन का जो अंतर है न, वही मोहम्मद जुबैर जैसे 'डिजिटल जिहादियों' की सफलता है। कन्हैया लाल तेली और उमेश कोल्हे का गला रेता जाना और 1 वर्ष बाद भी हत्यारों को सज़ा न मिलना, यही इन 'डिजिटल जिहादियों' का उत्साहवर्धन है।

केजरीवाल से कम नहीं जंतर-मंतर वाले पहलवान: बबीता फोगाट, पीटी उषा और अब योगेश्वर दत्त, जिनके भी सुर हुए अलग उनके मेडल खोटे

बृजभूषण सिंह पर आरोप लगाने वाले पहलवान उन सबको निशाने पर ले रहे हैं, जो उनके अनुसार नहीं बोल रहे हैं या उनकी हाँ में हाँ नहीं मिला रहे हैं।

राजनीति के ‘शुक’ और ‘सारण’ भी आदिपुरुष पर बन गए रामभक्त ‘वानर’… ओम राउत और मनोज मुंतशिर की करनी पर BJP से माँग रहे...

राजनीति में ऐसे चरित्र भरे पड़े हैं जो रावण टोले के बहुरूपियों जैसे हैं। ये बहुरूपिए अब आदिपुरुष को लेकर भी बीजेपी से जवाब चाहते हैं।

क्या बिहार की सियासत के रामविलास हैं जीतनराम मांझी?

रामविलास पासवान राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाते थे। बिहार की राजनीति में जीतनराम मांझी की यात्रा भी ऐसी ही रही है।

दो मजहबी भेड़ियों के बीच फँसी लड़की की यह तस्वीर भले धुँधली है, लेकिन इसके बारे में आपकी जानकारी साफ होनी चाहिए

इस्लामपरस्त, वामपंथी, लिबरल... पूरा गिरोह डर में है। 90 के दशक में जिस कहानी पर लीपापोती कर दी गई, वह गोदी मीडिया के जमाने में गाँव-गाँव तक पहुँच रही है।

शोएब जमई मुस्लिमों का प्रतिनिधि और अधिवक्ता सुबुही खान को अपनी बात रखने का भी हक़ नहीं? लिबरल गिरोह नफरती कट्टरपंथी से जमा रहा...

शोएब जमई मुस्लिमों का प्रतिनिधि बन गया और एक मुस्लिम महिला सुबुही खान को बोलने का भी अधिकार नहीं? कन्हैया लाल के लिए कहाँ थी ये सहानुभूति?

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