पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी अरब की यात्रा के लिए विमान को अपने हवाई क्षेत्र उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया है। इस बार भारत ने अंतरराष्ट्रीय सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के समक्ष यह मुद्दा उठाया है।
"यदि बैरिकेड्स और अन्य व्यवधानों के साथ हमारे मार्ग पर बाधाएँ उत्पन्न करने का प्रयास किया गया, तो इससे टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। चाहे एक महीने के लिए ही राष्ट्रीय राजमार्गो को बंद क्यों ना कर दिया जाए, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, हम इस्लामाबाद जाएँगे।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद आतंकी सरगना बगदादी के मारे जाने की पुष्टि की है। इसके बावजूद पाकिस्तानी सीनेटर को इस पर यकीन नहीं हो रहा है। इसके कारण सोशल मीडिया में उनकी काफी किरकिरी हो रही है।
पीएम मोदी ने यूरोपियन पैनल को "आतंकवाद के प्रति कोई रहम नहीं, कोई समझौता नहीं" के भारतीय पक्ष से अवगत कराया। 28 सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय पैनल को जम्मू-कश्मीर का दौरा करवा कर यह दिखाया जाएगा कि वहाँ सब कुछ ठीक है और पाकिस्तान प्रोपेगेंडा करके भ्रम फैला रहा है।
22 अक्टूबर से इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू हो गई है। इतने पुराने मामले के गुनहगार शायद ही मिलें। लेकिन, इसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या इतने पुराने मामले दोबारा खोले जाने चाहिए?
"वह एक दहशतगर्द था, जिसने हमेशा लोगों को डराने की कोशिश की। लेकिन अपनी ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों में ख़ुद बेहद डरा और घबराया हुआ था। अमरीकी सेना ने उसका पीछा किया और मौत के मुॅंह तक पहुँचाया। वह सुरंग में गिरकर कुत्ते की मौत मरा।"
इराक के सरकारी मीडिया ने एक वीडियो
जारी किया है, इसे अमेरिकी कार्रवाई का बताया जा रहा है। एक रक्षा अधिकारी के हवाले से यह भी कहा गया है कि बगदादी ने हमले के दौरान खुद को उड़ा लिया।
“मैं आप में से एक हूँ। मेरे पूर्वज यहीं के यूपी और बिहार से थे। भारतीय संस्कृति इतनी समृद्ध है कि हमने इसे सहेज कर रखा है। फिजी का हर नागरिक मरने से पहले कम से कम एक बार भारत आने का सपना देखता है।”
27 अक्टूबर सुबह ट्रंप ने ट्वीट करते हुए किसी बड़ी घटना के होने की जानकारी देते हुए सभी को चौंका दिया। इसी दौरान खबर है कि इस्लामिक स्टेट के सरगना बगदादी के खिलाफ अमेरिका ने कार्रवाई शुरू करते हुए, उसे मार गिराया है।
"अगर आप मुझसे इलाज नहीं कराना चाहते, तो किसी अन्य डॉक्टर के पास जाएँ।" इस पर जलबानी ने कहा, "मुझे और मेरी पत्नी को दवा की फीस देने के लिए भूखा रहना पड़ा है।"