Tuesday, March 19, 2024
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2 पुरुष और 2 महिलाओं को भीड़ ने घसीटा, 60 गोलियाँ मारी: 73 साल बाद फिर से मॉब लिंचिंग की सुनवाई

इस मामले में एक बड़ी जूरी का गठन किया गया और गवाही का दौर भी 16 दिनों तक चला। लेकिन किसी पर भी आरोप तय न हो पाने की स्थिति में यह मामला अनसुलझा ही रह गया। दिसंबर 1946 को इस मामले की फाइल बंद कर दी गई।

अमेरिका के अटलांटा में 25 जुलाई, 1946 को हत्या की एक ख़ौफ़नाक वारदात को अंजाम दिया गया था, जिसे याद करके आज भी रूह काँप उठती है। कार में दो अश्वेत किसान दंपत्ति पर श्वेत लोगों के एक समूह ने हमला कर दिया था। उनके साथ लूटपाट की गई। बंदूक की नोक पर उन्हें कार से बाहर खींचा गया, फिर क़रीब 60 गोलियाँ उनके जिस्म पर दाग कर बड़ी बेरहमी से चारों की हत्या कर दी गई। सात दशक से भी ज्यादा पुरानी इस घटना की फिर से सुनवाई होने जा रही है।

मारे गए लोगों में 24 साल के रॉजर मैलकम, उनकी पत्नी डॉरोथी मैलकम, जॉर्ज डॉर्सी और उनकी पत्नी मे मुर्रे डॉर्सी शामिल थे। दरअसल जुलाई 1946 में रॉजर मैलकम का एक दूसरे किसान से झगड़ा हुआ था, आपसी बहस हाथापाई तक पहुँच गई और रॉजर ने उस व्यक्ति को चाकू मार दिया। व्यक्ति बुरी तरह घायल हुआ और रॉजर को जेल जाना पड़ा। बाद में यह मामला दो किसानों का झगड़ा ना रह कर श्वेत और अश्वेत लोगों का विवाद बन गया। बावजूद इसके एक श्वेत किसान लॉय हैरिसन ने रॉजर को छुड़वाया और इसके लिए उस समय 600 डॉलर का जुर्माना भी भरा।

लॉय हैरिसन ही चारों लोगों को गाड़ी में ले जा रहे थे जब भीड़ ने गाड़ी को घेरा। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान लॉय को कोई चोट नहीं आई। बाद में लॉय ने एफबीआई से कहा कि वह भीड़ में किसी को भी नहीं पहचानता था। एफबीआई के रिकॉर्ड के अनुसार, लॉय अमेरिका के नस्ली संगठन केकेके (कू क्लक्स क्लेन्समैन) का सदस्य था और ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों में शामिल रहा था। हालाँकि इस मामले में एफबीआई के पास लॉय के ख़िलाफ़ कोई सुबूत नहीं था।

इस मामले को मूर की फोर्ड लिंचिंग के रूप में जाना जाता है। अमेरिका के इतिहास  में इस मॉब लिंचिग के मामले को बड़े स्तर पर हुई घटना के रूप में याद किया जाता है। इस घटना के बाद जनता में भारी आक्रोश के चलते राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन को इस मामले के लिए संघीय जाँच का आदेश देना पड़ा। इसके बाद यह यह मामला नागरिक अधिकारों के आंदोलन के रूप में उभर कर सामने आया।

इस मामले के लिए एक बड़ी जूरी का गठन किया गया और गवाही का दौर भी 16 दिनों तक चला, लेकिन किसी पर भी आरोप तय न हो पाने की स्थिति में यह मामला अनसुलझा ही रह गया। दिसंबर 1946 को इस मामले की फाइल बंद कर दी गई। अदालत को कोई भी दोषी नहीं मिला था, तब से ले कर अब तक इस फाइल को कई बार खोला और बंद किया जा चुका है। शोधकर्ताओं से लेकर एक्टिविस्ट तक सबकी इसमें रुचि रही है। इतिहासकार एंथनी पिच ने इन हत्याओं पर “द लास्ट लिंचिंग: हाउ अ ग्रूसम मास मर्डर रॉक्ड अ स्मॉल जॉर्जियन टाउन” नाम से किताब भी लिखी है।

पिच के अनुरोध पर 2017 में एक निचली अदालत ने इस मामले की फाइल खोलने का आदेश दिया। लेकिन, अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने इसके ख़िलाफ़ अपील की। मंत्रालय का कहना था कि अदालत के फ़ैसले सुरक्षित रखे जाते हैं। अमेरिका में अदालत में मामलों की सुनवाई किसी एक जज के सामने नहीं, बल्कि जूरी के सामने होती है और इसमें नागरिक भी शामिल होते हैं। जूरी सदस्यों के फ़ैसलों को गुप्त रखा जाता है। सभी सदस्य आपस में मिल कर जो फ़ैसला लेते हैं, केवल उसे ही सार्वजनिक किया जाता है।

इस साल फ़रवरी में अपील कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने निचली अदालत के फ़ैसले को क़ायम रखने का निर्णय लिया, यानी पुरानी फाइल को खोलने की अनुमति मिल गई। पर साथ ही यह भी कहा कि पूरे मामले की सुनावाई एक बार फिर होगी। इससे 70 वर्ष से अधिक समय हो जाने के बाद इस मामले एक नया मोड़ आया है, इसके मुताबिक़ केस से जुड़े गवाह सार्वजनिक रूप से सामने आ सकते हैं। 22 अक्टूबर से इस मामले की सुनवाई एक बार फिर से शुरू हो गई है। इतने पुराने मामले के गुनहगार शायद ही मिलें। लेकिन, इसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या इतने पुराने मामले दोबारा खोले जाने चाहिए?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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