Saturday, July 27, 2024
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‘…उन्हें भी माओवादी बता देंगे’ – ₹430 करोड़ की लूट को जायज बता रहा रवीश, जबकि पकड़ाया वामपंथी

इसे वामपंथी प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश ऐसे डिफेंड कर रहे हैं, जैसे हर गरीब को आर्थिक दबाव में आ कर फ़ैक्टरियाँ लूट लेनी चाहिए।

शनिवार सुबह-सुबह विस्ट्रॉन के iPhone मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में हुई हिंसा के संबंध में वामपंथी संगठन ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (SFI) के एक स्थानीय अध्यक्ष को गिरफ्तार किया गया। कॉमरेड श्रीकांत कोलार में एसएफआई का अध्यक्ष है। भाजपा सांसद एस मुनीस्वामी द्वारा दावा किया गया था कि हिंसा के पीछे एसएफआई का हाथ था। कॉमरेड श्रीकांत कोलार हिंसा भड़काने के लिए बाहर से लोग लेकर प्लांट में घुसा था।

वहीं, वामपंथी प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश कुमार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने एक प्रकार का ‘कवितामयी कथानक’ पेश करते हुए इन दंगों और हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश की है।

रवीश ने अपने वीडियो में दावा किया कि आईफ़ोन निर्माता कम्पनी विस्ट्रोन में की गई तोड़फोड़ वहाँ काम कर रहे कर्मचारियों द्वारा सैलरी न मिलने के कारण की गई थी। इस वीडियो में रवीश कह रहे हैं,

“ये कंपनी ताइवान की है जहाँ दस हजार से ज्यादा लोगों को सैलरी नहीं दी जा रही या फिर कम कर दी गई। शनिवार को इन कर्मचारियों ने प्लांट के भीतर हंगामा कर दिया। इस कम्पनी ने दावा किया है कि साढ़े चार सौ करोड़ का नुकसान हुआ है। आर्थिक दबाव लोगों की जिन्दगी में किस कदर घुस आया है कि वो अब प्लांट के भीतर हिंसा करने पर उतारू हैं। उनके बारे में बात नहीं की जा रही न वो चर्चा के केंद्र में आ रहे हैं, जिस दिन आ जाएँगे, लोग उसे दिन उन्हें भी कहेंगे कि ये माओवादी हैं और ये टुकड़े-टुकड़े गैंग के हैं।”

मजेदार बात यह है कि रवीश ने इस हिंसा को सिर्फ जायज नहीं ठहराया बल्कि तंज करते हुए यह भी कहा कि इस हिंसा के पीछे शामिल लोगों को माओवादी या टुकड़े-टुकड़े गैंग का बता दिया जाएगा।

अब जब वामपंथी संगठन के नेता कॉमरेड श्रीकांत का नाम इस हिंसा के पीछे सामने आया है, तो क्या रवीश कुमार यह बात दोहरा पाएँगे? यह भी बड़ा सवाल है कि रवीश कुमार इसी तरह से हर हिंसा को कविता गा-गाकर जायज ठरना चाहते हैं?

उल्लेखनीय है कि भारत में विदेशी निवेश से डरने वाली कंपनियों के लिए कानून व्यवस्था एक बहुत बड़ा मुद्दा होती है। ऐसे में, एक भाजपा शासित प्रदेश में, जब कथित तौर पर वामपंथी संगठन वाले नेता बाहर से गुंडों को ला कर तोड़-फोड़ करते हैं, और ठीकरा ‘कर्मचारियों’ के सर फोड़ा जाता है, तब कम्पनियाँ यहाँ निवेश करने से हिचकती हैं।

इसे वामपंथी प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश ऐसे डिफेंड कर रहे हैं, जैसे हर गरीब को आर्थिक दबाव में आ कर फ़ैक्टरियाँ लूट लेनी चाहिए। अगर एक तरफ हिंसा और लूट होती रही, और दूसरी तरफ रवीश जैसे लोग बकैती करते हुए उसे जायज ठहराते रहें, तो बाहरी कंपनी किसी और भाजपा शासित राज्य (जैसे कि उत्तर प्रदेश) में निवेश करना चाहे, तो उसके लिए ऐसा एक वीडियो काफी है कि भाजपा वाले तो फ़ैक्टरियाँ लुटवा देते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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