Sunday, April 28, 2024
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क्या गुजरात सरकार ने इस नवरात्रि में गरबा खेलने पर लगाया GST? कॉन्ग्रेस और ‘आप’ के दावों की जानें सच्चाई

गुजरात के शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता जीतू वघानी ने प्रोपगेेंडा फैलाकर राज्य सरकार की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए विपक्षी दलों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, "व्यावसायिक गरबा कार्यक्रमों सहित किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रवेश पास पर जीएसटी 2017 से लागू है और इसे कॉन्ग्रेस द्वारा शासित राज्यों सहित सभी राज्यों द्वारा अनुमोदित किया गया है।"

विपक्षी कॉन्ग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (AAP) ने गुजरात (Gujarat) के वडोदरा, सूरत और वलसाड जैसे शहरों में भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। वे 18% जीएसटी को वापस लेने की माँग कर रहे हैं। उनका दावा है कि राज्य सरकार ने नौ दिवसीय नवरात्रि में राज्य में आयोजित होने वाले गरबा कार्यक्रमों के प्रवेश पास पर ‘इस साल’ GST लगाया है।

वास्तव में इस साल के गरबा पर राज्य सरकार द्वारा पेश किया गया कोई भी ‘नया’ जीएसटी नहीं देखा गया है। किसी भी व्यावसायिक आयोजन के लिए 500 रुपए से अधिक कीमत वाले टिकटों पर हमेशा जीएसटी लागू किया गया है। दरअसल, जीएसटी लागू होने से पहले सर्विस टैक्स और वैट लागू करने की प्रथा थी। इसकी पुष्टि किए बिना कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर गरबा कर रहे हैं।

कॉन्ग्रेस के कथित वरिष्ठ नेता अमित चावड़ा के अनुसार, “गुजरात के लोग बहुत गुस्से में हैं। बीजेपी ने हिंदुओं के आशीर्वाद से सरकार बनाई है और अब सरकार गरबा पर टैक्स लगाकर पैसा कमाना चाहती है, जो एक हिंदू परंपरा है और गुजरात की पहचान और गौरव है। बीजेपी गरबा पर टैक्स लगाकर गुजरात की पहचान को खत्म करना चाहती है।”

आम आदमी पार्टी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर माँग की है कि गरबा पर लगे जीएसटी को हटाया जाए, क्योंकि यह आस्था का अपमान है। प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने कहा कि गरबा गुजरात की परंपरा है, संस्कृति है और करोड़ों लोगों की आस्था गरबा से जुड़ी है। गुजरात गरबा को देवी का आशीर्वाद के रूप में मनाता है, लेकिन बीजेपी सरकार ने इस पर भी 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया है।

कॉन्ग्रेस शासित राज्यों समेत सभी राज्यों में 2017 से है टैक्स: BJP का पलटवार

गुजरात के शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता जीतू वघानी ने प्रोपगेेंडा फैलाकर राज्य सरकार की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए विपक्षी दलों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, “व्यावसायिक गरबा कार्यक्रमों सहित किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रवेश पास पर जीएसटी 2017 से लागू है और कॉन्ग्रेस द्वारा शासित राज्यों सहित सभी राज्यों द्वारा अनुमोदित किया गया है।”

उन्होंने कहा, “विपक्ष की दिलचस्पी सिर्फ लोगों को भड़काने में है। यह विरोध राजनीति से प्रेरित है, क्योंकि 2017 से विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर जीएसटी है। केंद्र ने 2017 में इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी और हर राज्य ने इस तरह के कर पर सहमति व्यक्त की थी।”

उन्होंने आगे कहा, “यह अधिसूचना प्रत्येक राज्य की सहमति से जारी की गई थी। उसके बाद कॉन्ग्रेस शासित राज्यों समेत देश में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। यह जीएसटी प्रवेश शुल्क पर है। यह नया नहीं है। आवासीय समितियों द्वारा आयोजित गैर-व्यावसायिक गरबा कार्यक्रमों पर कोई टैक्स नहीं है।”

देश गुजरात के अनुसार, एक गुजराती दैनिक द्वारा पहली बार इस झूठी सूचना को प्रसारित करने के बाद गरबा प्रवेश पास पर जीएसटी लगाने का मुद्दे जोर पकड़ा। हालाँकि, विपक्षी दलों ने इस तथ्य को जाँचने की कोशिश नहीं की।

देश गुजरात

इसके बाद मेगा गरबा कार्यक्रमों के आयोजन के लिए लोकप्रिय वडोदरा स्थित एनजीओ यूनाइटेड वे ऑफ बड़ौदा ने अपनी वेबसाइट पर लागू जीएसटी दरों का उल्लेख किया। वेबसाइट के अनुसार, पुरुषों के लिए नौ दिन के पास की कीमत 4,838 रुपए होगी। इसमें 4,100 रुपए का प्रवेश शुल्क और 738 रुपए का 18 प्रतिशत जीएसटी शामिल है। वहीं, महिलाओं के लिए प्रवेश शुल्क 1,298 रुपए है, जिसमें 1,100 रुपए प्रवेश शुल्क और 198 रुपए जीएसटी है।

क्या है गरबा पर जीएसटी लागू होने के पीछे की सच्चाई?

सच्चाई ये है कि राज्य सरकार ने गरबा या ऐसे किसी आयोजन पर कोई नया जीएसटी नहीं लगाया है। जीएसटी के लागू होने से पहले से ही ऐसे आयोजनों के प्रवेश पास पर सेवा कर 15% की दर से लगाया जाता था। इसके लिए शर्त ये थी कि प्रति व्यक्ति टिकट की कीमत 500 रुपए से अधिक होनी चाहिए। सेवा कर के अलावा, इस तरह के आयोजन के लिए इस्तेमाल किए गए सामानों पर भी वैट लगाया जाता था।

ध्यान देने वाली बात ये है कि सरकार की ‘एक राष्ट्र, एक कर’ नीति के तहत जब 1 जुलाई 2017 को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू हुआ तो इसमें 17 बड़े कर और केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए 13 उपकर जैसे वैट, चुंगी, लग्जरी टैक्स, परचेज टैक्स तथा सेंट्रल टैक्स जैसे कस्टम ड्यूटी, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स शामिल हो गए।

गरबा या ऐसे किसी भी आयोजन के लिए प्रवेश टिकट पर 18% जीएसटी, यदि प्रवेश की कीमत प्रति व्यक्ति 500 ​​रुपये से अधिक है, 1 जनवरी 2018 से लागू है। उसके बाद से जस की तस बनी हुई है। (अधिसूचना संख्या 12/2017-सीटी (आर) दिनांक 28.06.2017, क्रमांक 81)।

बता दें कि जीएसटी केवल उन टिकटों पर लगाया जाता है, जिनकी कीमत पार्टी स्थलों, क्लबों और स्टेडियमों में आयोजित पेशेवर गरबा कार्यक्रमों के लिए 500 रुपये से अधिक है। गरबा आयोजित करने वाली और 500 से कम की टिकट जारी करने वाली आवासीय समितियों पर कर नहीं लगता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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