Wednesday, April 24, 2024
Homeदेश-समाजकश्मीर पर पकिस्तान की पैंतरेबाज़ी और दोहरे रवैये का नया चेहरा हैं प्रधानमंत्री इमरान...

कश्मीर पर पकिस्तान की पैंतरेबाज़ी और दोहरे रवैये का नया चेहरा हैं प्रधानमंत्री इमरान खान

इमरान खान को यह साफ़ करना चाहिए कि कश्मीर को लेकर हर मामले में उनके देश का स्टैंड बदलता क्यों रहता है। और ऐसे में कोई भी अमन और शांति चाहने वाला देश उनपर भरोसा क्यों करे?

पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों का बचाव करते हुए भारतीय सेना के खिलाफ जहर उगला है। गौरतलब है कि हाल ही में कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया है। इस मुठभेड़ में सात पत्थरबाज़ भी ज़ख़्मी हो गए जिन्हें बाद में अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। मारे गए आतंकियों में सेना की नौकरी छोड़कर आतंकी बना जहूर ठोकर भी शामिल था। इस घटना पर ट्वीट करते हुए इमरान खान ने कहा:

“मै भारत के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा कश्मीरी नागरिकों के मारे जाने की कड़ी निंदा करते हूँ। हिंसा और हत्याएं नहीं बल्कि केवल संवाद द्वारा ही इस संघर्ष का हल निकाला जा सकता है। हम भारतीय कब्जे वाले कश्मीर में भारत द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के विषय को उठाएंगे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् से मांग करेंगे कि वह कश्मीर को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करे।”

सबसे पहले ये जान लेना जरूरी है कि ऐसा उन्होंने कश्मीरी आतंकियों और पत्थरबाजों का बचाव करते हुए कहा है। मुठभेड़ में मारा गया जहूर अहमद एक कुख्यात आतंकी था जिसकी कई दिनों से पुलिस तालाश कर रही थी। इस साल कश्मीर में 230 से भी ज्यादा आतंकी मारे गये हैं, ऐसे में पकिस्तान की बौखलाहट का कारण समझा जा सकता है।

यहाँ सबसे पहले पाक पीएम इमरान खान के सुरक्षा परिषद के कश्मीर रिजोल्यूशन को लेकर कही गई बात की पड़ताल करते हैं। उपर्युक्त ट्वीट से आफ है कि इमरान खान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से ये अपेक्षा रखते हैं कि वह कश्मीर को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पूरी करे। लेकिन यहाँ पर वो ये भूल जाते है कि अप्रैल 1948 में सुरक्षा परिषद् द्वारा कश्मीर समस्या को लेकर स्वीकृत किये गए प्रस्ताव 47 में क्या कहा गया था। इस प्रस्ताव में कश्मीर समस्या के समाधान की प्रक्रिया को तीन प्रमुख चरणों में बांटा गया है। इसके पहले चरण में ये साफ़-साफ़ कहा गया है कि सबसे पहले पाकिस्तान कश्मीर में अपनी किसी भी प्रकार की उपस्थिति को ख़तम करे। ऐसे में इमरान खान का ये बयान विरोधाभास भरा प्रतीत होता है क्योंकि जिस सुरक्षा परिसद को वो कश्मीर को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने को कह रहे हैं, असल में उसी सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर अमल करने में वो नाकाम रहे हैं।

इस प्रस्ताव में सुझाई गई प्रक्रिया का दूसरा चरण है भारत द्वारा धीरे-धीरे कश्मीर में तैनात अपने सेना के जवानों की संख्या में कमी लाना। लेकिन ये तभी संभव है जब पकिस्तान पहले चरण पर पूरी तरह अमल करे और सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकियों की संख्या में कमी आये। बता दें कि पाकिस्तान ने कश्मीर के एक बड़े भाग पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है जिसे वहां “आज़ाद कश्मीर” बुलाया जाता है।

अब इतिहास की बात करते हैं क्योंकि पकिस्तान आज जिस सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को अमल में लाने की बात बार-बार कर रहा है, असल में उसने इस प्रस्ताव को 1948 में अस्वीकार कर दिया था। ये इस बात को दिखाता है कि पकिस्तान अपने ही स्टैंड पर कायम रहने में विफल रहा है और कश्मीर पर समय के हिसाब से पैंतरा बदलने में उसने महारत हासिल कर ली है। ये उस देश की अविश्वसनीयता को दिखाता है जो कभी अपने द्वारा ही पूरी तरह अस्वीकार कर दिए गए प्रस्ताव की आज रट लगाये हुए है। और ये भी जानने वाली बात है कि भारत ने उस समय इस प्रस्ताव को स्वीकार किया था क्योंकि वह भारत ही था जिसने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाया था, इस आशा में कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा सुझाये गए समाधान पर काम किया जाए जिस से घाटी में अमन-चैन बहाल हो। लेकिन पकिस्तान की पैंतरेबाजी के कारण ये निर्णय भारत को ही भारी पड़ गया।

सुरक्षा परिषद से कश्मीर को लेकर उसकी प्रतिबद्धता याद दिलाने वाले इमरान खान से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या वह सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 पर अमल करने को तैयार हैं? क्या वो कश्मीर से सभी पाकिस्तानी नागरिकों को हटाने तो तैयार है? और अगर आज वो जिस सुरक्षा परिषद की दुहाई दे रहे हैं, उसके प्रस्ताव को उनके देश ने 1948  में अस्वीकार क्यों कर दिया था? अगर पकिस्तान का कश्मीर को लेकर आज का स्टैंड सही है तो क्या इमरान खान यह मानने को तैयार हैं कि उनके पूर्ववर्तियों  ने पकिस्तान को लेकर सही नीति नहीं अपनाई?

इसके अलावे पकिस्तान समय-समय पर कश्मीर में जनमत-संग्रह कराने की भी मांग करता रहा है लेकिन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर इस बारे में विस्तृत विवरण दिया गया है जो पकिस्तान की दुहरी नीति को पूरी तरह से बेनकाब करता है। इसमें ये बताया गया है कि असल में वो भारत ही था जिसने कश्मीर को लेकर सबसे पहले जनमत-संग्रह कराने की बात की थी। भारत ने 1947, 48 और 1951 में कई बार अपने इस स्टैंड को साफ़ किया था। लेकिन पकिस्तान बार-बार जनमत-संग्रह की बात पर मुकरता रहा। रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि इस बात के कई सबूत हैं कि पकिस्तान ने वो हर-संभव कोशिश की जिस से कश्मीर में जनमत-संग्रह टल सके।

अब उसी पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान घाटी में जनमत-संग्रह कराने की मांग करते हैं। ये फिर से पकिस्तान की पैंतरेबाजी को बेनकाब करता है। इमरान खान को यह साफ़ करना चाहिए कि कश्मीर को लेकर हर मामले में उनके देश का स्टैंड बदलता क्यों रहता है। और ऐसे में कोई भी अमन और शांति चाहने वाला देश उनपर भरोसा क्यों करे?

वैसे ये पहली बार नहीं है जब इमरान खान ने इस तरह की गलतबयानी की हो। इस से पहले वह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर व्यक्तिगत टिपण्णी करते हुए उन्हें”छोटा आदमी” तक बता चुके हैं।

इसके लगभग एक महीने बाद उन्होंने फिर से भारतीय सेना के खिलाफ जहर उगलते हुए जनमत-संग्रह और सुरक्षा परिषद प्रस्ताव का राग अलापा था और मारे गए आतंकवादियों को “निर्दोष कश्मीरी नागरिक” बताया था।

बता दें कि पकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को तालिबान से सहानुभूति रखने और तालिबानी आतंकियों की बार-बार पैरवी करने के कारण “तालिबान खान” भी कहा जाता रहा है। कश्मीरी आतंकियों के साथ साथ वह अमेरिका के ड्रोन हमले में मारे जाने वाले तालिबानी आतंकियों के बचाव में भी अक्सर बयान देते रहे हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘नरेंद्र मोदी ने गुजरात CM रहते मुस्लिमों को OBC सूची में जोड़ा’: आधा-अधूरा वीडियो शेयर कर झूठ फैला रहे कॉन्ग्रेसी हैंडल्स, सच सहन नहीं...

कॉन्ग्रेस के शासनकाल में ही कलाल मुस्लिमों को OBC का दर्जा दे दिया गया था, लेकिन इसी जाति के हिन्दुओं को इस सूची में स्थान पाने के लिए नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने तक का इंतज़ार करना पड़ा।

‘खुद को भगवान राम से भी बड़ा समझती है कॉन्ग्रेस, उसके राज में बढ़ी माओवादी हिंसा’: छत्तीसगढ़ के महासमुंद और जांजगीर-चांपा में बोले PM...

PM नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस खुद को भगवान राम से भी बड़ा मानती है। उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा सरकार है, तब तक आपके हक का पैसा सीधे आपके खाते में पहुँचता रहेगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe