उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित काँठ थाना क्षेत्र में एक घटना को लेकर बड़ा दावा किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इसकी अगुआई विदेशी मीडिया कर रहा है। ‘टेलीग्राफ यूके’ में प्रकाशित एक खबर में दावा किया गया है कि यूपी पुलिस ने ‘लव जिहाद’ के आरोप में एक महिला को ‘हिरासत में लिया’, जिसके बाद उसका जबरन गर्भपात करा दिया गया। इस तथाकथित ‘घटना’ के लिए यूपी पुलिस और सीएम योगी को निशाने पर लिया जा रहा है।
कॉन्ग्रेस नेता श्रीवत्स ने भी टेलीग्राफ की इस खबर को शेयर करते हुए दावा किया कि यूपी में ‘ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद)’ के खिलाफ बने नए कानून के तहत हिरासत में ली गई महिला का यूपी पुलिस की कस्टडी में ही गर्भपात हो गया। इसमें महिला के परिवार के हवाले से यहाँ तक दावा किया गया है कि महिला को जबरदस्ती एक इंजेक्शन दिया गया, ताकि उसका गर्भ गिराया जा सके। श्रीवत्स ने दावा किया कि जिस खबर को ‘Modia’ ने नज़रअंदाज़ किया, उसे विदेशी मीडिया ने रिपोर्ट किया।
उन्होंने इसे फासिज्म भी करार दिया। टेलीग्राफ ने अपनी हेडिंग में ही न सिर्फ यूपी में महिलाओं को बचाने के लिए लाए गए इस कानून को ‘विवादित’ बता दिया, बल्कि ये भी दावा किया कि महिला का जबरन गर्भपात कराया गया। साथ ही लिखा गया कि मुस्लिमों के बीच भारत में ‘डर का माहौल’ है, क्योंकि ‘हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार’ उन्हें निशाना बना रही है। इस खबर को मीडिया संस्थान के इंडिया कॉरेस्पोंडेंट जो वैलन ने रिपोर्ट किया।
The first woman detained under UP’s ‘Love Jihad’ laws had a miscarriage in police custody.
— Srivatsa (@srivatsayb) December 13, 2020
Her family has alleged that she was given an injection against her will to abort the baby.
Our Modia ignored it. UK Media had to report it.
THIS ISN’T FASCISM?https://t.co/aAi0ESrj2H
इसी तरह ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने भी इस खबर को इसी प्रकार से पेश किया। इसमें महिला के सास के हवाले से बताया गया कि मुरादाबाद के शेल्टर होम में महिला का गर्भपात हुआ। महिला का नाम मुस्कान जहाँ (निकाह से पहले हिन्दू थी और नाम पिंकी था) बताया गया है। उसने मुस्लिम युवक से निकाह के बाद इस्लाम अपना लिया था। असल में उसके सास ने भी बयान दिया है कि ‘ऐसा हो सकता है कि उसे एबॉर्शन के लिए इंजेक्ट किया जाए।’
मुस्कान और राशिद देहरादून में एक-दूसरे से मिले थे। दोनों 6 दिसंबर को अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने पहुँचे थे। हालाँकि, इस मामले में ‘लव जिहाद’ के भी आरोप लगे, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। मामला कोर्ट में जाने के कारण महिला को ‘नारी निकेतन’ में सुरक्षित रखा गया। फिर गर्भपात वाली खबर फैली। हालाँकि, इस खबर की सच्चाई कुछ और ही है। आइए, देखते हैं क्या है सच्चाई।
ऑपइंडिया ने जब काँठ थाना क्षेत्र के प्रभारी निरीक्षक अजय गौतम से संपर्क किया, तो उन्होंने इसे ‘फेक न्यूज़’ करार दिया। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की रिपोर्ट भी इस बात को नकारती है। उन्होंने कहा कि महिला तो पुलिस कस्टडी में है ही नहीं, वो तो ‘नारी निकेतन’ में है। सोमवार (दिसंबर 14, 2020) को महिला का बयान भी रिकॉर्ड किया जाएगा। उन्होंने गर्भपात वाली खबर को पूरी तरह अफवाह बताया।
जैसे ही ये अफवाह फैली, उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर विशेष गुप्ता ने आदेश दिया कि महिला का मेडिकल परीक्षण कराया जाए। मेडिकल रिपोर्ट आई तो पता चला कि महिला 3 महीने की गर्भवती है। यह मामला हिन्दूवादी कार्यकर्ताओं की वजह से जबरदस्ती नहीं दर्ज किया गया (जैसा कि HT की खबर में दावा किया गया है), बल्कि महिला की माँ व परिजनों ने ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
असल में ये अफवाह इसीलिए फैलाई गई क्योंकि महिला ने पेट में दर्द की शिकायत की थी, जिसके बाद त्वरित इलाज के लिए उसे शुक्रवार को तुरंत जिला अस्पताल लाया गया था। रविवार की सुबह में उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। इसी बीच अफवाहों के कारण उसकी मेडिकल जाँच भी हुई। शुक्रवार को दोपहर 11 बजे और फिर 2 बजे, दो बार उसे अस्पताल ले जाया गया। बयान दर्ज करने के बाद वो जहाँ मन वहाँ जा सकेगी।
‘दैनिक जागरण’ की खबर के अनुसार, 22 वर्षीय युवती ने अपने परिजनों के साथ घर जाने से इनकार कर दिया था, इसीलिए उसे ‘नारी निकेतन’ में भेजा गया था। आरोपित और उसके भाई को जेल भेजा गया। अफवाह उड़ने के बाद खुद DPO राजेश गुप्ता ने अपनी निगरानी में मेडिकल परीक्षण कराया। जिला अस्पताल में महिला का अल्ट्रासाउन्ड भी हुआ। चिकित्सकों ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके हवाले से आयोग के अध्यक्ष ने पुष्टि की कि महिला का गर्भ पूर्णरूपेण सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम करने के लिए ये साजिश रची गई हो। राज्य सरकार को वो इससे सम्बंधित जानकारी व रिपोर्ट जल्द ही सौंपेंगे। उनकी बात सत्य है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इसी तरह की खबरों के हवाले से किसी भी सरकार को बदनाम किया जाता है। यूपी में योगी आदित्यनाथ के भाजपा नेता होने और मठाधीश होने की वजह से मीडिया का गिरोह उनके खिलाफ लगातार साजिश रचने में लगा रहता है।
नवंबर 28, 2020 को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद)’ के खिलाफ बने विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 पर हस्ताक्षर कर इसे मंजूरी दी। इसके बाद ये प्रदेश में औपचारिक रूप से लागू हो गया है। राज्यपाल ने शनिवार (नवंबर 28, 2020) को इसकी मंजूरी दी। राज्यपाल की अनुमति मिलते ही ये अपराध गैर-जमानती हो गया है और इसे 6 महीनों के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा।