Friday, November 8, 2024
Homeफ़ैक्ट चेकमीडिया फ़ैक्ट चेक'₹500 देकर हमें वोट देने से रोका गया': पुराना वीडियो शेयर कर 'जनसत्ता' के...

‘₹500 देकर हमें वोट देने से रोका गया’: पुराना वीडियो शेयर कर ‘जनसत्ता’ के पूर्व संपादक ने फैलाया झूठ, पोल खुलने पर भी नहीं किया डिलीट

4 मार्च को जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी ने अपने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर की। इस वीडियो में दावा था कि भाजपा प्रत्याशी लोगों को वोट देने से रोक रहे हैं और पैसे देकर उंगली पर स्याही लगा रहे हैं। इसी वीडियो को लेकर चंदौली पुलिस ने बयान जारी किया और बताया कि जो वीडियो 2022 में चुनाव के वक्त शेयर हुई, वो असल में 2019 की है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बीच योगी सरकार की छवि धूमिल करने के लिए रोज सोशल मीडिया पर अलग-अलग हथकंडे आजमाए जा रहे हैं। इसी क्रम में जनसत्ता के पूर्व संपादक व लेखक ओम थानवी ने भी ट्विटर पर वीडियो डालकर भारतीय लोकतंत्र पर तंज कसा है, जिसकी पोल चंदौली पुलिस ने खोली।

वीडियो में दिखता है कि एक शख्स कुछ लोगों के साथ इकट्ठा होकर आरोप लगा रहा है कि भाजपा के कुछ लोग उन्हें जबरन स्याही लगाकर, पैसे देकर वोट देने से मना कर रहे हैं। वीडियो में युवक को स्पष्ट तौर पर भारतीय जनता पार्टी का नाम लेते भी सुना जा सकता है। इसके बाद इसी वीडियो में एक अन्य शख्स बताता है कि बीजेपी प्रत्याशी महेंद्र द्वारा लोगों को पैसे बाँटे जा रहे हैं, उन लोगों की उंगलियों पर निशान लगाया जा रहा है और वोट देने से उन्हें रोका जा रहा है। ऐसी घटना कई जगहों से सामने आई है। इसलिए वो ऐसे लोगों के साथ धरने पर बैठे हैं जिनकी उंगलियों पर जबरन इंक लगाया गया और वोट देने से रोका गया। वीडियो में एक महिला ने भी आरोप लगाया कि उनके हाथ में भी जबरन स्याही लगाई गई और 500 रुपए देकर कहा गया कि वो वोट देने न जाएँ।

इसी वीडियो को ओम थानवी ने अपने ट्वीट पर 4 मार्च को 8:30 बजे शेयर किया और इस पर लिखा- ‘दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र।’ इसके बाद इसी वीडियो के मद्देनजर यूपी पुलिस फैक्ट चेक टीम का ट्वीट आया। इस ट्वीट में उन्होंने बताया प्रकरण लोकसभा चुनाव 2019 से संबंधित है जिसमें तत्समय आवश्यक विधिक कार्यवाही की जा चुकी है। चंदौली पुलिस  द्वारा इस भ्रामक पोस्ट का खंडन किया गया है। कृपया बिना सत्यापन के भ्रामक पोस्ट कर अफवाह न फैलाएँ। पुलिस ने इकोनॉमिक टाइम्स की खबर का लिंक भी शेयर किया। देख सकते हैं कि ये खबर 19 मई 2019 को पब्लिश हुई थी।

बता दें कि ओम थानवी द्वारा शेयर वीडियो के पुरानी होने की पुष्टि के बाद लोग अब बेवजह अफवाह उड़ाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की माँग कर रहे हैं। यूजर्स की माँग है कि इस मामले में कार्रवाई हो क्योंकि हजारों की संख्या के बीच भ्रामकता फैलाई गई है। दिलचस्प बात ये है कि यूपी पुलिस द्वारा फैक्ट चेक किए जाने के बाद और सैंकड़ों लोगों की आलोचना के बाद भी ये वीडियो ओम थानवी द्वारा डिलीट नहीं किया गया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

रवीश जी मुरझा नहीं गया है मिडिल क्लास, पर आपका जो सूजा है उसका दर्द खूब पहचानता है मिडिल क्लास: अब आपके कूथने से...

रवीश कुमार के हिसाब से देश में हो रही हर समस्या के लिए हिंदू इसलिए जिम्मेदार है क्योंकि वो खुद को हिंदू मानता है।

अब ‘डिग्री’ वाले मौलवी नहीं होंगे पैदा, पर बच्चों को आधुनिक शिक्षा से दूर रखना कितना जायज: क्या मदरसा एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के...

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च शिक्षा से संबंधित फाजिल और कामिल पर मदरसा अधिनियम के प्रावधान असंवैधानिक हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -