मम्मी कसम खाकर मारक मजा देने की गेरेंटी देने वाला कथित समाचार पोर्टल ‘दी लल्लनटॉप’ हर आए दिन पत्रकारिता में नए कीर्तिमान रचते हुए नजर आता है। हिटलर के लिंग की नाप-छाप का ब्यौरा 21वीं सदी में देने वाला यह खोजी पत्रकारों का गिरोह आज तब चर्चा में आ गया जब इसने ‘Faking news’ नामक प्रैंक वेबसाइट की एक खबर का फैक्ट चेक कर डाला। जब सम्पादकीय नीतियों में खुला ध्येय वाक्य ‘बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा’ जैसी टैगलाइन हो, तो इस तरह के प्रोपेगैंडा बनाकर बेचना सामान्य-सी बात नजर आती है।
सामान्य से भी निम्न श्रेणी मानसिक क्षमता का व्यक्ति भी शायद ही कोई ऐसा होगा जो Faking News की वेबसाइट पर खुद जाकर, उस पर प्रकाशित खबर को खुद ही फेक (फर्जी) घोषित कर के, खुद ही उसका फैक्ट चेक कर लोगों के बीच लाकर उसे सनसनी बना सके। लेकिन सम्पादक के अंतिम निर्णय को भी इस मामले में नजरअंदाज करना मुश्किल है।
हेडलाइन में ‘यादव’ होना तो नहीं है वजह?
दी लल्लनटॉप ने Faking News की खबर को फैक्ट चेक यानी, उसकी सच्चाई लोगों के सामने लाने का ‘प्रयास’ किया है। इसमें लिखा गया है, “मोदीजी के इशारे पर हो रही है IPL में यादव बॉलरों की पिटाई!” – अखिलेश यादव।”
सामान्य-सी बात है कि सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस खबर को हास्य के लिए व्हाट्सएप्प, फेसबुक से लेकर ग्रुप और आपस में शेयर किया। लेकिन दी लल्लनटॉप ने इसमें जातिगत नजरिया तलाश कर फ़ौरन लपक लिया और इसके सम्पादक ने आम चुनावों के बीच में इस खबर को प्रकाशित करने का निर्णय लिया। इंडिया टुडे समूह के इस समाचार वेबसाइट ने अपने पाठकों को मारक मजा देने की मम्मी कसम खाई है। हो सकता है, इसी कारण अपने दैनिक ‘कट्टर पाठकों’ की सोचने की क्षमता को भाँपते हुए ही उन्होंने इस रिपोर्ट समझाने का एक प्रयास किया हो।
ये भी याद दिला दें कि इसी मीडिया गिरोह ने विगत वर्ष होली के त्यौहार पर लड़कों द्वारा कंडोम में वीर्य भरकर लड़कियों पर मारने की झूठी घटना को हवा देने का काम किया था। यहाँ तक कि इस खबर की गलत होने पुष्टि हो जाने के बाद भी दी लल्लनटॉप ने इस वर्ष भी होली के दिन ही इस खबर को दोबारा प्रकाशित किया था ताकि हिन्दुओं की आस्था पर प्रहार करने का इनका एजेंडा साँस लेता रहे। आज जब ऐसे मीडिया गिरोह ‘फैक्ट चेक’ जैसे ट्रेंड्स को भुनाने के लिए फर्जी ख़बरों को बेनकाब करने का दावा करते हैं तो ये अपने आप में एक व्यंग्य हो जाता है।
सबसे ज्यादा हास्यास्पद बात यह है कि इस खबर के नीचे दी लल्लनटॉप के पाठकों ने ही सम्पादक को ये बताने की कोशिश की है कि ये Faking News है और कम से कम उन्हें, यानी पाठकों को, यह बात अच्छे से पता है।
सामाजिक चिंतन के नाम पर ‘गंदी बात’ जैसे कॉलम के माध्यम से अपने पुराने और बेहद अप्रासंगिक लेखों को अपने कट्टर पाठकों को मजा देने के लिए बार-बार पढ़ाने में इस मीडिया गिरोह के सम्पादक शायद इतने व्यस्त रहे हैं कि उन्हें यह तक जानने की फुरसत नहीं हो पाती है कि वो Faking News के तात्पर्य को जान सकें।
दी लल्लनटॉप को उनके पाठकों ने ही ‘मारक राय’ देकर ले लिए मारक मजे
लल्लनटॉप नामक इस मीडिया गिरोह के पाठकों में ये खबर देखकर उल्टे मजे लेते हुए प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है, “लल्लनटॉप को बस अपनी दुकान चलाने से मतलब है, इसके लिए चाहे फेक न्यूज़ का ही फैक्ट चेक क्यों ना करना पड़े।”
वहीं लल्लनटॉप द्वारा अपने पाठकों को हल्के में लेने से नाराज कुछ पाठकों ने अपना रोष प्रकट करते हुए लिखा है, “हमने लल्लनटॉप पर विश्वास किया, लेकिन तूने हमें बेवकूफ समझ रखा है क्या एडमिन? हमको पता है कि यह झूठी न्यूज़ है, तुमको नहीं मालूम खाली।”
MEME और Faking News का फैक्ट चेक करना AltNews से सीख रहे हैं मीडिया गिरोह
‘वायरल’ और व्हाट्सएप्प पर घूमने वाली फर्जी ख़बरों की प्रमाणिकता का दावा कर चर्चा में आई Pro Congress प्रोपेगैंडा वेबसाइट Altnews ने पत्रकारिता में यह नई कला विकसित की है। ट्रैफिक, TRP और चर्चा के लिए जूझते हुए ये समाचार पोर्टल्स सस्ती लोकप्रियता के लिए इस प्रकार के हथकंडे अपनाते हैं। लेकिन, पाठक होने के नाते यह हमें जानना चाहिए कि यह समाचार और पत्रकारिता के मानकों की खुली हत्या है।
हो सकता है कि अपने ‘कट्टर पाठकों’ को बेवकूफ समझने का इन मीडिया गिरोहों का ये नया तरीका फिलहाल इन्हें खूब लोकप्रियता दे भी रहा हो, लेकिन हमें समझना आना चाहिए कि ऐसा ये सिर्फ अपने पाठक वर्ग की क्षमताओं को ही कमतर आँकते हुए कर रहे हैं।
हमारी राय
मारक मजा देने का कच्चा सामान यदि दी लल्लनटॉप नहीं जुटा पा रहा है तो उसे Faking News की ही कुछ अन्य ख़बरों का फैक्ट चेक कर लेना चाहिए। जैसे कि सनी पाजी का हाथ ढाई किलो का वाकई में है या नहीं?
हास्य-व्यंग्य और ‘गड़बड़ समाचार’ बनाने के लिए फेमस है Faking News
फ़ेकिंग न्यूज़ एक हास्य-व्यंग्य लिखने वाली वेबसाइट है, जिसका उद्देश्य मात्र समसामयिक घटनाओं के आधार बनाकर व्यंग्य करना है। ऐसा पहली बार नहीं है, जब मेनस्ट्रीम मीडिया ने Faking News की ख़बरों को सच मानकर अपनी वेबसाइट पर प्रकशित किया हो।