उद्यमी अरुण पुदुर ने शुक्रवार (सितंबर 4, 2020) को ‘पत्रकार’ सबा नकवी द्वारा 2018 में पोस्ट किया गया एक पुराना ट्वीट खोज निकाला है। इस ट्वीट में सबा नकवी ने सांभर पाउडर मसाला के भगवाकरण के बारे में उल्लेख करते हुए अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाया है। ईस्टर्न कंडीमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (Eastern Condiments Pvt Ltd) द्वारा निर्मित ‘ब्राह्मण सांभर पाउडर’ की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए पत्रकार ने ट्वीट किया था, “कर्नाटक के तट के पास कारवार क्षेत्र में मेरी खोज। अनंत कुमार हेगड़े देश (एक हिंदू भूमि की तरफ इशारा करते हुए)…..”
My discovery in karwar region near coast of Karnataka. Anant Kumar hedge country…. pic.twitter.com/CeyFOjHjvI
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) April 27, 2018
सबा नकवी के आरोपों का जवाब देते हुए कि यह उत्पाद ब्राह्मणवादी वर्चस्व का परिणाम है, अरुण पुदुर ने ट्वीट किया, “पत्रकार’ ब्राह्मणों पर हमला करती रहती हैं, जबकि उनमें से किसी ने भी न तो कोई दंगा किया और न ही खुद को उड़ा लिया!” नकवी पर बौद्धिक बेईमानी का आरोप लगाते हुए उद्यमी ने उक्त मसाला पाउडर के पीछे की असली कहानी बताई।
‘Journalists’ keep attacking Brahmins even though none of them did any riots or blow themselves up!
— अरुन् पुदुर् (@arunpudur) September 5, 2020
Zero research too the company that makes Brahmin Sambar Powder, 500 crs Eastern Group of Companies is owned by Late Mr. Meeran who is Kerala Muslim.
No questions on Halal though! pic.twitter.com/dUsrZ5PAOO
ब्राह्मण मसाला पाउडर की सच्चाई
ईस्टर्न कंडीमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (Eastern Condiments Pvt Ltd) की वेबसाइट पर जाकर हमने कंपनी के इतिहास के बारे में पता किया। कंपनी (जो पहले ईस्टर्न ट्रेडिंग कंपनी के रूप में जानी जाती थी) की स्थापना एमई मीरान ने की थी। वो केरल में एक मुस्लिम परिवार से थे। उनके मुस्लिम धर्म के प्रति आस्था के बारे में पता लगाने के लिए हमने ऑनलाइन रिपोर्टों की जाँच की। इस दौरान हमें 2011 में उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित एक लेख मिला। जिसमें लिखा गया था कि उन्हें शाम पाँच बजे Adimaly Jamath Mosque में दफनाया जाएगा।
इससे यह स्पष्ट होता है कि ‘ब्राह्मण सांभर पाउडर’ हिंदुओं द्वारा संचालित कंपनी द्वारा निर्मित नहीं है। ब्राह्मण भोजन या तमिल ब्राह्मण भोजन अनिवार्य रूप से ’सात्विक’ भोजन है, जिसमें प्याज या लहसुन शामिल नहीं है। कुछ पारंपरिक ब्राह्मण घरों में ड्रमस्टिक्स, लौकी, गाजर आदि शामिल नहीं हैं, क्योंकि उन्हें ‘सात्विक’ नहीं माना जाता है। हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे लोग इसे खरीद या खा नहीं सकते हैं। ‘ब्राह्मण सांभर पाउडर’ के मामले में भी यह किसी भयावहता के बजाय एक व्यंजन विशिष्ट घटक है।
सात्विक भोजन हलाल की तरह भेदभाव नहीं करता है
सात्विक भोजन के विपरीत, हलाल केवल एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। इस प्रकार, हलाल फर्म में गैर-मुस्लिमों को स्वचालित रूप से रोजगार से वंचित कर दिया जाता है। हलाल में जानवर की गले की नस में चीरा लगाकर छोड़ दिया जाता है, और जानवर खून बहने से तड़प-तड़प कर मरता है।
इसके अलावा मारे जाते समय जानवर को मुस्लिमों के पवित्र स्थल मक्का की तरफ़ ही चेहरा करना होगा। लेकिन सबसे आपत्तिजनक शर्तों में से एक है कि हलाल मांस के काम में ‘काफ़िरों’ (‘बुतपरस्त’, गैर-मुस्लिम, जैसे हिन्दू) को रोज़गार नहीं मिलेगा। यानी कि यह काम सिर्फ मुस्लिम ही कर सकता है।
इसमें जानवर/पक्षी को काटने से लेकर, पैकेजिंग तक में सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम ही शामिल हो सकते हैं। मतलब, इस पूरी प्रक्रिया में, पूरी इंडस्ट्री में एक भी नौकरी गैर-मुस्लिमों के लिए नहीं है। यह पूरा कॉन्सेप्ट ही हर नागरिक को रोजगार के समान अवसर देने की अवधारणा के खिलाफ है। बता दें कि आज McDonald’s और Licious जैसी कंपनियाँ सिर्फ हलाल मांस बेचती है।