Tuesday, November 19, 2024
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टॉर्च की रोशनी में हुआ नीरज का अंतिम संस्कार, लोगों को शव यात्रा में शामिल होने से रोका

पत्थरबाजी और हिंसा करने वाले लोगों की पहचान के बारे में लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत ने बताया कि पूरे देश में कौन ऐसा करते हैं, ये सभी को पता है। उन्होंने कहा कि जब से हेमंत सरकार सत्ता में आई है, पूरे झारखंड में कत्लेआम व अपराध आम बात हो गई है।

झारखंड के लोहरदगा में सीएए के समर्थन में हुई रैली पर मुस्लिमों ने हमला किया। इस दौरान घायल हुए नीरज राम प्रजापति की 5 दिनों तक ज़िंदगी और मौत से जूझने के बाद मौत हो गई। उनकी पत्नी दिव्या कुमारी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर अपने पति की मौत में न्याय करने और परिवार के भरण-पोषण में मुआवजा देने की माँग की लेकिन मंगलवार को सीएम दिन भर मंत्रिमंडल विस्तार में व्यस्त रहे। उलटा पुलिस प्रशासन परिजनों पर दबाव बनाता रहा कि वो नीरज के बाथरूम में गिर कर घायल होने की बात कहें और इसे ही मृत्यु का कारण बताएँ। स्थानीय हिंदूवादी नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के इशारे पर मामले में लीपापोती की जा रही है।

अब ताज़ा सूचना आई है कि नीरज राम प्रजापति की अंतिम यात्रा में शामिल लोगों की संख्या प्रशासन ने डिसाइड की है। इसमें 35 से ज्यादा लोगों को शामिल नहीं होने दिया गया। राँची से लेकर लोहरदगा तक कई लोग अंतिम यात्रा में शामिल होना चाहते थे लेकिन उन्हें ‘माहौल बिगड़ने की आशंका’ के कारण रोक दिया गया। ‘हिन्दू जागरण मंच’ ने भी प्रशासन के इस व्यवहार को लेकर आक्रोश जताया। गुरुवार (जनवरी 28, 2020) की देर शाम नीरज के पार्थिव शरीर को लोहरदगा लाया गया।

क्षेत्र के पारंपरिक श्मशान में नीरज प्रजापति का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया क्योंकि रास्ते में मस्जिद पड़ती है। क़रीब पौने 8 बजे बॉडी घर पहुँची और सवा 8 में अंतिम संस्कार के लिए रवाना कर दी गई। परिजनों ने ऑपइंडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि पुलिस व प्रशासन ने जल्दी-जल्दी अंतिम संस्कार कराने के चक्कर में धार्मिक रीति-रिवाज भी पूरा नहीं करने दिया। जबरदस्ती रात में ही दाह संस्कार करने का दबाव बनाया गया। मृतक के एक पड़ोसी ने पुलिस के इस रवैए को लेकर आक्रोश जताया।

झारखंड सरकार पर इस मामले में तानाशाही रवैया अपनाने के आरोप लग रहे हैं। किसी भी पत्रकार को अंतिम संस्कार या अंतिम यात्रा के दौरान फोटो लेने की अनुमति नहीं दी गई। एक स्थानीय पत्रकार ने ऑपइंडिया से कहा कि पुलिस ने उनका कैमरा तोड़ डालने की धमकी दी। अंतिम यात्रा के दौरान लोगों को छत से देखने की इजाजत भी नहीं दी गई। फिर भी कई लोगों ने खिड़कियाँ खोल कर नीरज प्रजापति के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन किया।

पुलिसिया हूटर की आवाज़ में अंतिम यात्रा निकाली गई। क़रीब 2 बस और 8 छोटे वाहनों में मुस्तैद पुलिस अंतिम यात्रा के दौरान माइक से लगातार अनाउंसमेंट कर रही थी। मृतक नीरज के पड़ोसियों ने बताया कि इस दौरान क्षेत्र में काफ़ी भय का माहौल रहा।

वहीं लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत ने ऑपइंडिया से बातचीत के दौरान बताया कि वो इस मामले को संसद में उठाएँगे। पत्थरबाजी और हिंसा करने वाले लोगों की पहचान के बारे में बोलते हुए भागत ने कहा कि पूरे देश में कौन ऐसा करते हैं, ये सभी को पता है। सुदर्शन भगत ने कहा कि जब से हेमंत सरकार सत्ता में आई है, पूरे झारखंड में कत्लेआम व अपराध आम बात हो गई है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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