Friday, November 15, 2024
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मौलाना आज़ाद का जिक्र सुन बौखलाए इरफान हबीब, केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान पर चीख पड़े

भारतीय इतिहास कॉन्ग्रेस को संबोधित कर रहे राज्यपाल ने जब मौलाना आजाद का हवाला दिया तो इरफान हबीब उन्हें बोलने से रोकने के लिए मंच पर चढ़ गए। उन पर चीखते हुए कहा,"तुम्हें तो गोडसे का उल्लेख करना चाहिए।"

राम मंदिर मामले में अड़ंगा डाल चुके वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का नाम तक सुनना गॅंवारा नहीं है। शायद इसलिए क्योंकि राष्ट्रीयता और भारतीयता में मौलाना का यकीन गहरा था। धर्म के आधार पर भारत के विभाजन का उन्होंने विरोध किया था। पाकिस्तान परस्तों को चेताया था।

ताजा घटना केरल के कन्नूर की है। यहॉं भारतीय इतिहास कॉन्ग्रेस को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान संबोधित कर रहे थे। इस दौरान संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में हुए प्रदर्शन पर चर्चा करते हुए उन्होंने मौलाना आजाद का हवाला दिया। फिर क्या था इरफान हबीब सीधे मंच पर पहुॅंच गए और राज्यपाल को बोलने से रोकने की कोशिश की। केरल गवर्नर के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह जानकारी दी गई है। ट्वीट कर बताया गया है कि जब राज्यपाल ने मौलाना आजाद का हवाला दिया तो इरफान हबीब मंच पर पहुॅंच गए। उन पर चिल्लाने लगे। राज्यपाल के सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्का मुक्की की।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कन्नूर विश्वविद्यालय में आयोजित इस समारोह में आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि थे। उनसे पहले कॉन्ग्रेस को संबोधित करते हुए माकपा के राज्यसभा सदस्य केके रागेश और इतिहासकार इरफान हबीब ने नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा उठाया था। लेकिन जब आरिफ खान ने इस मुद्दे पर दोनों वक्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे पर जवाब देना शुरू किया तो वहाँ बैठे कुछ प्रतिनिधियों और छात्रों ने उनका विरोध शुरू कर दिया और इसी बीच इरफान हबीब भी स्टेज पर चढ़ आए। बताया जा रहा है कि जैसे ही राज्यपाल ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हुए प्रदर्शन के बारे में कार्यक्रम में बोलना शुरू किया, तभी इतिहासकार इरफान हबीब स्टेज पर पहुँचे और उन्होंने न केवल उनके भाषण को बाधित किया, बल्कि उन्हें बोलने से रोकने की कोशिश भी की। इसके बाद राज्यपाल ने कहा कि विरोध करने का हक सभी को है, लेकिन आप किसी को चुप नहीं करा सकते।

इरफान हबीब ने चिल्लाते हुए राज्यपाल से कहा, “तुम्हें तो गोडसे का उल्लेख करना चाहिए।” इतना ही नहीं, इस दौरान इतिहासकार इरफान हबीब अपना आपा खो बैठे और उन्होंने राज्यपाल के एडीसी और सुरक्षा अधिकारियों को भी धक्का दिया।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, कहा जा रहा है जिन छात्रों ने कार्यक्रम में केरल राज्यपाल का विरोध किया, उनमें दिल्ली के जामिया मिलिया, AMU, और जेएनयू के कुछ छात्र भी शामिल थे। जिन्होंने इस बीच राज्यपाल के खिलाफ कुछ प्रतिनिधियों ने नारे भी लगाए। जिसके कारण वहाँ मौजूद पुलिस को उन छात्रों को बाहर निकालना पड़ा।

इस घटना पर बात करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने पत्रकारों से कहा कि वह इस मुद्दे पर बोलना नहीं चाहते थे। लेकिन उनसे पहले कुछ वक्ताओं ने सीएए को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन का मुद्दा उठाया तो राज्यपाल के तौर पर उनकी संविधान की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, इस नाते उन्हें उन लोगों द्वारा उठाए गए मुद्दे पर स्थिति साफ करने के लिए बोलने के लिए मजबूर होना पड़ा।

बता दें कि भाजपा महासचिव एमटी रमेश ने राज्यपाल के विरोध को सरकार प्रायोजित करार दिया है। उन्होंने इस पूरी घटना की जाँच कराने की माँग की और साथ ही इसे राज्यपाल की सुरक्षा में चूक का मामला बताया। गौरतलब है कि बीते दिनों कॉन्ग्रेस ने भी आरिफ मोहम्मद खान को भेजा एक न्योता रद्द कर दिया था। खान ने सीएए का समर्थन करते हुए कहा था कि इसके जरिए मोदी सरकार ने महात्मा गॉंधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस द्वारा किए गए वादे को पूरा किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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