पेरिस में होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के सालाना अधिवेशन से ठीक पहले पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। दुनिया भर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था FATF की एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) की रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग तथा टेरर फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई के 10 मानदंडों में से पाकिस्तान 9 में फिसड्डी साबित हुआ है जबकि एक में उसे ‘मध्यम’ स्थान प्राप्त हुआ है।
APG की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 को लागू करने के लिए सही कदम नहीं उठाए। उसने हाफिज सईद, मसूद अजहर और लश्कर ए तैयबा (LeT), जमात उद दावा (JuD) एवं फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों और आतंकी संगठनों को लेकर नरमी बरती और कोई ठोस एक्शन नहीं लिया।
पाकिस्तान सरकार की मिलीभगत का खुलासा करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि UNSCR 1267 कमिटी की रिपोर्ट में वर्ष 2008 में ही जेयूडी (JUD) और वर्ष 2012 में एफआईएफ (FIF) को प्रतिबंधित सूची में डाले जाने के बावजूद पाकिस्तान में ये दोनों संगठन खुलेआम जनसभाएँ करते हैं और फंड जुटाते हैं। पाकिस्तानी मीडिया द्वारा कई बार मानवीय राहत और सहायता के नाम पर एफआईएफ को चंदा वसूलते देखा गया है। इन संगठनों की ओर से एंबुलेंस सेवाएँ जारी रखने पर भी सवाल उठाए गए कि क्या इनकी फंडिंग के खिलाफ कारगर कार्रवाई की गई है?
Of the ten effectiveness ratings, #Pakistan was found “low” in nine areas
— India Today (@IndiaToday) October 7, 2019
Report: @Geeta_Mohan https://t.co/e3XS6qiDGr
बता दें कि FATF ने वर्ष 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। तब उसे 15 महीनों में बताए गए 27 बिंदुओं पर काम करना था। 15 महीने की यह अवधि इस साल सितंबर में पूरी हो चुकी है और अब इस पर एफएटीएफ का आखिरी फैसला आना है। ऐसे में एपीजी की यह ताज़ा रिपोर्ट पाकिस्तान के लिए नई मुसीबत पैदा कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि 13 से 18 अक्टूबर को एफएटीएफ की मीटिंग होनी है, जिसमें टेरर फंडिंग को लेकर पाकिस्तान पर फैसला लिया जाएगा। एपीजी की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि FATF की बैठक में पाकिस्तान का ब्लैकलिस्ट होना तय है।