Friday, March 29, 2024
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6000 साल पुराना फायर टेम्पल, Pak के हिन्दू युवक की आपबीती और जामिया हिंसा का कनेक्शन

सद्गुरु ने कहा कि अल्पसंख्यकों के बीच काफ़ी सुनियोजित तरीके से अफवाहें फैलाई गई। उन्होंने कहा कि अब जब उपद्रवियों की पोल खुल गई है, वो कह रहे हैं कि वो फलाँ कारण से प्रदर्शन कर रहे हैं। सद्गुरु ने एनआरसी को लेकर कहा कि इसके माध्यम से लोगों को डेटाबेस में रजिस्टर किया जाना है। ये पता होना चाहिए कि देश में कितने लोग हैं और वो कहाँ से आए हैं।

सोशल मीडिया पर लोगों ने नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थन में अभियान चला कर उपद्रवियों व दंगाइयों को करारा जवाब दिया। ख़बर लिखे जाने तक ‘आई सपोर्ट सीएए’ को लेकर 7 लाख ट्वीट्स किए जा चुके थे जबकि इसका विपक्ष में 50 हज़ार ट्वीट्स भी नहीं हुए थे। आम लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर सड़क पर उत्तर कर गुंडई करने वालों को जवाब दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अभियान में भाग लेते हुए सद्गुरु का एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने सीएए को लेकर बातें की हैं। पीएम मोदी ने लिखा कि सद्गुरु ने सीएए के सभी पहलुओं के बारे में स्पष्टता से बात की है।

इस वीडियो में सद्गुरु ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह की हिंसा देखने को मिली है, उस हिसाब से इसे स्पष्ट करना आवश्यक है। उन्होंने विभाजन की त्रासदी की चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह दोनों तरफ के लोगों ने बड़े पैमाने पर माइग्रेट होना पड़ा। सद्गुरु ने कहा कि पकिस्तान और बांग्लादेश का गठन मजहबी आधार पर हुआ लेकिन भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश रहा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने अपनी मातृभूमि और संपत्ति को छोड़ कर जाना उचित नहीं समझा। सद्गुरु ने बताया कि 1971 में बांग्लादेश गठन के समय 19-20% लोग प्रताड़ना से तंग आकर भारत में आ गए थे।

उन्होंने पाकिस्तान की चर्चा करते हुए कहा कि वहाँ का क़ानून ही भेदभाव वाला है। उन्होंने कहा कि भारत में भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं लेकिन यहाँ एक व्यक्तिगत स्तर पर हो सकता है, क़ानून में नहीं है। उन्होंने कहा कि जाति-धर्म, लिंग इत्यादि के आधार पर दुनिया में हर जगह भेदभाव होते हैं। उन्होंने कहा कि क़ानून के अनुसार, भारत के सभी लोग समान हैं। सद्गुरु ने आगे कहा:

“पाकिस्तान में महिलाओं के साथ भेदभाव होता है, सभी अल्पसंख्यकों को प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। एक प्रोफेसर पर ईशनिंदा का आरोप लगा कर सज़ा-ए-मौत दी गई। ऐसी चीजें भारत में संभव नहीं हैं। मैं अज़रबैजान के बाकू में था, जहाँ फायर टेम्पल है। वहाँ 164 पाकिस्तानी हिन्दू पहुँचे थे। वो फायर टेम्पल 6000 साल पुराना है। प्राचीनकाल में साधना के लिए भारत के लोग वहाँ जाया करते थे, ऐसा प्रमाण मिला है। भारत के लोग बाकू के बारे में भूल गए हैं। लेकिन, पाकिस्तानी वहाँ भी जाते हैं। मैंने 164 लोगों के साथ अलग-अलग फोटोज लिए, कुल 200 से भी ज्यादा फोटोज। एक पाकिस्तानी हिन्दू युवक ने मुझे बताया कि 10-12 लोग आए और उसके साथ मारपीट की, इसके बाद वो उसकी पत्नी को उठा कर ले गए।”

सद्गुरु ने बताया कि उक्त युवक की पत्नी की शादी किसी और से कर दी गई। वो क़ानून के पास भी नहीं जा सकता था, वो अदालत में केस भी नहीं दायर कर सकता था क्योंकि पाकिस्तान में हिन्दू शादी को वैध माना ही नहीं जाता है। सद्गुरु ने बताया कि पाकिस्तान में ऐसी कई वारदातें होती हैं और उत्पीड़ित लोग दशकों से यहाँ आते रहते हैं। बकौल सद्गुरु, सीएए तो उनके लिए बहुत कम राहत है, जो काफ़ी देर से मिला। उन्होंने पाकिस्तान में मंदिरों की संख्या कम होने और तोड़े जाने की भी चर्चा की। वहीं भारत के बारे में उन्होंने कहा कि यहाँ सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था की प्रैक्टिस करते हुए रह सकते हैं।

सद्गुरु ने समझाया कि सीएए उनलोगों के लिए नहीं है, जो दूसरे देशों से भारत में आएँगे। ये उन धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए है, जो तीन पड़ोसी इस्लामिक देशों में हुई प्रताड़ना से तंग आकर दिसंबर 2014 तक भारत में आ चुके हैं। उन्होंने समझाया कि इससे नए लोग नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश को आज़ाद किए जाने के समय 30 लाख हिन्दुओं को मार डाला गया था। उन्होंने बताया कि असम में शरणार्थियों की संख्या ज्यादा हो गई थी, जिसके बाद असम एकॉर्ड बना और घुसपैठियों को बाहर निकाले की व्यवस्था की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन्होंने ये एकॉर्ड बनाया, उन्होंने ही इसे अमल में नहीं लाया।

सद्गुरु ने सीएए के ख़िलाफ़ हो रहे उपद्रव पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि इसका विरोध कैसे किया जा सकता है? उन्होंने बताया कि भारतीय नागरिकता के लिए कोई भी आवेदन कर सकता है, किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिन्हें भी नागरिकता मिलेगी, वो सालों से यहाँ रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका विरोध किया जाना अजीब है। उन्होंने कहा कि सीएए के ख़िलाफ़ विरोध करने वाले अब कह रहे हैं कि वो पुलिस की बर्बरता के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। सद्गुरु ने कहा:

“केंद्र सरकार को भी अंदाज़ा नहीं था कि इतने अच्छे क़ानून का इतने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होगा और इसे मुद्दा बना दिया जाएगा। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा हुई और पुलिस के साथ काफ़ी बर्बर तरीके से व्यवहार किया गया। हज़ारों लोगों ने पुलिस को पीटा, जिसके बाद बड़ी संख्या में सुरक्षा बल लगाना पड़ा। सीएए विरोधी कह रहे हैं कि वो जामिया में पुलिस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। जामिया वालों ने पत्थरबाजी की, जिसके बाद पुलिस को कैम्पस में घुसना पड़ा। हो सकता है उन्हें भी पीटा गया हो, जिन्होंने पत्थर नहीं चलाए लेकिन वो पत्थरबाजों के साथ बस बैठे हुए थे। भीड़ में ऐसा होता है। लेकिन, फिर भी पुलिस ने धैर्य दिखाते हुए गोली नहीं चलाई। लखनऊ में 56 पुलिसकर्मियों को गोली लगी। तब गोलियाँ कहाँ से आई? पुलिस पर गोली किन लोगों ने चलाई? कई लोगों ने खतरनाक खेल खेला।”

सद्गुरु ने कहा कि कुछ अनपढ़ मजहबी उन्मादियों ने हिंसा की वारदातों को अंजाम दिया। अफवाह फैलाया गया कि भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता छीन ली जाएगी और उन्हें निकाल बाहर किया जाएगा। सद्गुरु ने आश्चर्य जताया कि इतने बड़े स्तर पर अफवाह फैलाया गया। सद्गुरु ने कहा कि बड़े यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों ने भी क़ानून को पढ़ने की भी जहमत नहीं उठाई और अफवाहों पर ध्यान दिया। उन्होंने पूछा कि क्या ये छात्र व्हाट्सप्प पर पीएचडी कर रहे हैं? सद्गुरु ने सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाए जाने की भी निंदा की।

CAA पर सद्गुरु की बातों को शब्दशः हिंदी में सुनें

सद्गुरु ने कहा कि अल्पसंख्यकों के बीच काफ़ी सुनियोजित तरीके से अफवाहें फैलाई गई। उन्होंने कहा कि अब जब उपद्रवियों की पोल खुल गई है, वो कह रहे हैं कि वो फलाँ कारण से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान सद्गुरु ने एनआरसी को लेकर भी बातें की। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से लोगों को डेटाबेस में रजिस्टर किया जाना है। उन्होंने कहा कि ये पता होना चाहिए कि देश में कितने लोग हैं और वो कहाँ से आए हैं। उन्होंने पूछा कि जब ये नियम सबके लिए है, फिर भी इसे भेदभाव वाला क्यों बताया जा रहा है? उन्होंने कहा कि जो बोल रहे हैं कि उनके पास कोई कागज़ात नहीं हैं, फिर वो आख़िर हैं कौन?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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