काशी हिन्दू विश्विद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (SVDV) संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति की उच्च-स्तरीय जाँच की माँग तेज हो गई है। बता दें कि विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों से माँगी गई 10 दिन की समय-सीमा समाप्त होने के बाद छात्र संकाय प्रमुख के पास अपनी माँगों के लिखित जवाब के लिए के लिए पहुँचे थे। वहाँ प्रशासन ने पहले तो उन्हें अनसुना कर दिया, फिर संकाय के गेट का घेराव कर बैठे छात्रों को SVDV के ही साहित्य विभाग के विभागाध्यक्ष उमाकांत चतुर्वेदी द्वारा कुछ जवाब लिखित में दिए गए- लेकिन आधे-अधूरे, और वह भी प्रशासन के कहने पर। इससे नाराज और असंतुष्ट छात्र प्रशासन के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए फिर से धरने पर बैठ गए थे। और आज भी उनका धरना जारी है।
#SVDV के छात्रों को #BHU प्रशासन ने दिया बिना प्रमाण के जवाब, असंतुष्ट छात्रों ने उठाए कई गंभीर सवाल, अनिश्चित काल तक आन्दोलन जारी रखने पर अड़े धरनारत छात्र….
— Ravi Agrahari (@Ravibhu09) December 3, 2019
BHU में आचार्यों और छात्रों के भारी समर्थन के साथ छात्रों का धरना जारी…..#Ferojkhan pic.twitter.com/X95VuhrpgH
हालाँकि आज BHU प्रशासन ने छात्रों के शेष सवालों (क्रमांक 4 और 5) का जवाब तो दिया, लेकिन छात्रों ने इन जवाबों को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए इस पर असंतुष्टि जाहिर की। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से कई गंभीर सवाल पूछते हुए सभी उत्तरों के पक्ष में प्रमाण भी माँगे हैं। साथ ही छात्रों ने प्रशासन पर कई आरोप लगाते हुए धरना जारी रखा है। पूछे जाने पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे शशिकांत मिश्र ने बताया, “प्रशासन ने कुछ भी उल्टा-सीधा जवाब देकर मामले से पल्ला झड़ना चाहा, लेकिन उन्हें हमने अपने विरोध के माध्यम से कई प्रतिप्रश्न पूछे हैं और उनका जवाब प्रमाण सहित माँगा है। अब देखते हैं कि आगे वो क्या निर्णय लेते हैं।”
SVDV के छात्रों के प्रश्नों पर BHU प्रशासन का जवाब
संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान के साहित्य विभाग में क्या अन्य सभी विभागों के सदृश ही शॉर्ट-लिस्टिंग हुई?
विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु आए आवेदनों की शार्टलिस्टिंग विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रतिपादित “विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में शिक्षकों और अन्य शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हता तथा उच्चतर शिक्षा में मानकों के रखरखाव हेतु अन्य उपाय सम्बन्धी विनियम, 2018” के अनुसार की जाती है।
उपरोक्त विनियम के प्रावधानों के अंतर्गत ही संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में भी आवेदनों की शार्टलिस्टिंग अन्य विभागों के सदृश ही की गई है।
क्या-शॉर्ट लिस्टिंग में सम्मिलित व्यक्ति संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के पारंपरिक (सनातन धर्म) संबंधित नियमों को ध्यान में रखकर किया गया?
साहित्य विभाग में नियुक्ति हेतु आवेदनों की शॉर्ट लिस्टिंग विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में शिक्षकों और अन्य शैक्षिककर्मियों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हता और उच्चतर शिक्षा में मानकों के रखरखाव हेतु अन्य उपाय संबंधी विनियम, 2018 के अनुसार की गई है।
(उपरोक्त उल्लिखित नियमों के अनुसार ही शार्टलिस्टिंग की गई है।)
इस शॉर्ट-लिस्टिंग में यूजीसी के किस नियम को अपनाया गया?
शॉर्ट-लिस्टिंग प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में शिक्षकों और अन्य शैक्षिक कर्मियों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हता तथा उच्चतर शिक्षा में मानकों के रख-रखाव हेतु अन्य उपाय संबंधी विनियम, 2018 के खंड 3 एवं 4 और परिशिष्ट द्वितीय, तालिका 3 (ए) के प्रावधानों को अपनाया गया है।
इस नियुक्ति में क्या विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय संविधान के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया संपन्न की है?
हाँ, इस नियुक्ति में भी विश्वविद्यालय के अधिनियमों एवं संविधियों में निर्धारित नियुक्ति प्रक्रिया का पालन किया गया है।
क्या बीएचयू संविधान के 1904, 1906, 1915, 1951, 1966 एवं 1969 संशोधनों को केंद्र में रखकर नियुक्ति की गई है?
संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान के साहित्य विभाग के शिक्षकों की विश्वविद्यालय में नियुक्ति वर्तमान BHU एक्ट के प्रावधानों तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उपरोक्त विनियम 2018 के प्रावधानों के अंतर्गत की गई है।
BHU प्रशासन के बिना प्रमाण के दिए जवाबों से SVDV के छात्रों में घोर असंतुष्टि है। चक्रपाणि ओझा, शशिकांत मिश्र, आनंद मोहन झा, कृष्ण कुमार सहित सभी धरनारत छात्रों ने कई गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। छात्रों ने इससे पहले कल SVDV के साहित्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर उमाकांत चतुर्वेदी द्वारा दिए गए आधे-अधूरे जवाबों पर भी कई काउंटर सवाल (प्रति-प्रश्न) किए थे और BHU प्रशासन से सभी प्रश्नों का समुचित जवाब माँगा था।
आज BHU प्रशासन की तरफ से धरने पर बैठे आंदोलकारी छात्रों को जब जवाब दिया गया तो छात्रों ने उस पर भी कई काउंटर सवाल दाग दिए जिसका प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
SVDV के छात्रों द्वारा BHU प्रशासन से पूछे गए प्रति-प्रश्न
- अगर हर विभागों में शॉर्टलिस्टिंग की एक ही प्रक्रिया अपनाई गई है तो, एक ही व्यक्ति की अलग-अलग विभागों में स्कोरिंग पॉइंट्स में अंतर क्यों है?
- धर्म विज्ञान संकाय के पारंपरिक (सनातन धर्म) के नियमों को शॉर्ट-लिस्टिंग में ध्यान रखा गया या नहीं? इसके उत्तर में UGC 2018 के अधिनियम का हवाला दिया गया। मतलब पूछा आम और बताया इमली।
- अगर UGC के 2018 अधिनियम के तहत नियुक्ति हुई तो साक्षात्कार में 0 व 100% नम्बर कैसे दिए गये? क्योंकि 0 व फुल नम्बर देने का कोई प्रावधान नहीं है।
- अगर संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग की नियुक्ति में विश्विद्यालय के अधिनियमों का पालन किया गया तो अधिनियम के वर्ष और उस अधिनियम की प्रति उपलब्ध कराई जाए जिसके तहत ये नियुक्ति की गई है।
- कृपया वर्तमान BHU एक्ट के उन प्रावधानों की प्रति के साथ किस समय पूर्व के 1904, 1906, 1915, 1951, 1966, 1969 के एक्ट को कब संशोधित किया गया और क्यों किया गया? साक्ष्य सहित वर्तमान एक्ट की प्रति उपलब्ध कराने की कृपा करें।
SVDV के छात्रों ने ऑपइंडिया को बताया, “हमारे सवाल अभी भी वही हैं, और किसी भी प्रश्न का BHU प्रशासन ने प्रमाण के साथ जवाब नहीं दिया है- बस बिना प्रमाण के गोलमोल जवाब देकर हमें बहकाने की फिजूल कोशिश की गई है। हमने इन जवाबों पर प्रशासन से कुछ प्रति-प्रश्न किये हैं।”
चक्रपाणि ओझा और शशिकांत मिश्र, कृष्ण कुमार, शुभम आदि ने अपने बयान में कहा, “BHU प्रशासन द्वारा आज चौथे और पाँचवे प्रश्न का उत्तर दिया गया जो बहुत ही ग़ैर जिम्मेदाराना है। जवाबों से सभी छात्र संतुष्ट नहीं हैं और हम सबने संघर्ष का रास्ता चुनते हुए आंदोलन जारी रखे हैं। हमारा ये आंदोलन अनिश्चित काल तक चलेगा जब तक प्रशासन डॉ. फिरोज खान की SVDV में नियुक्ति पर प्रमाण के साथ अपनी बात नहीं रखता, हमारे कई और भी प्रश्न और आपत्तियाँ हैं जिसका जवाब प्रशासन को देना होगा।”
SVDV के छात्रों की आपत्तियाँ
धर्म विज्ञान संकाय के छात्रों ने BHU प्रशासन से कई गंभीर सवाल पूछे हैं। साथ ही कुछ महत्वपूर्ण आपत्तियाँ दर्ज की हैं, जिन पर अभी तक प्रशासन का कोई जवाब नहीं आया है। वे आपत्तियाँ निम्न हैं:
- बिना साक्ष्य के किसी चीज़ की प्रामाणिकता नहीं होती। उत्तर के साथ साक्ष्य भी देने चाहिए थे। लिख करके तो कोई भी कुछ दे सकता है, पर उसको प्रमाण नहीं माना जा सकता।
- चौथे प्रश्न के उत्तर के साथ विश्वविद्यालय के जिस अधिनियम के तहत नियुक्ति हुई उसकी प्रति भी देनी चाहिए। कम से कम कुछ प्रमाणिकता के लिए वर्ष का ही उल्लेख कर दिए होते जिसके तहत नियुक्ति हुई।
- 1904, 1906, 1915, 1951 और 1969 के BHU के एक्ट में अगर धर्म विज्ञान संकाय के लिए विशेष अधिनियम बनाये गए थे तो उसको महामना के उद्देश्यों के विपरीत क्यों बदला गया?
- किसकी अध्यक्षता में वह बैठक हुई जिसमें SVDV के विशेष एक्ट में संशोधन हुआ? बैठक में कौन-कौन था? किस सन (वर्ष) में व कहाँ पर हुई?
- क्या उस बैठक में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के संकाय प्रमुख व विभागाध्यक्ष उपस्थित थे? क्या उनकी सहमति ली गई थी?
- बैठक के मिनट्स व कमेंट्स को साक्ष्य के रूप में क्यों नहीं दिया गया?
- अगर ग़ैर-हिन्दू BHU का कुलपति नहीं हो सकता और यह वर्तमान एक्ट में है, तो धर्म विज्ञान संकाय के लिए बनाए विशेष अधिनियम एक्ट से बाहर कैसे हो गए?
- वर्तमान एक्ट की प्रति उत्तर के साथ क्यों नहीं दी गयी, साक्ष्य के तौर पर, जिसके तहत नियुक्ति हुई है?
- शायद इन प्रश्नों का साक्ष्य सहित विश्वविद्यालय प्रशासन के पास कोई उत्तर नहीं है तभी तो बार-बार UGC के एक्ट का हवाला दिया जा रहा है।
- आपके साक्ष्य सहित जबाब का इंतजार हमारे सहित देश की पूरी जनता को है।
बता दें कि इससे पहले डॉ. फिरोज खान की SVDV में नियुक्ति में गड़बड़ी के विरोध में 7 से 21 नवंबर तक पहले भी कुलपति आवास के सामने छात्र धरने पर बैठे थे। छात्रों से धरना समाप्त करने के अनुरोध के साथ प्रशासन ने उनकी माँगों पर दस दिन के भीतर जवाब देने की लिखित सहमति दी थी। 30 नवंबर को दस दिन बीतने के बाद सोमवार (दिसंबर 2, 2019) को संकाय प्रमुख ने जो अधूरा जवाब दिया था, उससे छात्र सहमत नहीं हुए, और विरोध में पुनः धरने पर बैठ गए। संकाय में पठन-पाठन पहले से ही बंद है। साथ ही छात्रों ने 5 दिसंबर से होने वाली परीक्षा का बहिष्कार करने की भी चेतावनी दी है, जिसके मद्देनजर अभी परीक्षा की नई तिथि 10 दिसंबर कर दी गई है।
#SVDV के छात्रों को #BHU प्रशासन ने दिया बिना प्रमाण के जवाब, असंतुष्ट छात्रों ने उठाए कई गंभीर सवाल, परीक्षा के बहिष्कार के साथ अनिश्चित काल तक आन्दोलन जारी रखने पर अड़े धरनारत छात्र….#Ferojkhan pic.twitter.com/rnUDRB9zWm
— Ravi Agrahari (@Ravibhu09) December 3, 2019
जब ऑपइंडिया ने छात्रों से इस नए परीक्षा की तिथि पर बात की तो छात्रों की तरफ से शशिकांत मिश्र ने बताया, “यदि BHU प्रशासन इस समस्या का मालवीय जी के मूल्यों, संकाय के उद्देश्यों के अनरूप कोई समाधान नहीं निकालता है तो हम सभी छात्र इस परीक्षा की तिथि का भी बहिष्कार करने पर अडिग हैं। हमारा धरना इस बार किसी आश्वासन पर नहीं बल्कि इस समस्या के पूर्ण समाधान के साथ ख़त्म होगा।”
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