Tuesday, March 19, 2024
Homeहास्य-व्यंग्य-कटाक्षगाँधी का कुत्ता... न कॉन्ग्रेस का, न असम का: बिस्कुट खाता है, कुर्सी गँवाता...

गाँधी का कुत्ता… न कॉन्ग्रेस का, न असम का: बिस्कुट खाता है, कुर्सी गँवाता है

पिद्दी का मालिक शायद ही कभी असम की बात समझ पाए! कहाँ माथा पटकने गए थे आप हेमंत बिस्वा सरमा? पिद्दियों की तरह कूँ-कूँ करने के बजाय लड़ कर जीतने की बधाई।

29 अक्टूबर 2017 का दिन था। सोशल मीडिया खासकर ट्विटर पर एक कुत्ते की चर्चा हो रही थी। नाम था पिद्दी। बात 4 साल पुरानी हो गई है। इसलिए पहले कुत्ते का फोटो देख लिया जाए। समझने में आसानी होगी।

बिस्कुट खाने की तैयारी करता पिद्दी

यह फोटो एक वीडियो से लिया गया है। वीडियो देख लेंगे तो इस कुत्ते के टैलेंट के आगे सिर झुका लेंगे। पिद्दी चुटकी बजाते ही बिस्कुट खा लेता है – लपक के। बिस्कुट खाने की इस कला को 29 अक्टूबर 2017 के दिन पूरे देश ने देखा नहीं था बल्कि दिखाया गया था।

बड़े-बड़े लोग, ‘निष्पक्ष’ पत्रकार तक इस कुत्ते के आगे ‘दुम’ हिलाने लगे। सोशल मीडिया पर लोगों ने इन सब को भला-बुरा भी कहा था। लेकिन क्या सभी दुम-हिलाव (ऊदबिलाव प्रजाति के ये लोग सोशल मीडिया में पाए जाते हैं, दूसरों को प्रायः ट्रोल्स कहते हैं) गलत थे? क्या इस महान राष्ट्र में एक कुत्ते को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती?

कुत्ता किसका है, यह मानवाधिकार के तहत छिपा लिया गया है

कुत्ते को आखिर प्राथमिकता हो भी क्यों न? ग्लोबल दुनिया में क्या हम अमेरिका से कुत्ता-कल्चर तक नहीं सीख सकते?

अमेरिका में फर्स्ट फैमिली का कॉन्सेप्ट है। कुत्ता वहाँ की फर्स्ट फैमिली के लिए आन-बान-शान की बात होती है। इतना कि फर्स्ट फैमिली के कुत्ते को इज्जत के साथ फर्स्ट डॉग बोला जाता है। चुनाव तक में उसकी चर्चा होती है। उस पर लेख लिखे जाते हैं।

अपने-अपने कुत्तों के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति

अमेरिका की तरह क्या हम अपने देश में एक परिवार को फर्स्ट फैमिली का दर्जा नहीं दे सकते? आखिर किस कंजूस मानसिकता से गुजर रहा है यह देश? ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि देश की एक फर्स्ट फैमिली हो, उस फर्स्ट फैमिली का एक कुकुर हो, जिसे फर्स्ट डॉग कहा जाए… कितना सुंदर और सभ्य होगा वह समाज, जरा सोचिए!

आखिर क्यों पिद्दी सिर्फ भारतीय कुकुर होकर रह जाए? क्या उसका मालिक इतना कमजोर है कि पिद्दी के चर्चे देश-विदेश तक में न करवा पाए? और अगर ऐसा न करवा सका तो कुत्ताधिकार संगठनों की आवाज क्या भारत के खिलाफ नहीं उठेंगी? – ऐसे बहुत सारे प्रश्न पहले से ही मालिक के दिमाग में उठ रहे होंगे… बस फैसला 29 अक्टूबर 2017 को लिया गया… और पिद्दी फेमस हो गया, करवा दिया गया।

न्यू यॉर्क टाइम्स का लेख है, मजाल है कि आप गलत बोल दें!

पिद्दी कुत्ते को लेकर 29 अक्टूबर 2017 के दिन ही एक और घटना घटी थी। किसी शख्स ने एक कहानी सुनाई थी… पुरानी कहानी। कहानी में कुत्ते को बिस्कुट खिलाने का जिक्र है। कहानी में असम से ज्यादा कुत्ते को प्राथमिकता दिए जाने का भी जिक्र है। लेकिन क्यों नहीं? क्या दिक्कत है?

असम नाम के किसी राज्य (पूरे उत्तर-पूर्वी भारत में कोई राज्य है भी क्या? होता तो अमेठी की तरह सड़क-रेल पहुँच चुका होता अब तक) की चर्चा बाद में भी तो की जा सकती है। दिल पे लेकर कहानी क्यों सुना दिए सरमा जी? और कहानी सुनाए तो सुनाए, चुनाव तक खेंच के काहे ले गए इस बात को?

कहानी सुनाने वाले शख्स का नाम है हेमंत बिस्वा सरमा

पिद्दी के मालिक से नहीं तो कम से कम पिद्दी से तो प्यार कर ही सकते थे। पिद्दी का मालिक तो शायद ही कभी असम की बात समझ पाए! कहाँ माथा पटकने गए थे आप? हाँ शायद पिद्दी के लिए बिस्कुट ले जाते तो बात बनती…

…लेकिन वो आपने किया नहीं! करते तो आज असम के मुख्यमंत्री का ताज भला कैसे पहनते! बधाई हो।

नोट: कुत्ते प्रेमी लोग कृपया इसे कुत्ता प्रजाति से नफरत भरा लेख मान कर न पढ़ें।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

चंदन कुमार
चंदन कुमारhttps://hindi.opindia.com/
परफेक्शन को कैसे इम्प्रूव करें :)

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

केजरीवाल-सिसोदिया के साथ मिलकर K कविता ने रची थी साजिश, AAP को दिए थे ₹100 करोड़: दिल्ली शराब घोटाले पर ED का बड़ा खुलासा

बीआरएस नेता के कविता और अन्य लोगों ने AAP के शीर्ष नेताओं के साथ मिलकर शराब नीति कार्यान्वयन मामले में साजिश रची थी।

क्या CAA पर लगेगी रोक? सुप्रीम कोर्ट में 200+ याचिकाओं पर होगी सुनवाई, बोले CM सरमा- असम में 3-5 लाख प्रताड़ित हिन्दू नागरिकता के...

CM सरमा ने बताया कि असम में NRC की अंतिम सूची जारी होने के बाद लगभग 16 लाख लोगों को इसमें जगह नहीं मिली थी। इसमें 7 लाख मुस्लिम हैं जबकि बाकी कोच-राजबंशी और दास जैसे उपनाम वाले असमिया हिन्दू हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe