Tuesday, March 19, 2024
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हनुमान भक्ति से सरप्लस ऑक्सीजन… लेकिन विज्ञापन में फोटो सिर्फ सीएम साहब की: मंत्री जी की प्रेस कॉन्फ्रेंस

"देखिए विज्ञापन में फोटो तो सीएम साहब की ही छपेगी। माना कि हनुमान जी की कृपा से ऑक्सीजन सरप्लस हुई है पर चालीसा का पाठ तो सीएम साहब ने ही किया था।"

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री जी ने घोषणा की; अब हमारे पास सरप्लस ऑक्सीजन है। सरप्लस का अर्थ है जो सर के ऊपर प्लस मतलब अधिक हो जाए। और इस सरप्लस की वजह से हमारे मन में जिम्मेदारी कुलांचे मारने लगी है। इन कुलांचों को रोकने के लिए हम आस-पास के राज्यों को ऑक्सीजन देना चाहते हैं। 

यह सुनकर पत्रकार चकित थे। उन्हें यह तो पता था कि ऑक्सीजन हवा में रहती है लेकिन उनकी समझ में तुरंत यह नहीं आया कि हवा में घुमते-घुमते ये मंत्री जी के राज्य में कैसे सरप्लस हो गई? केंद्र ने भी ऑक्सीजन को ऐसा कोई आदेश नहीं दिया कि जाओ और मंत्री जी के राज्य में सरप्लस हो जाओ। अपनी उत्सुकता को शांत करने के लिए उनमें से एक ने पूछा; ये ऑक्सीजन सरप्लस हुई कैसे? 

वे बोले; बस समझिए कि हो गई। 

एक और पत्रकार ने पूछा; कहीं ये ऑडिट की वजह से तो सरप्लस नहीं हुई?

मंत्री जी बोले; ऑडिट की वजह से कभी कुछ सरप्लस हुआ है क्या? हमें ये पता था कि ऑडिट की वजह से चीजें कम होती हैं। इसीलिए हम ऑडिट के खिलाफ थे। 

पत्रकार; पर जनता का मानना है कि ऑडिट की वजह से ही सरप्लस हुआ होगा। 

मंत्री जी; जनता तो कुछ भी मान लेती है। जनता तो यह भी मान लेती है कि हल्ला क्लिनिक विश्व स्तरीय है। वह तो ये भी मान लेती है कि अमेरिकी सरकार उसकी नक़ल करके अपने देश में वैसा ही क्लिनिक बनवाना चाहती है। हमारे सीएम साहब ट्वीट करके बताते हैं कि फलाना मूवी अच्छी है, सो देख आओ तो वह सीएम साहब की बात भी मान लेती है। ऐसे में आप जनता के मानने पर न जाएँ। आप पत्रकार हैं, आप हमेशा की तरह वो मानें, जो हम कह रहे हैं।

इस बात पर आधे दर्जन पत्रकारों और मंत्री जी ने जोरदार ठहाके लगाए।     

एक और पत्रकार ने सवाल किया; आपको कब पता चला कि ऑक्सीजन सरप्लस हो गई है?

मंत्री जी बोले; मंगलवार के दिन। हमारे सीएम साहब हनुमान चालीसा पढ़कर जैसे ही उठे, उन्हें स्वास्थ्य सचिव ने फोन करके बताया कि सर ऑक्सीजन सरप्लस हो गई। 

पत्रकार बोले; इसका मतलब क्या यह मान लिया जाए कि ये ऑक्सीजन हनुमान चालीसा पढ़ने से सरप्लस हुई है?

मंत्री जी बोले; यह कहना अभी जल्दबाजी होगी पर इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता। आप लोग तो जानते हैं कि हमारे सीएम साहब हनुमान जी के परम भक्त हैं। 

एक ‘नकली’ पत्रकार बोला; यह तो कोई वैज्ञानिक आधार वाली बात नहीं हुई। 

मंत्री जी; क्यों नहीं हुई? हनुमान जी हवा में उड़ते थे कि नहीं?

पत्रकार ने घबरा कर सहमति में सिर हिलाते हुए बोला; हाँ, वो तो है। 

मंत्री जी ने फट से कहा; और हवा में ऑक्सीजन है। हनुमान जी हवा में उड़ते थे, हवा में ऑक्सीजन है और हमारे सीएम साहब हनुमान जी के भक्त हैं। और कौन सा वैज्ञानिक आधार चाहिए आपको? 
 
‘नकली’ पत्रकार कन्विंस नहीं हुआ। वो बोला; आपके सीएम साहब को हनुमान जी का भक्त हुए अभी सवा साल ही हुए। आस-पास के राज्यों के सीएम तो बचपन से हनुमान जी के भक्त हैं। और वे लोग तो इतने बड़े भक्त हैं कि उन्होंने विवाह भी नहीं किया है।  

मंत्री जी; अरे ये तो और बड़ा प्रूफ है। वे पुराने भक्त हैं इसीलिए उनके पास ऑक्सीजन ही ऑक्सीजन थी क्योंकि हनुमान जी की कृपा से उन्हें कभी कमी ही न हुई। 

एक और पत्रकार बोला; कमी तो उन्हें भी थी पर उन्होंने शोर नहीं मचाया।  

मंत्री जी बोले; शोर मचाना सबसे नहीं हो पाता। आपने वो मुहावरा नहीं सुना कि साधु मचाए शोर?

पत्रकार; लेकिन मुहावरा तो कुछ और है शायद? 

मंत्री जी बोले; हम पॉलिटिक्स बदलने का वादा करके आए थे। उसे बदलने के बाद हमारे पास सरप्लस समय और इच्छाशक्ति थी तो हमने मुहावरा भी बदल दिया।    

एक और पत्रकार बोला; अच्छा ये जो ऑक्सीजन सरप्लस हुई है, जब अखबारों में इस सरप्लस का विज्ञापन छपेगा तो फोटो सीएम साहब की होगी या हनुमान जी की?

प्रश्न सुनकर मंत्री जी बोले पड़े; देखिए विज्ञापन में फोटो तो सीएम साहब की ही छपेगी। माना कि हनुमान जी की कृपा से ऑक्सीजन सरप्लस हुई है पर चालीसा का पाठ तो सीएम साहब ने ही किया था। 

पत्रकार; तो विज्ञापन केवल सरप्लस ऑक्सीजन का छपेगा या आस-पास के राज्यों को जो ऑक्सीजन ऑफर की जा रही है, उसका भी छपेगा?

मंत्री जी; गुड क्वेश्चन। फिलहाल यह कह पाना अभी मुश्किल है। इसे लेकर सीसीए जल्द ही फैसला लेगी। 

पत्रकार; सीसीए?

मंत्री जी; अरे कैबिनेट कमिटी ऑन एडवर्टीजमेंट। आपके चैनल पर तो हम विज्ञापन देते आए हैं। आपको ये भी नहीं पता?

पत्रकार झेंप गया। धीरे से मंत्री जी से बोला; इसे लेकर एडिटर साहब से शिकायत मत कीजिएगा। मंत्री जी ने आश्वासन दिया कि वे ऐसा नहीं करेंगे। सब खुश थे। मंत्री जी इस बात से कन्विंस थे कि अब जनता के मन में ऑक्सीजन सम्बंधित सवाल नहीं उठेंगे। 

हर पत्रकार के घर की बेल बजी। सबने अपना-अपना डोर खोल कर देखा तो डिलीवरी बॉय समोसा और गुलाब जामुन का पैकेट लिए खड़ा था।      

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