Friday, October 11, 2024
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राजनैतिक फ़ैंसी ड्रेस मे अवतरित नया कलाकार

भारतीय राजनीति इन्हीं दो मानकों पर आधारित है- फ़ैंसी ड्रेस और शर्मा जी का बेटा होने पर। आप क्या हैं वह आपकी वेष-भूषा तय करती है। जींस में हैं तो प्रायवेट सिटिज़न, साड़ी मे है तो राष्ट्र नेता। दूसरे यदि, आप शर्मा जी के बेटे हैं तो आपकी पैदाइश ही आपकी महानता का साक्ष्य है।

दूसरे दिन छगनलाल जी मिल गए। चेहरे पर भारतीय मतदाता जैसे आश्चर्य और असमंजस के भाव थे। हिंदी पाठकों वाले निर्धन, निरीह मुख पर चमत्कृत होने के भाव छगनलाल जी को आदर्श भारतीय मतदाता की छवि प्रदान करते थे जो मध्यवर्गीय भी हों और विवाहित भी।

वह उस वर्ग से आते थे जो हिंदी पढ़ता है और अपनी समस्याएँ अंग्रेज़ी लेखकों को टीवी पर प्राइम टाइम विचार विमर्श की विषय वस्तु बना कर प्रस्तुत करता है। जब अंग्रेज़ी लेखक और प्रवक्ता टीवी पर उसकी समस्या और एक-दूसरे का छीछालेदर कर रहे होते, वह ब्रुश लेकर बाथरूम मे दाँत माँजने घुस जाता है और उसकी पत्नी चैनल बदल देती है। उसे विश्वास होता है कि उसकी समस्या के निराकरण का सौभाग्य नहीं है, बुद्धिजीवियों के मनोरंजन का सुयोग है। मध्यवर्गीय भारतीय की समस्याएँ बुद्धिजीवियों का च्यूईंग गम है, जो उनके जबड़ों के स्वस्थ और चेहरे की त्वचा को युवा रखता है।

इसी निरुत्साह के भाव के साथ छगनलाल जी ने हमारी ओर प्रश्न उछाला, “बताइए, यह क्या बात हुई कि आदमी बैंगन बन कर आए?” हमने चुनावी मौसम में आदमी को बेवक़ूफ़ बनते हुए सुना था, ये बैंगन वाला एंगल हमारे लिए भी नया था। हम छगनलाल जी की इस विचित्र विडंबना से उसी निर्विकार भाव से निकल सकते थे जैसे ग़रीब किसानों की स्थिति पर टेसुए बहाता नेता, रात की फ्लाइट से नानी के दर्शन को विदेश निकल जाता है। पर व्यंग्य लेख़क का काम होता है फँसना, सो हम फँसे।

हमने कहा, “चुनाव मे लोग आज कल ब्राह्मण और मौलवी बन लेते हैं, यह बैंगन बनने की प्रथा कब शुरू हुई?”

छगनलाल गहरी साँस छोड़ते हुए बोले- “बेटे के स्कूल मे वार्षिकोत्सव है।”

हमने कहा कि, ये हर्ष का विषय है। देश की राजनीति भी अभी उत्साहित है। पत्रकारों के घोर आह्वान के बावजूद, हर चुनाव के समय ‘ऋतु वसंत आया’ पर मनोरम नृत्य प्रस्तुत करने के बाद कॉन्ग्रेस की ट्रेन आऊटर पर निर्विकार अंगद के पाँव की भाँति स्थापित है। बाहरहाल, निरुत्साहित सभागणों के उत्साह को बनाए रखने के लिए नई शटल चलाई गई है।

जिन्हें पुराने दरबार मे स्थान नहीं मिला उनके लिए नवनियुक्ति के अवसर ले कर सत्ता का नया केंद्र कॉन्ग्रेस मे प्रस्तुत हुआ। छूटे हुए चाटुकारों ने राष्ट्रीय कृषक की पत्नी और भारत रत्न प्रपौत्री में इंदिरा गाँधी की छवि सहसा देखी, चहुँ ओर प्रथम परिवार की जय-जयकार गुंजायमान हुई। बुद्धिजीवी टिटिहरियों ने संसार मे धर्म की रक्षा पर संतोष व्यक्त किया, निष्पक्ष पत्रकारों ने सामूहिक सोहर कोरस मे गा कर कॉन्ग्रेस के प्रथम परिवार की दूसरी प्रविष्टि का स्वागत किया।

समर्थकों ने दक्षिण के सिनेमा के स्टाईल मे हिंद की शेरनी, ग़रीबों की मसीहा के शिमला के बँगले से अवतरित होने के स्वागत मे पोस्टर छापे और विश्लेषकों ने लेख लिखे जिनके मूल भाव मे देवी ऐसे उत्साह के वातावरण मे जहाँ ईवीएम का क्रांतिकारी कॉन्ग्रेसी प्रेस कॉफ्रे़ंस दब चुका है, और राफ़ेल की चिड़िया दाना चुग कर उड़ चुकी है, यह बैंगन छगनलाल जी कहाँ से ले आए, मै समझ नहीं पाया।

दोबारा पूछने पर बोले- “बेटे को स्कूल मे फ़ैंसी ड्रेस मे बैंगन बनना है? यह भी कोई बात हुई? ऊपर से पिछले साल वो शर्मा जी का बेटा कुम्हड़ा बन कर प्रथम स्थान ले गया था। बहुत प्रेशर है पत्नी का कि, लड़के को इस बार फ़र्स्ट आना है।”

हमने उन्हे समझाया कि यह उनकी पत्नी की राजनीतिक परिपक्वता बताता है। भारतीय राजनीति इन्हीं दो मानकों पर आधारित है- फ़ैंसी ड्रेस और शर्मा जी का बेटा होने पर। आप क्या हैं वह आपकी वेष-भूषा तय करती है। जींस में हैं तो प्रायवेट सिटिज़न, साड़ी मे है तो राष्ट्र नेता। दूसरे यदि, आप शर्मा जी के बेटे हैं तो आपकी पैदाइश ही आपकी महानता का साक्ष्य है। जैसा अपने सर्वदा समसामयिक उपन्यास मे श्रीलाल शुक्ल जी रूप्पन बाबू को पाठकों के समय प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि रुप्पन बाबू नेता हैं क्योंकि उनके पिता भी नेता है।

महागठबंधन के तीसरे या चौथे मोर्चे के नेताओं ने हाल मे हुए कोलकाता सम्मेलन में योग्य शर्मा जी के योग्य औलादों को जनता के समक्ष, प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना प्रस्तुत किया तो घाघ, वृद्ध कॉन्ग्रेस ने सर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्च शर्मा पुत्री को मैदान मे उतार कर मास्टर स्ट्रोक खेला। सब शर्मा जी के बेटे मुँह बाए देखते रह गए। जल्द ही नेतोचित परिधान धारण कर के प्रियंका जी राष्ट्रोद्धार के पुनीत कार्य मे संलग्न होंगी और हमारी आशा है कि, श्री छगनलाल के पुत्र भी बैंगन बन कर प्रथम पुरस्कार प्राप्त करेंगे और शर्मा जी के पुत्र को परास्त करेंगे।

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Saket Suryesh
Saket Suryeshhttp://www.saketsuryesh.net
A technology worker, writer and poet, and a concerned Indian. Writer, Columnist, Satirist. Published Author of Collection of Hindi Short-stories 'Ek Swar, Sahasra Pratidhwaniyaan' and English translation of Autobiography of Noted Freedom Fighter, Ram Prasad Bismil, The Revolutionary. Interested in Current Affairs, Politics and History of Bharat.

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