Sunday, November 17, 2024
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ईसा मसीह का बौद्ध कनेक्शन, भारत में मिला था ज्ञान!

"जब मैं हिमालय पर स्थित हेमिस में बैठा हुआ था, तभी एक लामा ने आकर मुझसे कहा कि क्या तुम्हें पता है, ईसा यहाँ से पढ़े थे। मैं एक पल के लिए चौंक गया। उस बौद्ध भिक्षु ने मुझे बताया कि जिन्हें तुम जीसस कहते हो, उन्हें हमलोग यहाँ ईसा के नाम से जानते हैं।"

जीसस क्राइस्ट या ईसा मसीह कोई अनजान नाम नहीं है। दुनिया में सबसे ज़्यादा पालन किए जाने वाले धर्म ईसाइयत में उन्हें ‘सन ऑफ गॉड’, अर्थात परमात्मा के पुत्र के नाम से जाना जाता है। हालाँकि, इस बारे में अक्सर सवाल उठते रहते हैं कि ईसा मसीह को ज्ञान कहाँ से प्राप्त हुआ? कुछ पुराने दस्तावेजों से ये भी पता चलता है कि ईसा मसीह ने बौद्ध भिक्षुओं व लामाओं से आत्मा और परमात्मा के गुर सीखे, फिर वापस इजरायल लौटकर उसे अन्य लोगों को बताया।

इस बारे में रूसी लेखक निकोलस निकोविच ने अपनी पुस्तक ‘Lavie inconnue de Jesus Christ (Life of Saint Issa)’ में काफ़ी कुछ लिखा है। यह क़िताब 1894 में लिखी गई थी। इसमें उन्होंने एक अनुभवी लामा से बात की थी, जिसने उन्हें बताया कि बौद्ध लामा ‘ईसा’ का नाम सम्मान से लेते हैं, क्योंकि उन्होंने भारत आकर हिन्दुओं व बौद्धों से काफ़ी कुछ सीखा था। इन्हीं चीजों को उन्होंने इजरायल जाकर अपने अन्य अनुयायियों को सिखाया।

असल में, अनुभवी लामा ने निकोलस को बताया कि ईसा के बारे में काफ़ी कम बौद्धों को जानकारी है। केवल वही लामा उन्हें जानते हैं, जिन्होंने पुराने दस्तावेज पढ़े हैं। लामा ने बताया कि अनंत बुद्ध हुए हैं, जिनके बारे में 84,000 दस्तावेज हैं। उन सभी में उन बुद्धों के जीवन का जिक्र है। इनमें से एक बुद्ध ईसा को भी माना गया है। लामा ने बताया कि बुद्ध ब्रह्म के अवतार थे। उन्होंने बताया कि इसी तरह के कई अवतार हुए हैं, जिनमें से एक गौतम बुद्ध थे। इसी तरह, ईसा का भी एक पवित्र बालक के रूप में जन्म हुआ। लामा ने निकोलस को बताया कि उस बच्चे को ज्ञान प्राप्ति के लिए भारत लाया गया।

बकौल लामा, जब बौद्ध धर्म चीन में फ़ैल रहा था, तभी बुद्ध के सन्देश इजरायल तक भी पहुँचे और लोग इससे अवगत हुए। निकोलस ने अनुभवी लामा के हवाले से लिखा है कि ईसा जब तक वयस्क नहीं हो गए, तब तक भारत आकर वो बुद्ध के बारे में पढ़ते रहे और भिक्षुओं के साथ रहे। यहीं उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। ईसा की ज़िंदगी से जुड़े दुर्लभ बौद्ध दस्तावेजों को भारत से नेपाल लाया गया और फिर वहाँ से तिब्बत भेजा गया। ये दस्तावेज प्राचीन पाली भाषा में लिखे हुए हैं। लामा ने उस समय बताया था कि वो ल्हासा में हैं। इसे तिब्बती भाषा में भी अनुवादित किया गया था।

निकोलस लिखते हैं कि ब्राह्मण ईसा से नाराज़ थे क्योंकि उन्होंने भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों को नकार दिया था। ब्राह्मणों ने उनकी जान लेने की कोशिश की, जिसके बाद उन्हें कुछ लोगों की मदद से नेपाल के पहाड़ों में छिपना पड़ा था। हालाँकि, इन बातों में कितनी सच्चाई है, इसकी पुष्टि नहीं हो सकती है और आधुनिक इतिहासकारों ने ईसा के भारत आने की बात नकार दी है। इसी तरह ‘यूनिवर्सिटी ऑफ साउथर्न कैलिफॉर्निया’ से एमए कर चुके रिचर्ड मार्टीनी कहते हैं:

“जब मैं हिमालय पर स्थित हेमिस में बैठा हुआ था, तभी एक लामा ने आकर मुझसे कहा कि क्या तुम्हें पता है, ईसा यहाँ से पढ़े थे। मैं एक पल के लिए चौंक गया। उस बौद्ध भिक्षु ने मुझे बताया कि जिन्हें तुम जीसस कहते हो, उन्हें हमलोग यहाँ ईसा के नाम से जानते हैं।”

निकोलस अपनी पुस्तक में ये भी लिखते हैं कि ईसा सिल्क रूट से भारत आए थे। सिल्क रूट पर एक इजरायली ट्राइब के होने के भी सबूत मिले हैं, ऐसा कई रिसर्चर्स ने दावा किया है। अहमदिया मुस्लिमों के एक बड़े वर्ग का भी मानना है कि जीसस को जब क्रॉस पर लटकाया गया था, उसके बाद वो पुनर्जीवित हो भारत पहुँचे थे। इससे उनके पीछे पड़े दुश्मनों की नज़रों से भी वो ओझल हो गए और उन्हें अपने ज्ञान का प्रचार-प्रसार करने के लिए नए लोग मिले। हालाँकि, इन सबके कोई स्पष्ट सबूत नहीं हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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