Saturday, November 16, 2024
Homeविविध विषयधर्म और संस्कृतिसनातन संस्कृति में कुत्तों की भी पूजा, माना जाता है यमराज का दूत और...

सनातन संस्कृति में कुत्तों की भी पूजा, माना जाता है यमराज का दूत और स्वर्ग का द्वारपाल: नेपाल में मनाया जा रहा ‘कुकुर तिहार’, कुत्तों को दिया जाता है ‘उपहार’

'कुकुर तिहार' की शुरुआत लोगों द्वारा कुत्तों के गले में फूलों की रंगीन मालाएँ डालकर व कुत्तों को सजाकर की जाती है। इसके बाद, कुत्तों के माथे पर तिलक लगाया जाता है।

कुत्तों को मनुष्यों का सबसे अच्छा और वफादार दोस्त माना जाता है। यही कारण है कि मनुष्यों की बस्तियों के आसपास कुत्ते जरूर पाए जाते हैं। यहाँ तक कि कुत्तों का पालना कई लोगों का शौक भी बन चुका है। हालाँकि, दुनिया में एक ऐसा भी देश है, जहाँ कुत्तों की पूजा होती है। यह देश है नेपाल, जहाँ हिंदू धनतेरस से लेकर भैया दूज तक 5 दिवसीय ‘तिहार’ नामक त्योहार मनाते हैं। इस त्योहार में ही कुत्तों की भी पूजा की जाती है।

दरअसल, नेपाल में पाँच दिवसीय ‘तिहार’ में ग्रहों की शांति और समृद्धि के लिए पाँच अलग-अलग देवताओं की पूजा की जाती है। इसमें काग (कौआ) तिहार, कुकुर तिहार, गाय तिहार, पर्वत तिहार और भाई टीका मनाया जाता है। इस त्योहार में ‘कुकुर तिहार’ को लेकर ऐसी मान्यता है कि कुत्ते मृत्यु के देवता यमराज के दूत होते हैं। साथ ही कुत्तों को स्वर्ग के द्वार का संरक्षक भी माना जाता है। इसलिए, यमराज को खुश रखने के लिए कुत्तों की पूजा की जाती है।

‘कुकुर तिहार’ की शुरुआत लोगों द्वारा कुत्तों के गले में फूलों की रंगीन मालाएँ डालकर व कुत्तों को सजाकर की जाती है। इसके बाद, कुत्तों के माथे पर तिलक लगाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में पुंड्रा कहते हैं। पुंड्रा, लाल अबीर में दही और चावल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसे कुत्तों के माथे में लगाकर उनके प्रति सम्मान और धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करने का प्रयास किया जाता है।

यह त्योहार मनाते हुए लोग खुशी के साथ कुत्तों को कई प्रकार का खाना खिलाते हैं। यह मांस, अंडे, मूंगफली इत्यादि से बनाया गया विशेष प्रकार का खाना होता है। इस खाने को कुत्तों को उपहार (गिफ्ट) के रूप में दिया जाता है।

वास्तव में, यह त्योहार दर्शाता है कि हिंदू, प्रकृति के प्रत्येक कण में अपनी आस्था रखते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ‘कुकुर तिहार’ चीन के यूलिन प्रांत में होने वाले ‘डॉग मीट फेस्टिवल’ से पूरी तरह उलट होता है। जहाँ एक ओर चीन में डॉग मीट फेस्टिवल के नाम पर हर हाल करीब 10 हजार कुत्ते चीनियों के ‘स्वाद’ की भेंट चढ़ जाते हैं। वहीं, नेपाल के कुकुर तिहार में कुत्तों की पूजा होती है और उन्हें भोजन कराया जाता है।

डॉग मीट फेस्टिवल की बात करें तो इसमें कुत्तों को ‘मीट’ बनने से पहले कई प्रकार की यातनाएँ झेलनी पड़ती हैं। कुत्तों को पकाने के अलग-अलग तरीकों के अलावा एक तरीका यहाँ सबसे अधिक क्रूर है, इसे ‘प्रेस्ड डॉग’ रेसिपी कहते हैं। जिसमें कुत्तों की ऊपरी चमड़ी निकालकर उसे पीटकर फिर रात भर मैरिनेट (गलाते) करते हैं और फिर पकाते हैं। एक अन्य रेसिपी में कुत्तों को जिंदा ही भून दिया जाता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिनके पति का हुआ निधन, उनको कहा – मुस्लिम से निकाह करो, धर्मांतरण के लिए प्रोफेसर ने ही दी रेप की धमकी: जामिया में...

'कॉल फॉर जस्टिस' की रिपोर्ट में भेदभाव से जुड़े इन 27 मामलों में कई घटनाएँ गैर मुस्लिमों के धर्मांतरण या धर्मांतरण के लिए डाले गए दबाव से ही जुड़े हैं।

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -