तमिलनाडु के ‘हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स (HR&CE)’ विभाग ने चेन्नई के पश्चिम मांबलम में स्थित ‘अयोध्या मंडपम्’ को अपने नियंत्रण में ले लिया है। 64 वर्ष पुराने इस स्थल को ‘अयोध्या अश्वमेध महा मंडपम्’ के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के बावजूद एमके स्टालिन की सरकार ने सोमवार (11 अप्रैल, 2022) को ये कार्यवाही की। कई राजनीतिक दलों ने स्थानीय लोगों के प्रदर्शन को समर्थन दिया है।
सोमवार के सुबह ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था, जो दोपहर तक और तेज़ हो गया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई लोगों को ‘रोकथाम गिरफ़्तारी’ में रखा। स्थानीय भाजपा की पार्षद उमा आनंदन भी इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थीं। उन्होंने तमिलनाडु की द्रमुक सरकार के इस फैसले को अवैध करार दिया। उन्होंने कहा कि ‘अयोध्या मंडपम्’ के देखभाल और रख-रखाव का कार्य ‘श्री राम समाज’ के जिम्मे रहा है।
स्थानीय लोगों ने कहा कि जनता ने अपने रुपए से इसे बनवाया है। यहाँ आए दिन धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं। इसके अलावा ‘राधा कल्याणम्’ और ‘होमम्’ भी नियमित तौर पर आयोजित किए जाते रहे हैं। यहाँ ‘अगम’ के हिसाब से पूजा-पाठ नहीं होता है, इसीलिए लोगों का कहना है कि ये पूर्ण रूप से ‘मंदिर’ की श्रेणी में नहीं आता। मंदिर पूजन समिति ने कहा कि इसके ट्रस्टी के रूप में सिर्फ एक प्रैक्टिसिंग हिन्दू की नियुक्ति की जा सकती है और कोई सरकारी अधिकारी इसकी जगह नहीं ले सकता।
लोगों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया। टेनमपेट के बालदंडयुद्धपाणी मंदिर में ‘एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (EO)’ की नियुक्ति को अवैध करार दिया गया था। ‘श्रीराम समाज’ इस मामले को लेकर मद्रास उच्च-न्यायालय पहुँचा है। इससे पहले एक याचिका ख़ारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘अयोध्या मंडपम्’ के मंदिर होने या नहीं होने का फैसला सूट के जरिए होगा। बताया जा रहा है कि यहाँ बड़ी मात्रा में दान आ रहे थे, इसीलिए ये फैसला लिया गया।
Being a part of the protest against the attempts of @tnhrcedept to unethical take over Ayodhya mandapam at Chennai. #DMK upset over fact that @BJP4TamilNadu won this corporators ward taken to this unprecedented dirty move. We shall fight! #JaiShreeRam pic.twitter.com/yh2HPgA3j7
— Vinoj P Selvam (@VinojBJP) April 11, 2022
HR&CE विभाग का कहना है कि इस जगह के प्रबंधन को लेकर कुप्रबंधन की कई खबरें आ रही थीं। पुलिस ने कई लोगों को सरकारी अधिकारियों के कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया। हालाँकि, बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि यहाँ दान मिलते हैं, इसीलिए ये मंदिर है। जबकि ‘श्रीराम समाज’ ने कहा कि यहाँ सिर्फ तस्वीरों की ही पूजा की जाती है, मूर्तियाँ नहीं हैं।