उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 12 नवम्बर 2023 से फँसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। सारे श्रमिक स्वस्थ हैं और उनसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बात भी की है। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान से लेकर इसके खत्म होने के बाद भी सिलक्यारा सुरंग के बाहर स्थापित किए गए बौखनाग देवता के मंदिर में पूजा-अर्चना जारी है।
#WATCH | International tunnelling expert, Arnold Dix offers prayers before local deity Baba Bokhnaag at the temple at the mouth of Silkyara tunnel after all 41 men were safely rescued after the 17-day-long operation pic.twitter.com/xoMBB8uK52
— ANI (@ANI) November 29, 2023
श्रमिकों के सफलतापूर्वक निकाले जाने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया था कि सरकार अब यहाँ बौखनाग देवता का मंदिर बनवाएगी। दरअसल, सुरंग में दुर्घटना होने के पश्चात स्थानीय लोगों ने बताया था कि जहाँ सुरंग बन रही है, वहाँ पर पहले बौखनाग देवता का एक स्थान था। इस स्थान को निर्माण कम्पनी ने तोड़ दिया था।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इसी कारण से देवता क्रोधित हो गए और यह हादसा हुआ। उनका मानना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान आईं बाधाएँ भी बौखनाग देवता के गुस्से के कारण ही हुई थीं। इस बात की जानकारी रेस्क्यू ऑपरेशन की टीम को हुई तो उन्होंने सुरंग के ठीक बाहर बौखनाग देवता के मंदिर की स्थापना करवाई।
सुरंग के बाहर स्थापित किए गए इस मंदिर में मुख्यमंत्री धामी, केन्द्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह और घटनास्थल पर पहुँचे अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स ने भी पूजा अर्चना की है। अर्नाल्ड ने ऑपरेशन शुरू होने से पहले और उसके खत्म होने बाद आज भी मंदिर में पूजा की।
जय बाबा बौख नाग!
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 29, 2023
बाबा की कृपादृष्टि सभी भक्तजनों पर बनी रहे, ऐसी कामना करता हूँ। pic.twitter.com/X1B1IzXVdb
स्थानीय लोगों ने कहा कि मंगलवार (28 नवंबर 2023) को रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने के तीन दिन पहले ही देवता ने रेस्क्यू ऑपरेशन करने वालों को संकेत दे दिया था कि इसमें अभी तीन दिन लगेंगे। रेस्क्यू ऑपरेशन एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स ने ऑपरेशन खत्म होने के बाद मंदिर में जाकर पूजा की है। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू सफल रहा है, इसलिए वे देवता को धन्यवाद ज्ञापित करने गए थे।
उत्तरकाशी बचाव अभियान के समाप्त होने के बाद अर्नोल्ड ने कहा कि भारत में बेहतरीन इंजीनियर हैं, उम्दा सेना है, सरकार की मदद हमारे साथ थी और हमें यक़ीन था कि हम सभी श्रमिकों को बाहर निकालने में सफल रहेंगे।#Uttarakhand #ArnoldDix #UttarkashiRescue pic.twitter.com/KAd2QLC5Ps
— The Pamphlet (@Pamphlet_in) November 29, 2023
कौन हैं बौखनाग देवता?
सुरंग से श्रमिकों को निकालने में जिन बौखनाग देवता की कृपा मानी जा रही है, वह यहाँ के खेत्रपाल देवता है। खेत्रपाल उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में उस क्षेत्र विशेष की रक्षा करने वाले देवता को कहा जाता है। खेत्रपाल शब्द ‘क्षेत्रपाल’ शब्द का स्थानीय गढ़वाली भाषा में रूपांतरण है, गढ़वाली में ‘क्ष’ अक्षर ‘ख’ बोला जाता है।
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में हिन्दू देवी-देवताओं से इतर स्थानीय देवी-देवताओं की बड़ी मान्यता है। यहाँ वन की रक्षा करने वाले वन देवता, क्षेत्र की रक्षा करने वाले खेत्रपाल और अन्य स्थानीय देवताओं की पूजा की जाती है। हालाँकि, पूरे देश में क्षेत्र विशेष के देवता होते हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
स्थानीय लोग बताते हैं यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी देवताओं का एक निश्चित स्थान पर भव्य मंदिर बना हो। कहीं-कहीं स्थानीय देवता के नाम पर मात्र किसी पत्थर की भी पूजा हो सकती है। जहाँ पर यह सुरंग हादसा हुआ है, वहाँ भी कोई भव्य मंदिर नहीं बना था।
बौखनाग देवता के अलावा इस क्षेत्र में ऐसे कई देवता हैं, जिन्हें नागराजा और अन्य नामों से जाना जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नाग शब्द वाले देवताओं का संबंध भगवान विष्णु की शैया के रूप से सेवा देने वाले भगवान शेषनाग से है।