Friday, November 15, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयबाप की मौत, माँ डिटेंशन कैंप में... बेटी को जबरन भेजा हॉस्टल: चीन में...

बाप की मौत, माँ डिटेंशन कैंप में… बेटी को जबरन भेजा हॉस्टल: चीन में 5 लाख उइगर बच्चों की कहानी

उइगर आबादी की इस्लाम में आस्था को कमज़ोर करना चीन की रणनीति है। इसके लिए चीन की सरकार बच्चों को टारगेट कर रही है। उनके बच्चों को बोर्डिंग स्कूलों में रखा जा रहा है, जिससे वो शुरू से ही अपने मज़हब से दूर हो जाएँ।

चीन में डिटेंशन कैंंप की आड़ में लाखों उइगर और कजाक मुस्लिमों को क़ैद कर रखा गया है, जहाँ उन्हें कई तरह से प्रताड़ित किया जाता है। शुरुआत में इन ख़बरों का खंडन करने के बाद अब चीन ने स्वीकार कर लिया है कि वो मुस्लिमों को व्यावसायिक प्रशिक्षण मुहैया कराने के लिए ट्रेनिंग कैंप में भेजता है। हालाँकि, इसका मक़सद इस समुदाय की कट्टरता को ख़त्म करना और उनका दमन करना है। डिटेंशन सेंटर में भेजे गए मुस्लिमों के बच्चों को चीन के सरकारी-बोर्डिंग स्कूलों में रखा गया है, जिससे उनमें बचपन से ही कट्टरता की भावना को पनपने से रोका जा सके। ऐसे बच्चों की संख्या लगभग पाँच लाख है।

चीन के शिनजियांग प्रांत में ऐसे सैकड़ों बोर्डिंग स्कूल खुले हुए हैं, जिनमें उइगर बच्चों को रखा जा रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की ख़बर के अनुसार, ऐसा ही एक मामला पहली कक्षा में पढ़ने वाली एक छोटी बच्ची का है। उसके क्लास के दोस्त उसे बहुत प्यार करते हैं और वह पढ़ने-लिखने में भी अच्छी है, लेकिन वह अकेले में रोया करती है। दरअसल, वह अपनी माँ के पास जाना चाहती है, जिसे चीन में एक डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। उसके पिता का देहांत हो चुका है।

मगर, प्रशासन ने बच्ची को उसके दूसरे नज़दीकी रिश्तेदारों को सौंपने के बजाय बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि बीते तीन सालों में क़रीब 10 लाख से अधिक उइगर और कज़ाक मुस्लिमों को डिटेंशन कैंपों में रखा गया है। इसका मक़सद उइगर आबादी की इस्लाम में आस्था को कमज़ोर करना है। इसके साथ-साथ चीन की सरकार समाज के बच्चों को टारगेट कर रही है। लिहाज़ा, उनके बच्चों को बोर्डिंग स्कूलों में रखा गया, जिससे वो शुरू से ही अपने मज़हब से दूर हो जाएँ।

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि ऐसे स्कूलों को ग़रीब बच्चों के लिए तैयार किया गया है, जिनके परिजन सुदूर इलाक़ो में काम करते हैं और उनकी देखभाल करने में असमर्थ हैं। हालाँकि, 2017 के एक दस्तावेज़ के अनुसार, सरकार चाहती है कि बच्चों को उनके परिवारों से दूर रखा जाए, जिससे उनके परिवार का प्रभाव उन बच्चों पर न पड़े। शिनजियांग प्रांत की सरकार की ओर से जारी एक दस्तावेज़ के अनुसार, अगले साल के अंत तक सूबे के 800 से अधिक इलाक़ो में ऐसे एक या दो स्कूल खोलने की योजना है।

उइगरों को लेकर चीन के कारनामे लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में एक ख़बर सामने आई थी जिसमें डिटेंशन सेंटर से आई कई महिलाओं ने दावा किया था कि वहाँ उइगर महिलाओं को बुरी तरह प्रताड़ित किया जा रहा है।

मानवाधिकार संगठनों और विश्लेषकों का कहना है कि चीन की सरकार के सख्त नियंत्रण वाले उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में क़रीब 10 लाख उइगरों को हिरासत कैंपों में रखकर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। हालाँकि, चीन उइगरों के लिए इन केंद्रों को आतंकवाद निरोधी क़दम के तौर पर देखता है जहाँ पर क़ैदियों को मंदारिन और चीनी क़ानून पढ़ाया जाता है।

फ़िरोज़ा ने बताया उइगरों का हो रहा बलात्कार, वायरल हुआ वीडियो, TikTok ने किया ब्लॉक

रेप, गर्भपात, गुप्तांगों में मिर्ची का पेस्ट: चीन में उइगरों की स्थिति, सामने आया Video, पढ़ें आपबीती

अमेरिका ने चीन की 28 संस्थाओं को किया ब्लैकलिस्ट, उइगरों के साथ अत्याचार करने पर लिया एक्शन

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिनके पति का हुआ निधन, उनको कहा – मुस्लिम से निकाह करो, धर्मांतरण के लिए प्रोफेसर ने ही दी रेप की धमकी: जामिया में...

'कॉल फॉर जस्टिस' की रिपोर्ट में भेदभाव से जुड़े इन 27 मामलों में कई घटनाएँ गैर मुस्लिमों के धर्मांतरण या धर्मांतरण के लिए डाले गए दबाव से ही जुड़े हैं।

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -