नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई का कश्मीर प्रेम एक बार फिर से जाएगा है। मलाला ने एक के बाद एक 7 ट्वीट्स कर जम्मू कश्मीर को लेकर रोना रोया। हालाँकि, बलूचिस्तान में पाक फ़ौज द्वारा किए जा रहे अत्याचारों पर वह चुप रहीं। मलाल को ट्विटर पर लोगों ने याद दिलाया कि पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा मानवाधिकार हनन की बातें सामने आते रहती हैं, वह उस पर भी कुछ कहें। आइए, सबसे पहले देखते हैं कि मलाला ने अपनी ट्वीट्स कर क्या लिखा?
मलाला यूसुफजई ने लिखा कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों में ऐसे लोगों से बात की हैं, जो कश्मीर में रह रहे हैं या फिर वहाँ कार्यरत हैं। इनमें छात्र, पत्रकार और मानवाधिकार वकील शामिल हैं। मलाला ने लिखा कि वह कश्मीर की लड़कियों से सीधे बातचीत करना चाहती थीं। उन्होंने ‘कम्युनिकेशन ब्लैकआउट’ का हवाला देकर लिखा कि लोगों से बात करने में काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। मलाला ने आरोप लगाया कि कश्मीर को दुनिया से अलग-थलग कर दिया गया है और उनकी आवाज़ बाहर नहीं जाने दी जा रही।
I wanted to hear directly from girls living in Kashmir right now. It took a lot of work from a lot of people to get their stories because of the communications blackout. Kashmiris are cut off from the world and unable to make their voices heard. #LetKashmirSpeak
— Malala (@Malala) September 14, 2019
मलाला के अनुसार, कश्मीरी लड़कियों ने उन्हें बताया कि कश्मीर की ताज़ा स्थिति को बयान करने का सबसे अच्छा तरीका है- सिर्फ़ ख़ामोशी। कश्मीरी लड़कियों ने मलाला को कथित रूप से बताया कि उन्हें ख़ुद नहीं पता कि उनके साथ क्या किया जा रहा है? मलाला की मानें तो लड़कियों को उनके घरों की खिड़कियों से केवल सेना की पदचाप सुनाई दे रही है और उन्हें काफ़ी डर लग रहा है। मलाला के अनुसार, उन कश्मीरी लड़कियों ने उनसे कहा:
“मैं ख़ुद को निरर्थक और खिन्न महसूस कर रही हूँ। ऐसा इसीलिए क्योंकि मैं स्कूल नहीं जा सकती। 12 अगस्त को परीक्षाएँ थीं और मैं स्कूल नहीं जा पाई। अब मेरा भविष्य असुरक्षित है। मैं एक लेखिका बनना चाहती हूँ और स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहती हूँ। मैं एक सफल कश्मीरी महिला बनना चाहती हूँ। जैसा चल रहा है, उस हिसाब से यह और कठिन होता जा रहा है।”
“I feel purposeless and depressed because I can’t go to school. I missed my exams on August 12 and I feel my future is insecure now. I want to be a writer and grow to be an independent, successful Kashmiri woman. But it seems to be getting more difficult as this continues.”
— Malala (@Malala) September 14, 2019
कश्मीरी लड़कियों ने कथित रूप से मलाला को बताया कि उन्हें लगता है कि ‘जो लोग उनके लिए आवाज़ उठाते हैं, वह उनकी आशाओं को जीवित रखने का कार्य करते हैं।‘ मलाला के अनुसार, लड़कियों ने उन्हें बताया कि दशकों से कश्मीर जिस दुर्गति में है, वे सभी उससे मुक्त होने के इंतजार कर रही हैं। इसके बाद मलाला ने बिना सबूतों के दावा किया कि बच्चों सहित 4000 लोगों को गिरफ़्तार कर जेल में बंद कर दिया गया है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि बच्चे 40 दिनों से स्कूल नहीं जा पाए हैं और लड़कियाँ घर से निकलने में डर रही हैं।
I am deeply concerned about reports of 4,000 people, including children, arbitrarily arrested & jailed, about students who haven’t been able to attend school for more than 40 days, about girls who are afraid to leave their homes.
— Malala (@Malala) September 14, 2019
मलाला यूसुफजई यहीं नहीं रुकीं बल्कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली से मामले का संज्ञान लेने की अपील की। उन्होंने वैश्विक नेताओं से कहा कि ‘कश्मीर में शांति’ के लिए प्रयास करें। मलाला ने कश्मीरी आवाज़ों को सुनने की अपील करते हुए बच्चों को स्कूल पहुँचाने की बात कही। हालाँकि, प्रशांत पटेल ने उन्हें याद दिलाया कि सिंध में हिन्दू व सिख लड़कियों के धर्मान्तरण की ख़बरों पर भी टिप्पणी करें। जबरन इस्लामिक धर्मान्तरण का शिकार सिख लड़कियों से भी मलाला को बात करनी चाहिए।
Kindly spend few minutes to speak with minority minor girls in #Sindh who are being converted & persecuted daily, otherwise it would expose your hypocrisy.
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) September 14, 2019
मलाला यूसुफजई ने कश्मीर पर बयान देकर पाकिस्तानी नैरेटिव को ही आगे बढ़ाया है क्योंकि भारतीय सेना को बिना नाम लिए उन्होंने बदनाम करने की कोशिश की है। भारत के कई नेता, यहाँ तक कि कश्मीरी राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद भी कश्मीर होकर आए लेकिन मलाला का बयान इससे बिलकुल अलग है। कश्मीर से हज़ारों मील दूर बैठ कर बयान देने वाली मलाला को यह भी जानना चाहिए कि भारतीय सेना लगातार सीमावर्ती गाँवों में बच्चों को पाकिस्तान की तरफ से होने वाले फायरिंग से बचाने में लगी है।
पाक अधिकृत कश्मीर के समाजसेवी पाकिस्तानी फ़ौज पर अत्याचार का आरोप लगा रहे हैं। परमाणु बम की धमकी पाकिस्तान से आ रही है। वीडियो फुटेज में पाकिस्तानी सेना घुसपैठ करती दिख रही है। बलूचिस्तान के में नरसंहार हो रहा है और नेताओं को पाकिस्तान से बाहर रहना पड़ रहा है। इस्लामिक राष्ट्रों तक ने पाकिस्तान को समर्थन देने से हाथ खींच लिया है। रूस और अमेरिका सहित सभी प्रमुख देशों ने इसे भारत का आंतरिक मुद्दा बताया है। लेकिन, मलाल यह कि मलाला को बलूचिस्तान में निर्दोषों पर अत्याचार और सिंध में लड़कियों का जबरन इस्लामिक धर्मान्तरण नहीं दिखता।
मलाला इससे पहले भी कश्मीर पर बयान दे चुकी हैं। न तो उन्होंने ग्राउंड जीरो पर आकर किसी से संपर्क किया है और न ही इस सम्बन्ध में उनकी किसी योजना के बारे में पता चला है। मलाला ने अपने बयानों के लिए कोई सबूत भी नहीं दिए। कई फॉरेन मीडिया को कश्मीर पर एडिटेड और डॉक्टरेड क्लिप्स और फोटोज चलते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है। मलाला यूसुफजई को अगर सच में कश्मीर की चिंता है तो उन्हें पाक अधिकृत कश्मीर की होनी चाहिए, जहाँ शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था तक की हालत बदतर है।
पाकिस्तान में सिर्फ़ पिछले 1 साल में 1000 से भी अधिक हिन्दू व ईसाई लड़कियों का जबरन इस्लामिक धर्मान्तरण कर दिया गया लेकिन मलाला ने इनमें से एक से भी बात नहीं की जबकि वो उन्हीं का देश है। बात करना तो दूर, उन्होंने इसके लिए आवाज़ भी नहीं उठाई। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में ही ऐसा सामने आया है।