Thursday, March 28, 2024
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बजरंग पूनिया ने अपने नाम किया कांस्य पदक: माँ ने रखा था शिवरात्रि का व्रत, पिता ने कहा था – खाली हाथ नहीं आएगा बेटा

खुड्डन गाँव निवासी बजरंग पूनिया का परिवार उनके बेहतर प्रशिक्षण के लिए सोनीपत शिफ्ट हो गया था। अपने गुरु योगेश्वर दत्त से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला।

बजरंग पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाई दी है। उन्होंने कजाकस्तान के दौलेट नियाज़बेको को ब्रॉन्ज मेडल (कांस्य पदक) के मुकाबले में हराया।

टोक्यो ओलंपिक में भारत के पहलवान बजरंग पूनिया का मुकाबला आज शनिवार (7 अगस्त, 2021) को कजाकस्तान के दौलेट नियाज़बेको से हुआ। बजरंग पूनिया की माँ ने अपने बेटे की जीत के लिए शिवरात्रि का व्रत रखा था। वहीं उनके पिता भी अपने बेटे की जीत को लेकर आश्वस्त थे। उन्होंने भरोसा जताया था कि बेटा देश के लिए मेडल ज़रूर लेकर आएगा। उनके पिता ने ही उन्हें पहलवानी का ककहरा सिखाया था।

इससे पहले सेमीफाइनल में बजरंग पूनिया को हार मिली थी। लेकिन, उस मैच में भी उन्होंने वापसी का पूरा प्रयास किया था। इससे पहले हुए दो मैचों में उनका प्रदर्शन शानदार रहा था। इससे पहले बजरंग पूनिया पिछले 10 अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पदक जीतने में कामयाब रहे थे। उन्होंने 6 स्वर्ण, 3 रजत और 1 कांस्य पदक अपने नाम किया था। बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में गए मनु भाकर, सुमित नागल, दीपक पूनिया और राहुल रोहिल्ला झज्जर के ही हैं।

याद दिलाते चलें कि बजरंग पूनिया ने 65 किलोग्राम फ्रीस्टाइल के क्वार्टर फाइनल में इरान के मोर्तेजा चेका को 2-1 से हरा कर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। खुड्डन गाँव निवासी बजरंग पूनिया का परिवार उनके बेहतर प्रशिक्षण के लिए सोनीपत शिफ्ट हो गया था। अपने गुरु योगेश्वर दत्त से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। बजरंग पूनिया के पिता ने मैच से पहले बताया था कि सुबह उनकी बेटे से बात हुई थी।

इस बातचीत में पिता ने बजरंग पूनिया को बताया था कि उन्होंने पिछले तीनों मैच देखे हैं और उन्हें लगता है कि वो अपना गेम नहीं खेल रहे हैं। पिता ने नोटिस किया था कि बजरंग पूनिया सटीक अटैक नहीं कर पा रहे हैं। अजरबैजान के हाजी अलीयेव ने बजरंग पूनिया को सेमीफाइनल में 12-5 से हरा दिया था, जिसके बाद उनकी गोल्ड और सिल्वर की उम्मीदें ख़त्म हो गई थीं। बजरंग पूनिया के पिता ने कहा था कि वो खाली हाथ नहीं लौटेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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