भारत ने 29 जून, 2024 को बार्बाडोस में आयोजित T20 विश्वकप फाइनल जीत लिया। रोहित शर्मा की कप्तानी वाली टीम ने कांटे के खिताबी मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 7 रनों से मात दे दी। इसी के साथ कप्तान रोहित शर्मा और पूर्व कप्तान विराट कोहली ने क्रिकेट के T20 प्रारूप से संन्यास लेने की घोषणा कर दी।
फाइनल मुकाबले में 35 वर्षीय विराट कोहली ने 58 गेंदों पर खेलते हुए 76 रन बनाए। उनके रनों के कारण भारत लड़ने लायक स्कोर तक पहुँच सका। इसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ़ द मैच का ख़िताब भी दिया गया। प्लेयर ऑफ़ द मैच खिताब पाने के बाद दिल्ली में जन्मे बल्लेबाज ने साफ़ कर दिया कि यह उनका आखिरी T20 मैच था।
विराट कोहली ने कहा, “यह मेरा आखिरी T20 विश्वकप था। हमने वो पा लिया, जो सोचा था। जिस दिन जरूरत थी, मैंने अपना काम कर दिया। ईश्वर महान है, मैं अपना सर झुकाता हूँ। अब अगली पीढ़ी के कमान संभालने का मौका आ गया है।”
सलामी बल्लेबाज विराट कोहली का T20 करियर उपलब्धियों से भरा रहा है। उन्होंने 2010 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय T20 मैच खेला था। उन्होंने क्रिकेट के इस तेजतर्रार प्रारूप में 125 मैच खेले हैं, जिनमें से 117 में उन्होंने बल्लेबाजी की है। इन मैचों में उन्होंने 4188 रन बनाए हैं। वह रन बनाने के मामले में विश्व क्रिकेट में दूसरे नंबर पर रहे हैं।
T20 प्रारूप में उनके नाम 1 शतक और 38 अर्धशतक हैं। उनका स्ट्राइक रेट 137 जबकि औसत 48 का रहा है। उनके नाम इस प्रारूप में 369 चौके और 124 छक्के हैं। अपने T20 करियर के दौरान उन्होंने दुनिया की सबसे मजबूत टीम मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 794 रन बनाए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के विरुद्ध भी उन्होंने 492 रन बनाए हैं।
अब अपने संन्यास के बाद वह अंतरराष्ट्रीय T20 क्रिकेट नहीं खेलेंगे। वह इस प्रारूप के महानतम बल्लेबाजों में से एक रहे हैं। उनके संन्यास का निर्णय सबको चौंका गया है। उनके संन्यास पर अधिकांश विश्लेषकों ने कहा है कि यह एक सम्मानपूर्ण संन्यास है, और विश्वकप जीतने के बाद इसके ऐलान से अच्छा मौक़ा और कोई नहीं हो सकता था।
कप्तान रोहित शर्मा ने भी टांग दिए जूते
T20 विश्वकप में भारत को शानदार सफलता दिलाते हुए जिताऊ कप्तान रोहित शर्मा ने भी ट्रॉफी पाने के बाद अपने संन्यास का ऐलान कर दिया है। विराट कोहली के बाद उन्होंने साफ़ किया कि वह अब अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत की तरफ से नहीं खेलेंगे।
उन्होंने कहा, “मैंने जब से क्रिकेट का यह प्रारूप खेलना चालू किया है, मैंने इसको एन्जॉय किया है। यहाँ जीत के बाद इसे अलविदा कहने का सबसे अच्छा समय है। मैंने भारत के लिए खेलना ही इस प्रारूप से चालू किया था। मैं यह ट्रॉफी जीत कर इसे अलविदा कहना चाहता था, अब वह समय आ गया है।”
भारत के लिए 13 वर्षों के बाद विश्वकप का सूखा खत्म करने वाले रोहित शर्मा इस T20 प्रारूप में सबसे सफल बल्लेबाज हैं। वह 4231 रनों के साथ सबसे इस प्रारूप में सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। उनसे पीछे विराट कोहली हैं। उन्होंने इस प्रारूप में संन्यास लेने से पहले 159 मैच खेले हैं। उनके इस प्रारूप में पाँच शतक और 32 अर्धशतक हैं।
उनका T20 में औसत 42 जबकि स्ट्राइक रेट 140 का रहा है। रोहित शर्मा इस प्रारूप में 200 छक्के लगाने वाले अकेले बल्लेबाज हैं। उनके नाम 205 छक्के हैं। उन्होंने अपना करियर T20 बल्लेबाज के तौर पर ही शुरू किया था। उन्होंने पहला मैच 2007 में इंग्लैंड के विरुद्ध खेला था।
रोहित शर्मा ने 62 T20 मैच में भारत की कप्तानी की है। इनमें से उन्होंने 50 मैच जिताए हैं। वह विश्व के पहले ऐसे कप्तान हैं, जिन्होंने यह कारनामा किया है। 17 वर्ष के अपने करियर में उन्होंने काफी उतार चढ़ाव देखे हैं। उनकी गिनती भारत के सफलतम कप्तानों में होगी। विश्वकप जीतने के साथ ही वह महेंद्र सिंह धोनी और कपिल देव वाली श्रृंखला में शामिल हो गए हैं।
भारत को विश्वकप दिलाने के बाद रोहित शर्मा का संन्यास की घोषणा करना काफी सराहा गया है। विश्लेषकों ने कहा है कि रोहित शर्मा ने अपना कर्तव्य निभाने के बाद ही टीम इंडिया को अलविदा कहा है और यह सबसे सम्मानपूर्ण तरीका भी था।
जीत से शुरुआत और जीत से खत्म
2007 का T-20 वर्ल्ड कप रोहित शर्मा के लिए पहला बड़ा स्टेज था। ICC इवेंट, वर्ल्ड कप, डेब्यू T-20 इंटरनेशनल… बिल्कुल सपना सच होने जैसा। डेब्यू मैच में बल्ले से खेल तो नहीं पाए लेकिन एक मस्त रिकॉर्ड को बनते देखा। 6 बॉल पर 6 छक्का। युवराज सिंह की वो पारी रोहित के डेब्यू मैच की ही थी।
मतलब स्टेज सेट था। सीनियर खिलाड़ी ने ताबड़तोड़ राह भी दिखा ही दी थी। ऐसे में आया रोहित शर्मा के बल्ले का स्वाद चखने वाला मैच। सामने थी दक्षिण अफ्रीकी टीम। सहवाग, गंभीर, कार्तिक जैसे बड़े नाम सिर्फ 5 ओवर में पवेलियन लौट चुके थे।
लड़के जैसी शक्ल लेकर उतरे रोहित ने उस दिन अपने बैट से रन नहीं, अपनी तकदीर लिख दी थी। पहले उथप्पा, फिर धोनी के साथ उसने साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों को बैटिंग का दर्शन-शास्त्र पढ़ाया था। 33 पर 3 विकेट, 61 रनों पर 4 विकेट गँवा चुकी टीम को 153 के स्कोर तक पहुँचाया था।
रोहित शर्मा के लिए शायद इतना काफी नहीं था। टीम को उसने कुछ और भी देने की ठानी थी। रन चेज करते हुए साउथ अफ्रीका की हालत वैसे तो पतली ही थी, लेकिन उसमें एक और कील रोहित ने ठोंक दी। जस्टिन केंप नाम का एक दरिंदा बैट्समैन था।
भारत के ही खिलाफ 89 गेंदों में 100 रन मार चुका था कुछ महीने पहले। इससे पहले कि इस मैच में वो भारत के खिलाफ कुछ करता, रोहित ने हवा में उड़ते हुए इसे रन-आउट करके चोकर्स का तमगा इसकी टीम पर ठोंक दिया था। अब 17 वर्षों के अंतर पर फिर एक बार उन्होंने भारत को प्रसन्न होने का मौक़ा देकर अलविदा कह दिया है।