2020 कई मामलों में क्रूर था। देश और दुनिया के बहुत से लोगों ने इस साल दुनिया को अलविदा कहा। इस साल की करवट में बहुत से नाम मिट गए, चाहे राजनेता हों या गायक और अभिनेता, कई बड़े नाम 2020 में इस दुनिया से चले गए। हर व्यक्ति का जाना खुद में कष्टदायी था लेकिन कई नाम ऐसे भी थे, जिनके जाने की शायद ही किसी ने कल्पना की होगी, पर यह 2020 था! महामारी के बाद शायद ये दूसरी सबसे बड़ी वजह होगी 2020 को चाहते हुए भी नहीं भूल पाने की। आखिर कौन कल्पना करता है कि उसका पसंदीदा फ़नकार या नेता दुनिया छोड़ सकता है।
धर्मपाल गुलाटी
मसाला कंपनी ‘महाशय दी हट्टी’ (एमडीएच) के मालिक धर्मपाल गुलाटी का निधन भी 2020 में ही हुआ। धर्मपाल गुलाटी पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे लेकिन वो उससे उबर चुके थे। इसके बाद हार्ट अटैक से उनका निधन 3 दिसंबर 2020 को सुबह 5:38 पर हुआ था। उन्हें व्यापार और उद्योग खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। मसालों के इतने बड़े व्यापार को स्थापित करने वाले धर्मपाल गुलाटी सिर्फ चौथी तक पढ़े थे।
पाँचवीं में फेल होने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी। देश के विभाजन के बाद 27 सितम्बर 1947 को इनका परिवार भारत आकर दिल्ली में रहने लगा। दिल्ली आकर इन्होंने न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड और करोल बाग से बड़ा हिन्दू राव तक तांगा चलाने का काम किया। तांगा चलाने वाले धर्मपाल गुलाटी ने कुछ पैसे बचा कर मसालों का काम करोल बाग से शुरू किया। 1953 में इन्होंने एक दूसरी दुकान चांदनी चौक में ली। और 1959 में इन्होंने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसालों की एक फैक्ट्री लगा दी। इसके बाद MDH ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
पंडित जसराज
2020 में ही शास्त्रीय संगीत के ‘रसराज’ पंडित जसराज का निधन हुआ। लोकप्रिय भारतीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का निधन अगस्त 17, 2020 को अमेरिका के न्यूजर्सी में कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ था। वह इस साल जनवरी में 90 साल के हो गए थे। पद्म विभूषण पंडित जसराज पिछले कुछ समय से अपने परिवार के साथ अमेरिका में ही थे। उन्होंने कोरोना वायरस के बीच जारी लॉकडाउन के कारण अमेरिका में ही रुकने का फैसला लिया था। लगभग 80 वर्षों के संगीतमय करियर के दौरान, पंडित जसराज भारतीय शास्त्रीय संगीत के शीर्ष पर रहे और पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों का प्राप्त किया था। उन्होंने शास्त्रीय गायकों की एक पीढ़ी का प्रतिनिधित्व किया था।
प्रणब मुखर्जी
लंबे समय से अस्वस्थ्य चल रहे भारत के पूर्व राष्ट्र्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन भी 2020 में ही हुआ। इसके पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की हालत गंभीर बनी हुई थी और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। वह भारत के 13वें राष्ट्रपति थे और 26 जनवरी 2019 को उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ सम्मान ‘भारत रत्न’ से सुशोभित किया गया था। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के छोटे से गाँव में जन्मे प्रणब मुखर्जी भले काफी समय तक कॉन्ग्रेस से जुड़े थे लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सभी राजनीतिक दलों के चहेते थे। उनका राजनीतिक जीवन काफ़ी लंबा था, यूपीए सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री बनने से लेकर एनडीए सरकार में राष्ट्रपति बनने तक, प्रणब मुखर्जी हर मौके पर देश के लिए खड़े नज़र आए।
जसवंत सिंह
भारत के पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वयोवृद्ध नेता रहे जसवंत सिंह का निधन सितम्बर 27, 2020 की सुबह हुआ था। भाजपा नेता जसवंत सिंह ने वाजपेयी सरकार में रक्षा, वित्त और विदेश जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभाला था। जसवंत सिंह भारतीय सेना में भी सेवा दे चुके थे। उन्होंने 60 की दशक के अंत में ही राजनीति में कदम रखा था लेकिन जनसंघ में आने के बाद उन्हें सफलता मिलनी शुरू हुई और 1980 में वो राज्यसभा सांसद के रूप में संसद पहुँचे। केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने कई आर्थिक सुधारों को गति दी। वहीं विदेश मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भारत-पाकिस्तान के तनाव का काल था, जिससे वो बखूबी निपटे।
रामविलास पासवान
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन 8 अक्टूबर 2020 को नई दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में हुआ। चुनावों से पहले ही किसी पार्टी की लहर को पहचान लेने वाले व ‘मौसमी विज्ञानी’ कहे जाने वाले राम विलास पासवान सर्वप्रथम 1969 में विधायक चुने गए थे। वह केंद्र की मोदी सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री थे। उनका निधन 74 वर्ष की आयु में हुआ था। रामविलास पासवान का जन्म बिहार के खगड़िया जिले के शाहरबन्नी गाँव में हुआ था।
उनकी पहली पत्नी राजकुमारी से उन्हें उषा और आशा नाम की दो बेटियाँ हैं। रामविलास पासवान 32 सालों में 11 चुनाव लड़ चुके थे। उनमें से 9 जीत भी चुके हैं। उन्हें 6 प्रधानमंत्री के साथ काम करने का अनुभव था। रामविलास पासवान के सियासी अनुभव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से पहले ही सियासत में आ गए थे। 1977 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े पासवान ने चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर रिकॉर्ड बनाया था। इसके बाद 2014 तक वे आठ बार आम चुनावों में जीते थे।
अहमद पटेल
कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का निधन 25 नवंबर 2020 को 71 साल की उम्र में हुआ। अहमद पटेल सोनिया गाँधी के सबसे करीबी सलाहकारों में शामिल थे। उनकी गिनती पार्टी के दिग्गज नेताओं में होती थी। वह राज्यसभा सांसद और पार्टी के कोषाध्यक्ष भी थे। हालाँकि वह कई विवादों से भी घिरे रहे। अहमद पटेल के बेटे फ़ैसल पटेल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने स्टर्लिंग बायोटेक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब किया था। ED संदेसरा बंधुओं के साथ फ़ैसल पटेल के संबंधों की भी जाँच कर रही है।
3600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे घोटाले में आरोपित राजीव सक्सेना ने पूछताछ में कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल और सलमान खुर्शीद तथा कमलनाथ के पुत्र बकुल नाथ के नाम लिए थे।
मोतीलाल वोरा
कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हुआ। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, वोरा छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य थे। उन्होंने 2018 तक 16 वर्षों के लिए अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी (AICC) के कोषाध्यक्ष के रूप में भी काम किया था। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी द्वारा फेरबदल के बाद यह पद एक अन्य वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को सौंप दिया गया था।
1995 के यूपी के कुख्यात गेस्ट हाउस कांड के समय मोतीलाल वोरा ही गवर्नर थे। मोतीलाल वोरा नेशनल हेराल्ड मामले में भी सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, ऑस्कर फर्नाडीज, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडिया कंपनी के साथ आरोपित थे। मोतीलाल वोरा AJL के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। इस कंपनी पर गाँधी परिवार का दखल है। यही AJL ही नेशनल हेराल्ड अखबार को चलाता है।
इरफ़ान खान
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता इरफान खान ने भी 2020 में ही दुनिया को अलविदा कहा। इरफान मतलब फिल्मों की दुनिया का ऐसा नाम, जिससे शायद ही कोई नफरत करता हो। इरफ़ान उन चुनिंदा कलाकारों में एक थे, जिन्होंने बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड में भी उतना ही प्यार और सम्मान कमाया। बॉलीवुड में पान सिंह तोमर, अंग्रेजी मीडियम, मकबूल, हासिल, हिन्दी मीडियम, रोग जैसी फिल्में की तो हॉलीवुड में स्लमडॉग मिलियेनर, लाइफ ऑफ़ पाई और द अमेज़िंग स्पाइडरमैन जैसी की। ज्ञात हो कि इरफान खान न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जंग लड़ रहे थे। इसी कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
ऋषि कपूर
इरफ़ान खान की मृत्यु के कुछ ही दिन बाद बॉलीवुड के मशहूर दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर का भी निधन हो गया। अमेरिका के कैंसर अस्पताल में ऋषि कपूर ने 11 महीने और 11 दिन गुजारे थे यानी उन्होंने लगभग 2 साल तक कैंसर से जंग लड़ी। 67 साल के ऋषि कपूर पिछले साल सितंबर में ही न्यूयॉर्क से कैंसर का इलाज करवाने के बाद भारत लौटे थे। ऋषि कपूर को 2018 में कैंसर का पता चला था। जिसके बाद वो इलाज के लिए न्यूयॉर्क चले गए। वह एक अभिनेता के अलावा निर्माता और निर्देशक भी थे। ‘मेरा नाम जोकर’ से लेकर ‘दो दूनी चार’ तक लगभग चार दर्शक के फ़िल्मी करियर में उन्होंने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
सुशांत सिंह राजपूत
2020 में दुनिया को अलविदा कहने वाला एक और फ़िल्मी सितारा, जिसने कथित तौर पर अपने फ़्लैट में फाँसी लगा कर आत्महत्या कर ली। धारावाहिकों में काम करने के बाद सिने जगत में क़दम रखने वाले सुशांत का अकादमिक करियर भी अच्छा रहा था। उन्होंने AIEEE में काफ़ी अच्छी रैंक हासिल की थी। सुशांत सिंह राजपूत ने सबसे पहले ‘किस देश में है मेरा दिल’ नाम के धारावाहिक में काम किया था पर वो एकता कपूर के धारावाहिक ‘पवित्र रिश्ता’ से लोकप्रिय बने। तत्पश्चात उन्होंने फिल्मों का सफर शुरू किया था। सुशांत फिल्म ‘काय पो छे’ में मुख्य अभिनेता के रूप में दिखे थे। उस फिल्म में उनके अभिनय की तारीफ भी हुई थी। हाल ही में उन्होंने ‘सोनचिड़िया’ और ‘छिछोरे’ जैसी फिल्मों में काम किया था, जिसे समीक्षकों ने सराहा था। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद भी एक फिल्म आई थी – ‘दिल बेचारा’ जिसे IMDB पर सबसे ज़्यादा रेटिंग मिली थी।