Thursday, April 25, 2024
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जब ट्रेन की सीट के नीचे छिप गए थे सिद्धू और सभी सिख खिलाड़ी… चेतन चौहान ने दंगाई भीड़ से बचाई थी जान

एक दंगाई ने चेतन चौहान पर चिल्लाते हुए कहा कि वो लोग सिर्फ सरदारों को खोजने के लिए आए हैं और उन्हें कुछ भी नहीं किया जाएगा। इस पर चेतन चौहान ने पलट कर जवाब देते हुए कहा कि ये सभी उनके भाई हैं और कोई भी दंगाई उन्हें छू भी नहीं सकता। इसके बाद...

उत्तर प्रदेश के मंत्री और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान का कोरोना वायरस के कारण रविवार (अगस्त 16, 2020) को निधन हो गया। वो अमरोहा से 2 बार सांसद रहे थे और 2017 में विधायक बनने के बाद उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाया गया था। वो NIFT के अध्यक्ष भी रहे थे। आज हम उन्हें लेकर ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जब उन्होंने सिख दंगों के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू समेत सिख खिलाड़ियों को दंगाइयों से बचाया था।

चेतन चौहान टूटे हुए जबड़ों के साथ रणजी ट्रॉफी में शतक लगाने के लिए जाने जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया में तो उन्होंने डेनिस लिली और जेफ़ थॉमसन को उनके घर में ही टूटे अंगूठे के साथ खेला था। ये जाँबाज खिलाड़ी न सिर्फ क्रिकेट पिच पर बल्कि बाहर भी बहादुर था। 73 साल की उम्र में कोरोना के कारण हुई बीमारियों से उनका निधन हो गया। वो 4 दशक से भी अधिक समय से राजनीति में सक्रिय थे।

अक्टूबर 31, 1984 में इंदिरा गाँधी की हत्या हुई और उसके बाद पूरे देश में कॉन्ग्रेस नेताओं ने सिख दंगों को भड़काया, जिसमें कई बड़े नेताओं पर भी आरोप लगे। जहाँ जगदीश टाइटलर और सज्जन सिंह जैसों ने इसके लिए जेल की हवा खाई, वहीं कमलनाथ जैसे लोगों पर अभी भी आरोप लगते हैं कि वो जेल में क्यों नहीं हैं। ये कहानी उसी सिख दंगों के दौरान की है, जब नवजोत सिंह सिद्धू, राजिंदर सिंह और योगराज सिंह जैसे क्रिकेटर ट्रेन से जा रहे थे।

ये तीनों ही सिख हैं। जहाँ योगराज सिंह लोकप्रिय ऑलराउंडर युवराज सिंह के पिता हैं, वहीं नवजोत सिंह सिद्धू वही हैं, जिन्होंने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के पाँव छुए थे और पंजाब में पार्टी की सरकार बनने पर मंत्री बने।

कहानी तब की है, मतलब 1984 की। उस समय दिलीप ट्रॉफी का सेमीफइनल पुणे में हुआ था। इसके बाद सेंट्रल और नॉर्थ जोन के खिलाड़ी झेलम एक्सप्रेस से लौट रहे थे। मैच 30 अक्टूबर को ख़त्म हुआ और अगले दिन जब वो लोग ट्रेन के लिए तैयार हो रहे थे तो उन्हें सुबह इंदिरा गाँधी की हत्या समाचार प्राप्त हुआ।

हरियाणा के पूर्व ऑफ स्पिनर सरकार तलवार ने इस घटना के सम्बन्ध में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के प्रत्यूष राज से बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि टीम मैनेजर प्रेम भाटिया ने उन सबके लिए झेलम एक्सप्रेस के फर्स्ट क्लास की टिकट कराई थी। उन्होंने कहा कि वो डरावनी यात्रा थी, जिसमें उन्हें दिल्ली पहुँचने में 4 दिन लग गए थे। एक स्टेशन पर जैसे ही ट्रेन रुकी, 40-50 लोग सिखों को ढूँढ़ते हुए ट्रेन में घुस गए।

नवजोत सिंह सिद्धू, राजिंदर घई और योगराज सिंह- उस समय ये तीन सिख क्रिकेटर उन लोगों के साथ ही थे। सरकार तलवार ने TOI को बताया कि चेतन चौहान ने आगे बढ़ कर दंगाई भीड़ के साथ बहस की और उन्हें समझाया। जब उन्हें पता चला कि ये भारतीय क्रिकेटरों की टीम है तो दंगाई वहाँ से चले गए। इस दौरान यशपाल राणा भी उनके साथ थे, जो आगे आए। सभी खिलाड़ी काफी डरे हुए थे।

नवजोत सिंह सिद्धू और राजिंदर घई तो ट्रेन कम्पार्टमेंट की सबसे निचली सीट के नीचे बैग के पीछे छिपे हुए थे। योगराज सिंह ने सिद्धू से कहा कि वो अपने बाल कटवा लें, जिससे दंगाई भीड़ उन्हें सिख न समझे। योगराज सिंह बताते हैं कि सिद्धू ने तब ये कह कर बाल कटवाने से इनकार कर दिया था कि वो एक सरदार पैदा हुए हैं और सरदार ही मरेंगे। योगराज ने उस घटना की तुलना ‘बर्निंग ट्रेन’ से करते हुए बताया कि चेतन चौहान और यशपाल ने दंगाइयों से बहस की थी।

एक दंगाई ने चेतन चौहान पर चिल्लाते हुए कहा कि वो लोग यहाँ सिर्फ सरदारों को खोजने के लिए आए हैं और उन्हें कुछ भी नहीं किया जाएगा। इस पर चेतन चौहान ने पलट कर जवाब देते हुए कहा था कि ये सभी उनके भाई हैं और कोई भी दंगाई उन्हें छू भी नहीं सकता। योगराज सिंह ने कहा कि चेतन चौहान जिस तरह से दंगाइयों से निपटे थे, वो काबिले तारीफ था। दूसरे कम्पार्टमेंट में रहे गुरशरण सिंह को भी ये घटना याद है।

उनका तो यहाँ तक कहना है कि अगर उस दिन चेतन चौहान नहीं होते तो उनमें से एक भी सरदार शायद ज़िंदा नहीं बचता। उन्होंने बताया कि वो और उत्तर प्रदेश के लेग स्पिनर राजिंदर हंस दूसरी बोगी में थे और उन्हें जब इस घटना के बारे में पता चला तो सभी काफी डर गए थे। इसके बाद चेतन चौहान उनकी बोगी में आए और उन्होंने खिलाड़ियों को आश्वासन दिया कि वो सब सुरक्षित हैं और उन लोगों को दंगाई भीड़ कुछ नहीं करेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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