Sunday, September 1, 2024
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अमित शाह के महकमे में ‘स्पेशल 44’, हरेक आतंकी और उसकी संपत्ति पर होगी नजर: जब्ती का भी होगा अधिकार

इन 44 अधिकारियों का विदेश मंत्रालय सहित सभी सम्बद्ध मंत्रालयों से तालमेल होगा। इनके पास उन आतंकियों की सूची व विवरण होंगे, जिन्हें UN ने ब्लैकलिस्ट कर रखा है। साथ ही ये राज्यों के साथ भी कंधे से कंधा मिला कर काम करेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘गैर-क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA)’ आरोपितों, उनकी संपत्ति और उनके वित्तीय लेनदेन पर नज़र रखने के लिए 44 अधिकारियों की एक टीम गठित की है। यह टीम न सिर्फ UAPA आरोपितों की गतिविधियों पर नज़र रखेगी बल्कि उनके पूरे वित्तीय नेटवर्क को ट्रैक करेगी। इससे हवाला और अवैध लेनदेन के नेटवर्क का भी खुलासा होगा।

गृह मंत्रालय की इस स्पेशल टीम में 44 अधिकारियों को शामिल किया गया है। इंटेलीजेंस ब्यूरो(IB), फाइनेंसियल इंटेलिजेंस (FIU), RBI, गृह मंत्रालय, सेबी, राज्यों की ATS, राज्यों की CID सहित कई विभागों के बड़े अधिकारियों को इस टीम में रखा गया है। जिन भी लोगों पर UAPA के तहत केस दर्ज हैं, ये 44 अधिकारियों की टीम उन पर नज़र रखेगी। उनके पास आतंकियों की संपत्ति जब्त या फ्रीज करने का भी पूरा अधिकार होगा।

इन 44 अधिकारियों का विदेश मंत्रालय सहित सभी सम्बद्ध मंत्रालयों से तालमेल होगा। इनके पास उन आतंकियों की सूची व विवरण होंगे, जिन्हें UN ने ब्लैकलिस्ट कर रखा है। साथ ही ये राज्यों के साथ भी कंधे से कंधा मिला कर काम करेंगे। राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय बना कर काम करने वाले गृह मंत्रालय के ये 44 अधिकारी UAPA आरोपितों की संपत्ति को जब्त कर सकेंगे और उनकी निगरानी करेंगे।

गृह मंत्रालय ने इन्हें टास्क दिया है कि ये UAPA आरोपितों की सूची में से हर एक ही संपत्ति और वित्तीय स्रोत का पता लगाएँ और राज्यों के सहयोग से उन्हें जब्त करने की दिशा में काम शुरू करें। अब तक UAPA कानून के अंतर्गत दाऊद इब्राहिम, मसूद अज़हर, जाकिर-उर-रहमान लखवी और हाफिज सईद को गृह मंत्रालय द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया है। साथ ही 9 खालिस्तानी आतंकियों को भी व्यक्तिगत रूप से आतंकी घोषित किया गया है।

बता दें कि उक्त क़ानून को 1967 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इसका उद्देश्य है कि देश की अखंडता और सम्प्रभुता को नुकसान पहुँचाने वालों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही उनकी हातिविधियों पर भी लगाम कसी जाए। इस क़ानून के अंतर्गत आरोपितों को न्यूनतम 7 वर्षों की सज़ा दी जाती है। अब तक इस क़ानून में कई बार संशोधन किए जा चुके हैं। ये एक बहुत ही कड़ा क़ानून है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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