Wednesday, November 13, 2024
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11 साल के थे अचिंता जब पिता की हो गई मौत, भाई ने की मजदूरी-माँ ने सिलाईः पहली बार में ही कॉमनवेल्थ में जीता गोल्ड

"मैं एक लक्ष्य पर केंद्रित था। मेरे घर की माली हालत ठीक नहीं थी। लेकिन मैं कुछ अलग करना चाहता था।"

20 साल के अचिंता शुली पहली बार किसी कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा बने हैं। पहले ही प्रयास में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया है। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में शुली ने वेटलिफ्टिंग में गोल्ड जीता है। उनसे पहले वेटलिफ्टिंग में ही मीराबाई चानू और जेरेमी लालरिनुंगा ने भी स्वर्ण पदक जीता था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अचिंता ने 31 जुलाई 2022 कॉमनवेल्थ खेलों का रिकॉर्ड बनाते हुए कुल 313 किलोग्राम वजन उठाया। उन्होंने स्नैच राउंड में 143 और क्लीन एंड जर्क में 170 किलोग्राम वजन उठाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वेटलिफ्टिंग में यह भारत का छठा पदक है। 3 स्वर्ण के अलावा संकेत और बिंदिया रजत व गुरुराज कांस्य पदक जीत चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचिंता शुली को इस उपलब्धि पर बधाई दी है। उन्होने लिखा, “इस उपबल्धि के लिए अचिंता ने बहुत मेहनत की है। उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ।” कॉमनवेल्थ के लिए भारतीय दल में शामिल खिलाड़ियों से प्रधानमंत्री ने बात भी की थी। उसके अंश भी पीएम मोदी ने शेयर किए हैं। तब अचिंता ने अपनी माँ और भाई से मिले सहयोग का जिक्र किया था।

रिपोर्ट के मुताबिक अचिंता हावड़ा के धूलागढ़ के निवासी हैं। उनके पिता की मृत्यु 2013 में हो गई थी। इसके बाद घर चलाने के लिए उनके भाई ने मजदूरी और माँ ने सिलाई की ताकि अचिंता अपने लक्ष्य को पूरा कर सकें। अचिंता के मुताबिक, “मैं एक लक्ष्य पर केंद्रित था। मेरे घर की माली हालत ठीक नहीं थी। लेकिन मैं कुछ अलग करना चाहता था।”

अचिंता ने अपने कैरियर की शुरुआत 2013 में गुवाहाटी में हुए राष्ट्रीय आयोजन से की थी। इसके बाद 2018 में वो खेलो इंडिया में यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता बने। साल 2019 में कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप के जूनियर और सीनियर कैटेगरी में उन्होंने सामोआ में पदक जीते। 2021 में ताशकंद में हुए जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में उन्होंने 73 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीता था। साल 2021 में ही ताशकंद के ही राष्ट्रमंडल चैम्पयनशिप में भी वो विजेता घोषित हुए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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