Friday, April 19, 2024
Homeविविध विषयअन्यअल्लाह, एलियन या परमाणु परीक्षण... 2004 की सुनामी के पीछे चले मिथक: जिसने बर्बाद...

अल्लाह, एलियन या परमाणु परीक्षण… 2004 की सुनामी के पीछे चले मिथक: जिसने बर्बाद कर दी 7+ लाख जिंदगियाँ

1. श्रीलंका में सुनामी के कुछ सेकेंड बाद ली गई सैटेलाइट तस्वीर से पता चला कि वहाँ अरबी भाषा में 'अल्लाह' नाम देखने को मिला। 2. एलियन स्पेशशिप में घूम रहे थे, उन्होंने ही सुनामी भेजी। 3. भारत के परमाणु परीक्षण ने...

26 दिसंबर 2004। एक भयावह दिन। भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया समेत कई देशों के तटीय क्षेत्रों के पास बसे कई शहरों को मालूम भी नहीं था कि वह कुछ ही देर में मलबे में बदलने वाले हैं। पर्यटकों या स्थानीय लोगों में से किसी को खबर भी नहीं थी कि आखिर उनमें से कौन जिंदा बचेगा। सुबह के करीब 7:58 पर अचानक हिंद महासागर ने एक विकराल रूप धारण किया और पानी की लहरें चट्टान की ऊँचाई में तब्दील हो गईं। जब ये तबाही का मंजर रुका तो पता चला दो लाख से ज्यादा लोग हिंद महासागर के प्रकोप का आहार बन चुके थे।

सबसे ज्यादा तबाही झेली थी दक्षिण भारत, श्रीलंका और इंडोनेशिया ने। वहीं चट्टान रूपी लहरों ने थाइलैंड, मेडागास्कर, मालदीव, मलेशिया, म्यांमार, सेशेल्स, सोमालिया, तंजानिया, केन्या, बांग्लादेश पर भी अपना कहर छोड़ा था। कहते हैं कि 13 प्रभावित देशों में से 7 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे। वहीं आपदा से निपटने के  लिए सरकारी सहायता और निजी दान के रूप में 13.6 अरब डॉलर खर्च किए गए थे। 

साभार: Fludaskoli

अकेले तमिलनाडु के नागापट्टिनम में सुनामी के कारण 6000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। जो बचे थे, उन्होंने अपने परिजनों को गँवा दिया था। ये इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक माना जाता है। जहाँ सबसे ज्यादा मछुआरे सुनामी का शिकार हुए। आज 16 साल बाद भी यहाँ के लोग जब इस किनारे जाते हैं तो वो उस त्रासदी को नहीं भूल पाते और अपनो को याद करने लगते हैं। 

मद्रास के मरीना बीच (साभार: द एटलांटिक)

2004 की सुनामी में अकेले भारत में 16,279 लोग मारे गए या लापता हुए थे। वहीं थाईलैंड में सुनामी के कारण 5,300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें पर्यटक भी शामिल थे। बर्मा के तटों पर भी इसका असर दिखा था और भारत का अंडमान निकोबार भी इसकी चपेट में आ चुका था।

उधर, इंडोनेशिया के सुमात्रा में समुद्र के नीचे दो प्लेटों में आई दरारें खिसकने से उत्तर से दक्षिण की ओर पानी की लगभग 1000 किलोमीटर लंबी दीवार खड़ी हुई थी जिसका रुख पूर्व से पश्चिम की ओर था। इस जल प्रलय में इतनी ताकत थी कि सुमात्रा का उत्तरी तट तो पूरी तरह बर्बाद हो गया था। इसके साथ आचेह प्रांत का तटीय इलाका भी पूरी तरह से समुद्री पानी में डूब गया था।

सुनामी से जीती जिंदगी की जंग लेकिन खो दिए अपने परिजन

द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक भयावह सुनामी के प्रत्यक्षदर्शी व एक सर्वाइवर नजरुद्दीन मूसा उस दिन को याद करते हुए कहते हैं, “उस दिन मैं फिशिंग स्पॉट krueng cut village में था। वहाँ मुझे हल्का भूकंप महसूस हुआ तो मुझे लगा कि मुझे परिवार को देख आना चाहिए। 15 मिनट बाद जब वहाँ पहुँचा तो सब ठीक था। मैं सोच रहा था कि भूकंप से क्या तबाही मची होगी। लेकिन तब तक मैंने सुनामी की कल्पना नहीं की थी। पर कुछ ही देर में मैंने पानी अपनी तरफ आते देखा। वह घरों को तोड़ते हुए तेजी से बढ़ रहा था। मैंने यह देखते ही अपने बेटे को उठाया और अपनी बीवी को लेकर भागा। हमारे पास थोड़ा सा समय था और जिंदगी और मौत का क्षण था। हम दो माले की इमारत की ओर दौड़े और हमने देखा कि वह जल प्रलय अपने साथ सैंकड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी थी। मैंने भागकर सड़क पर पड़ी एक लड़की को दूसरे माले पर पहुँचाया। और कुछ ही देर में दूसरी लहर भी आगई। हम पहली लहर के बाद लोगों को घायल पड़े देख पा रहे थे, जबकि दूसरी और घातक थी, जो सबको अपने साथ बहा ले गई।”

बांदा आचेह के एल्थ नागा गाँव के मारथुनिस उस त्रासदी को याद करते हुए कहते हैं, “मैं उस दिन अपने दोस्तों के साथ सॉसर खेल रहा था। भूकंप आते ही हम घर की ओर भागे और हमने एरोप्लेन जैसी तेज आवाज सुनी। जब मैंने समुद्र की ओर देखा तो वह कुछ ऐसा था, जो मैंने कभी नहीं देखा था। वो सब भयानक था। मेरे घर वाले मिनिवैन में भाग गए थे लेकिन सड़क पर ऐसे लोग थे, जो बचने का प्रयास कर रहे थे। अचानक काली लहर आई और हमारी मिनीवैन से टकराई। सब थोड़ी देर में अंधकार में बदल गया। जब होश आया तो मैं पानी में था। मैंने एक स्कूल कुर्सी पकड़ी हुई थी। मुझे पता ही नहीं था मैं कहाँ हूँ। बहुत तेज भूख और प्यास लग रही थी। आस-पास शव थे। मैं अपने ईर्द-गिर्द जमा हुए चीजों से नूडल्स या पानी की बोतल तलाश रहा था। 5 दिन के बाद मेरे आस पास कुछ नहीं बचा था। मैने किसी तरह 20 दिन गुजारे। इसी दौरान मैंने उन लोगों को शवों को उठाते देखा, जिन्होंने मुझे बचाया था। वह मुझे फकीनाह अस्पताल ले गए। जहाँ मैंने अपने पिता को पाया। उन्होंने मुझे बताया कि मेरी माँ और बहन सुनामी में मर चुकी हैं।”

इंडोनेशिया का Banda aceh (साभार: नेशनल वेदर सर्विस)

आपदा झेलने वाले महियुद्दीन बताते हैं, “तीन लहरें झेलने के बाद हमें दोपहर में रेडियो कॉल आई और हमसे पीड़ितों को बचाने के लिए मदद माँगी गई। रास्तें में जाते समय हमने कई शवों को तैरते देखा। कई सर्वाइवर्स को हमने बचाया। रात होने से पहले कइयों को रेस्क्यू किया। दुख इस बात का था कि मेरा घर बह चुका था। मेरी पत्नी और बेटी मुझसे दूर हो गए थे। लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं क्या करूँ। मैं मस्जिद में जाकर सोया और काफी समय वहीं रहा।”

इसी प्रकार एक महिला जो अपने बेटे और पति को सुनामी की भेंट चढ़ते देख चुकी थी। वह कहती है, “जब हमने सुनामी को आते देखा, हमें समझ नहीं आया, वो पानी है या तेल। वो लहर बहुत काली थी। जब दूसरे माले पर वो हम तक पहुँची तो लगा आज आखिरी दिन है। मैंने सोचा मैं और बच्चे सब मर जाएँगे। लेकिन घबराकर मेरे लड़के ने छत में एक छेद किया और  वह उस पर चढ़ गया। धीरे-धीरे सब ऊपर गए। वहाँ से हमने देखा कि कई लोग पानी में बह रहे थे। मैंने दुआ करनी शुरू की और अपने माता-पिता व पति की सलामती की माँग करती रही। वह सब मर चुके थे। अब भी याद आती है लेकिन जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती।”

सुनामी की असली वजह और मीडिया में तैरती कॉन्सपिरेसी थ्योरी

इस आपदा की वजह वैसे तो हिंद महासागर में 9.15 की तीव्रता वाले भूकंप को माना जाता है, जिसकी वजह से सुनामी की लहरें उठीं और जान-माल सबका नुकसान हुआ। लेकिन, इस तथ्य के अलावा कई कॉन्सिपिरेसी थ्योरी भी हैं, जो इस आपदा के बाद मीडिया में आईं। इनमें से एक सबसे प्रचलित थी, जिसका तर्क था कि ये सब भारत द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाने के कारण हुआ।

न्यूयॉर्क मैगजीन में प्रकाशित 2013 के एक छोटे लेख को देखें तो इस आपदा के बाद संभावना जताई गई थी कि हो सकता है अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के निर्देश पर हिंद महासागर में बम गिरा दिया गया हो ताकि एक साथ मुख्य एशियाई अर्थव्यवस्थता, आतंकी संगठन तबाह हो जाएँ और वह हीरो बन कर उभरें। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि पाकिस्तान को पछाड़ने के लिए भारत द्वारा परमाणु परीक्षण इस तबाही की मुख्य वजह बना।

श्रीलंका के साउथ कोलंबो का हश्र (साभार: द एटलांटिक)

आगे यह भी अनुमान लगाए गए कि कहीं वैज्ञानिकों ने ऐसी भीषण विपदा को जन्म तो नहीं दिया, लेकिन फिर ये तर्क इस आधार पर खारिज होते गए कि कोई भी मानव निर्मित शक्ति इतनी ऊर्जा पैदा नहीं कर सकती कि भूकंप का स्केल 9 के पार हो जाए।

वाद-विवाद में ऐसी बातें भी कहीं गई कि हो सकता है कि एलियन प्रभावित क्षेत्रों के पास अपने स्पेशशिप में घूम रहे हों और चेतावनी के लिहाज से ऐसा किया गया हो। अरब के समाचार स्रोत अलजजीरा ने इस थ्योरी को आगे बढ़ाया कि भारतीय या अमेरिकी सेना इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हथियारों का परीक्षण कर रही थीं और उसी की वजह से ये सब हुआ। 

अरब के मीडिया ने यह भी आरोप मढ़ा कि यूएस को पहले ही इस प्राकृतिक आपदा का भान था लेकिन वह एशियाई देशों को इसकी सूचना देने से बचते रहे और समय आने पर जवाब देने की जगह एलियनों की थ्योरी देकर हाथ पीछे कर लिया।

इस पूरी बहस में सारी तबाही का कारण दैवीय शक्तियों के प्रकोप को भी बताया गया। वहीं कोलंबो में सेंटर फॉर इस्लामिक स्टडीज के प्रबंधक ने इस सुनामी से अल्लाह को जोड़ दिया और तर्क दिया कि श्रीलंका के पश्चिमी तटों पर सुनामी के कुछ सेकेंड बाद ली गई सैटेलाइट तस्वीर से पता चलता है कि वहाँ अरबी भाषा में ‘अल्लाह’ नाम देखने को मिला है।

गौरतलब हो कि सुनामी को लेकर कई कॉन्सिपिरेसी थ्योरी सामने आई थीं। लेकिन इन पर विचार के बाद यही पता चलता है कि 26 दिसंबर 2004 की सुनामी एक प्राकृतिक आपदा थी। जिसे याद करके आज भी लोग काँप उठते हैं।

कहा जाता है कि सुनामी के शुरुआती झटकों के दो घंटों में सुनामी की लहरों ने श्रीलंका और दक्षिण भारत को अपना निशाना बनाया था, जिसके बाद एजेंसियों की रिपोर्ट से मीडिया भर चुका था। लेकिन जानकारी होने के बावजूद इस भयावह मंजर से निपटने का इंतजाम किसी देश पर नहीं था। आज कहीं-कहीं वैज्ञानिकों के हवाले से यह भी पढ़ने को मिलता है कि 2004 की उस सुनामी में 9000 परमाणु बम जितनी शक्ति थी।

पृथ्वी पर क्या पड़ा असर?

16 साल पहले 26 दिसंबर को आई सुनामी इतिहास की सबसे विनाशकारी सुनामी थी।  रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय प्रायद्वीप की टेक्टोनिक प्लेटों के बीच पिछले करीब 150 साल से एक दबाव बन रहा था। ये भूकंप उसी का नतीजा था। उससे पहले हिंद महासागर में 1883 के बाद कोई बड़ी सुनामी नहीं आई थी। 

शायद इसलिए 2004 की सुनामी तक कोई सुनियोजित अलर्ट सेवा स्थापित नहीं की गई। अगर अलर्ट सेवा होती, तो इस विनाश से करीब तीन घंटे पहले लोगों को अलर्ट कर सुरक्षित जगहों पर भेजा जा सकता था। ऐसे में माल की हानि तो होती लेकिन लाखों लोगों को मरने से बचाया जा सकता था। 

सबसे हैरानी की बात यह है कि इस सुनामी का प्रभाव इतना गहरा था कि पृथ्वी का आकार (जल-थल भाग) भी बदल गया। कुछ आईलैंड कई मीटर तक अपनी पूर्व जगहों से खिसक गए। सुमात्रा के भूगोल में तो तबाही ने काफी बदलाव किया। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के प्रोफेसर बिल मैकगायर भी मानते हैं कि सुमात्रा निश्चित रूप से अपनी जगह से खिसक गया है।

तस्वीर साभार: ABC

यहाँ बता दें कि सुनामी में मरने वालों की संख्या आज दो-ढाई लाख के पार बताई जाती है। लेकिन माना जाता है कि इस प्राकृतिक आपदा से हुआ जानों का नुकसान कम हो सकता था, पर जल प्रलय की निर्धारित तारीख ने इस संख्या को और बढ़ा दिया। दरअसल उस समय कई पर्यटक 25 दिसंबर यानी क्रिसमस के मौके पर तटीय क्षेत्रों में क्रिसमस और 1 जनवरी से पहले नए साल का जश्न मनाने गए थे। मगर इतिहास के उस काले दिन ने किसी से उनकी जिंदगी छीनी तो किसी से उसके अपने। पानी के वेग में बड़े से बड़ा पुल, ऊँची से ऊँची इमारत, भारी से भारी जानवर, सबसे मजबूत वृक्ष भी एक तिनके की भाँति सैलाब में तैर रहा था।

तस्वीर साभार: Reuters
Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

EVM से भाजपा को अतिरिक्त वोट: मीडिया ने इस झूठ को फैलाया, प्रशांत भूषण ने SC में दोहराया, चुनाव आयोग ने नकारा… मशीन बनाने...

लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) को बदनाम करने और मतदाताओं में शंका पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

‘कॉन्ग्रेस-CPI(M) पर वोट बर्बाद मत करना… INDI गठबंधन मैंने बनाया था’: बंगाल में बोलीं CM ममता, अपने ही साथियों पर भड़कीं

ममता बनर्जी ने जनता से कहा- "अगर आप लोग भारतीय जनता पार्टी को हराना चाहते हो तो किसी कीमत पर कॉन्ग्रेस-सीपीआई (एम) को वोट मत देना।"

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe