Thursday, May 2, 2024
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डेयरी वाले ने निकाल दिया, टेंट में रहे, स्ट्रीट फूड बेचने वालों के साथ काम किया: केविन पीटरसन भी हुए यशस्वी जायसवाल के संघर्ष के कायल, 22 की उम्र में ठोका दोहरा शतक

पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने भी कहा कि ये यशस्वी जायसवाल की परिपक्वता दर्शाता है कि उन्होंने एंडरसन की गेंदों को छोड़ा, उन्हें पता था कि वो मारने वाली गेंदें नहीं देंगे।

भारत और इंग्लैंड के बीच चल रहे टेस्ट सीरीज के दूसरे मैच में सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने दोहरा शतक ठोक दिया है। जहाँ कोई और बल्लेबाज पचासा भी नहीं लगा पाया, यशस्वी जायसवाल ने 277 गेंदों पर अपना दोहरा शतक पूरा किया। जहाँ पहले दिन उन्होंने छक्के के साथ शतक पूरा किया था, दूसरे दिन एक छक्का और अगली ही गेंद पर चौका जड़ कर उन्होंने 200 रन पूरे किए। सौरभ गंगगुली, विनोद कांबली और गौतम गंभीर के बाद वो टेस्ट में दोहरा शतक ठोकने वाले चौथे बाएँ हाथ के बल्लेबाज हैं।

वहीं सबसे कम उम्र में दोहरा शतक ठोकने वाले बल्लेबाजों में वो विनोद कांबली और सुनील गावस्कर के बाद तीसरे हैं। इस सूची में पहले और दूसरे स्थान पर कांबली ही हैं। वहीं जायसवाल ने 22 साल 37 दिन की उम्र में ये कारनामा किया है। 290 गेंदों पर 209 रनों तक की पारी में उन्होंने 19 चौके और 7 छक्के लगाए। यशस्वी जायसवाल काफी साधारण परिवार से आते हैं। जब यशस्वी जायसवाल ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में भी शतक लगाया था, उसके बाद उनके पिता काँवर लेकर वैद्यनाथ बाबा को जल चढ़ाने देवघर के लिए निकले थे।

यशस्वी जायसवाल के जीवन और उनके संघर्षों के बारे में ‘स्काई स्पोर्ट्स न्यूज़’ के एसोसिएट एडिटर नकुल पांडे ने एक ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) थ्रेड के जरिए बताया है, जिसे केवल पीटरसन ने भी आगे बढ़ाया है। इसमें बताया गया है कि कैसे मात्र 10 वर्ष की उम्र में ही यशस्वी जायसवाल क्रिकेटर बनने के लिए उत्तर प्रदेश से मुंबई के लिए निकल गए थे और वहाँ वो कुछ दिन अपने चाचा के पास रहे। उनके चाचा दादर में रहते थे, यशस्वी को रोज यात्रा करने में घंटों लग जाते थे।

इसके बाद मात्र 11 वर्ष की उम्र में उन्होंने एक डेयरी की दुकान में काम करना शुरू कर दिया, बदले में उन्हें रहने के लिए जगह मिली। हालाँकि, डेयरी मालिक ने उन्हें निकाल दिया। फिर वो ‘मुस्लिम यूनाइटेड क्लब’ के ग्राउंडस्टाफ के टेंट में आज़ाद मैदान में रहने लगे। परिवार द्वारा वापस बुलाए जाने के बावजूद उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा। 3 साल वो टेंट में ही रहे। कोच ज्वाला सिंह को उन्होंने प्रभावित किया। ज्वाला खुद यूपी से मुंबई आए थे, ऐसे में उन्होंने प्रतिभा और संघर्ष को पहचाना।

ज्वाला सिंह ने न सिर्फ यशस्वी जायसवाल को अपने पास रखा, बल्कि उनके कानूनी अभिभावक भी बन गए। यशस्वी जायसवाल स्ट्रीट फ़ूड बेचने वालों का भी हाथ बँटाते थे। लेकिन, उनका ध्यान क्रिकेट पर ही था। इसके बाद यशस्वी जायसवाल अपनी मेहनत के दम पर मुंबई अंडर 19 क्रिकेट का हिस्सा बने और मात्र 17 वर्षों की उम्र में घेरलू क्रिकेट में डेब्यू किया। इस तरह एक ग्राउंड कर्मचारी के टेंट से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक का सफर तय किया और विश्व स्तर पर नाम कमाया।

IPL में यशस्वी जायसवाल ‘राजस्थान रॉयल्स’ की तरफ से खेलते हैं। पूर्व क्रिकेटर एवं कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने यशस्वी जायसवाल की तारीफ करते हुए यहाँ तक कह दिया कि मौजूदा समय में वो ऑस्ट्रेलिया के दिवंगत क्रिकेटर सर डॉन ब्रैडमैन से भी बेहतर हैं। उन्होंने बताया कि कैसे जेम्स एंडरसन की गेंदों को वो छोड़ते रहे। फिर जब स्पिन आया तो उन्होंने मारना शुरू किया। वहीं पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने भी कहा कि ये यशस्वी जायसवाल की परिपक्वता दर्शाता है कि उन्होंने एंडरसन की गेंदों को छोड़ा, उन्हें पता था कि वो मारने वाली गेंदें नहीं देंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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