Saturday, September 14, 2024
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53 करोड़ बैंक अकाउंट, ₹2 लाख करोड़ डिपॉजिट… 10 साल की हुई PMJDY, नरेंद्र मोदी ने PM बनते ही डाली वित्तीय क्रांति की नींव: जनधन के बारे में जानिए सब कुछ

वर्तमान स्थिति के अनुसार, PMJDY के अंतर्गत 53.13 करोड़ से अधिक खाते देश भर में खोले जा चुके हैं। इस योजना के तहत देश में 36 करोड़ से अधिक रुपे एटीएम जारी किए जा चुके हैं। इन कार्ड की खासियत यह है कि इन पर आमजनों को कोई चार्ज नहीं देना पड़ता।

प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के 10 साल बुधवार (28 अगस्त, 2024) पूरे हो गए हैं। देश के हर परिवार में एक बैंक खाता खोलने के उद्देश्य से चालू की गई यह योजना अपने लक्ष्य से भी आगे निकल चुकी है। आम नागरिकों तक वित्तीय सेवाएँ पहुँचाने के साथ ही बैंकों की सेहत सुधारने में भी इस योजना का बड़ा फायदा हुआ है। इस योजना के कारण कई स्तर पर होने वाला भ्रष्टाचार भी कम करने में मदद मिली है और सरकार सीधे जनता तक पहुँची है। पीएम मोदी ने इस योजना के 10 वर्ष पूरे होने पर इसके लाभार्थियों को बधाई दी है।

पीएम मोदी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस अवसर पर मैं सभी लाभार्थियों को शुभकामनाएँ देता हूँ। इस योजना को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक करने वाले सभी लोगों को भी बहुत-बहुत बधाई। जन धन योजना करोड़ों देशवासियों, विशेषकर हमारे गरीब भाई-बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर देने में सफल रही है।”

PMJDY ने 10 वर्ष में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। चाहे देश की लगभग 50 करोड़ आबादी को बैंक खाते उपलब्ध करवाना हो या फिर लगभग 36 करोड़ लोगों को ATM कार्ड उपलब्ध करवाना हो, इस योजना के कारण देश में वित्तीय क्रान्ति आई है। PMJDY के शुरू होने से पहले देश की लगभग 60%-70% आबादी के पास बैंकिंग सुविधा नहीं थी। इस योजना के कारण उस तक आर्थिक आजादी पहुँच पाई है।

क्यों लाई गई PMJDY?

दरअसल, पीएम मोदी को पता था कि जब तक सरकारी सहायता लोगों तक सीधे नहीं पहुँचेगी तब तक भ्रष्टाचार कम नहीं होगा और मदद सीधे पहुँचे, इसके लिए लोगों के पास बैंक खाते होने जरूरी थे। देश की आजादी के लगभग 7 दशक पूरे होने और बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद भी एक बड़ी आबादी के पास बैंक सुविधाओं का एक्सेस नहीं था। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2011 तक भारत की लगभग 70% आबादी बैंक खाते की सुविधा से महरूम थी।

देश की आबादी का बड़ा हिस्सा सिर्फ इसलिए खाता नहीं खुलवा सकता था, क्योंकि उसके पास उसमें जमा करने के लिए न्यूनतम राशि भी नहीं थी। यह इस राह में सबसे बड़ा रोड़ा था। जब देश में लोगों के पास खाते नहीं थे तो ATM जैसी सुविधाओं की बात ही छोड़ दी जाए। इसमें भी हमारा देश दुनिया के बाक़ी विकासशील देशों से कहीं पीछे थे।

साल दर साल बदली तस्वीर

पीएम मोदी की सरकार ने यह सभी समस्याएँ इसी एक योजना के जरिए सुलझाने की सोची और 28 अगस्त, 2014 को PMJDY शुरू हो गई। यह भी अनोखी बात थी कि कोई योजना ऐलान के मात्र दो सप्ताह के भीतर जमीन पर उतर आई हो। इसके लिए सरकारी बैंकों ने गाँवों में अपने कैम्प लगाए। बैंक मित्र नियुक्त किए गए, जो कि गरीब एवं वंचित तबके के लोगों को इसके बारे में जागरूक कर उनके खाते खुलवाते।

योजना के अंतर्गत सरकार ने खाता खोलने के लिए कोई न्यूनतम राशि रखने की शर्त हटा दी। सिर्फ आधार एवं अन्य पहचान पत्र पर बैंकों ने खाते खोले। PMJDY के शुरू ही हिट हो गई। गाँव-गाँव में लगे कैम्प असर दिखाने लगे। PMJDY की रिपोर्ट बताती है कि योजना चालू होने के एक महीने के भीतर ही 3.3 करोड़ से अधिक खाते खुले। इनमें से 1.8 करोड़ से अधिक खाते ग्रामीण इलाकों में खोले गए थे।

मात्र एक वर्ष में PMJDY के अंतर्गत 17.9 करोड़ खाते खोले गए। उससे भी बड़ी सफलता यह रही कि इनमें से 60% खाते ग्रामीण इलाकों में खोले गए थे। एक माह के भीतर ही देश के 1 करोड़ लोगों को रुपे ATM कार्ड भी दे दिए गए। एक साला पूरा होते-होते देश में इस योजना के अंतर्गत खोले जाने वाले खातों की संख्या लगभग 18 करोड़ पहुँच गई। इसमें से लगभग 11 करोड़ खाते ग्रामीण क्षेत्रों में खोले गए थे।

PMJDY की उपलब्धियाँ

वर्तमान स्थिति के अनुसार, PMJDY के अंतर्गत 53.13 करोड़ से अधिक खाते देश भर में खोले जा चुके हैं। इस योजना के तहत देश में 36 करोड़ से अधिक रुपे एटीएम जारी किए जा चुके हैं। इन कार्ड की खासियत यह है कि इन पर आमजनों को कोई चार्ज नहीं देना पड़ता, जबकि पहले विदेशी कम्पनियों के कार्ड पर सालाना फीस देनी पड़ती थी।

PMJDY पीएम मोदी

PMJDY खातों में औसतन ₹4000 से अधिक खाताधारक रख रहे हैं। यह दिखाता है कि देश में छोटी बचतें भी बढ़ रही हैं। अगस्त 2015 में इन खातों में औसतन ₹1015 ही जमा थे। इस हिसाब देखा जाए तो पिछले लगभग 10 वर्षों में छोटे बचतें 4 गुनी हो चुकी हैं। PMJDY का सीधा संबंध देश की डिजिटल भुगतान क्रान्ति UPI से भी है। PMJDY के तहत खोले गए खातों के कारण UPI लेनदेन में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है और यह गाँवों तक पहुँच सका है।

खाते खुले तो पहुँची सीधी मदद

PMJDY खातों का सबसे बड़ा लाभ देश की आम जनता को सरकारी लाभ लेने में रहा है। सरकार द्वारा लोगों के खाते में सीधे लाभ भेजने में बीते 10 वर्षों में खासी तेजी आई है। रिपोर्ट बताती है कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के तहत जहाँ 2013-14 में मात्र 10.8 करोड़ लोगों को सीधे सहायता राशि भेजी जा रही थी। वहीं, कोरोनाकाल के दौरान यह संख्या 98 करोड़ पहुँच गई। 98 करोड़ लाभार्थियों को अलग-अलग योजनाओं के तहत सहायता राशि उपलब्ध करवाई गई। यह इसीलिए संभव हो पाया, क्योंकि अब इन सबके पास बैंक खाता है।

PMJDY से बैंकों की भी सुधरी हालत

PMJDY से सिर्फ लोगों को ही नहीं, बल्कि बैंकों को भी फायदा हुआ है। लोगों द्वारा छोटी-छोटी बचत को बैंक में जमा करने के कारण अब बैंकों के पास अधिक पूँजी आ रही है। रिपोर्ट बताती है कि PMJDY के अंतर्गत खोले गए खातों में देश के लोगों ने ₹2 लाख करोड़ से अधिक की धनराशि जमा कर रखी है। इस धनराशि के आने से बैंकों को अपना संचालन करने में आसानी हुई है। 2014 से पहले बैकों की सेहत ख़ास अच्छी नहीं थी। खाताधारकों की संख्या बढ़ने और उनके लेनदेन के कारण इन बैंकों का लेनदेन भी बढ़ा है।

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