Sunday, April 28, 2024
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₹8 लाख करोड़ का कारोबार, महिलाओं से लेकर जनजातीय समाज के कारीगरों का बना करियर: विश्व भर में योग का डंका, US में 48 हजार सेंटर

कोविड काल में तन-मन स्वस्थ रखने के लिए लोगों ने योग में विश्वास जताया। नतीजा ये हुआ लॉकडाउन के बाद पार्क में योग क्लासेस की संख्या बढ़ी, ऑफलाइन मोड में कई योग सेंटर अस्तित्व में आए, कई लोगों ने इसे ऑनलाइन भी अपनाना शुरू किया।

इंसान को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए योग कितना लाभकारी है इसे आज बताने की आवश्यकता नहीं है। बीते कुछ सालों में भारत के बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक योग को लेकर जागरूक हुए हैं और इसका श्रेय कहीं न कहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। पीएम ने साल 2015 में योगा डे का कॉन्सेप्ट शुरू किया और लोगों से बड़ी मात्रा में आकर योग प्रोग्रामों में शामिल होने की अपील की। उनके एक आह्वान के बाद स्कूल-कॉलेजों से लेकर विभिन्न संस्थानों में इस दिवस की महत्वता बढ़ गई और बाद में इसका प्रभाव तब देखने को मिला जब कोविड आया।

कोविड काल में तन-मन स्वस्थ रखने के लिए लोगों ने योग में विश्वास जताया। नतीजा ये हुआ लॉकडाउन के बाद पार्क में योग क्लासेस की संख्या बढ़ी, ऑफलाइन मोड में कई योग सेंटर अस्तित्व में आए, कई लोगों ने इसे ऑनलाइन भी अपनाना शुरू किया। इन पहलों से एक ओर तो उन लोगों को फायदा हुआ जिन्हें अपने फिट होने के सफर में योग की जरूरत थी, दूसरा उन लोगों को भी इसका लाभ हुआ जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि इस प्रकार से योग का क्षेत्र अचानक करियर या रोजगार के तौर पर उभरेगा।

योग क्षेत्र में करियर बना रहीं महिलाएँ

ऋषिकेष योग पीठ में 15-20 साल तक प्रशिक्षण दे चुकी सीनियर योग टीचर दीप्ति कुलश्रेष्ठ ऑपइंडिया से बातचीत में बताती हैं कि योग उनके लिए आध्यात्म है और आज जो योग को लोकप्रियता मिली है उसके लिए वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आभारी भी हैं। दीप्ति का मानना है कि योग वही लोग कर पाते हैं जिन्हें मन से योग करना होता है। कोरोना के बाद से दीप्ति ने अपनी ऑनलाइन योगा क्लासों को भी शुरू किया है। बीते समय में बतौर सीनियर योग टीचर रहते हुए कई विदेशियों को योग प्रशिक्षण दे चुकी हैं।

इसी तरह लक्ष्मी नगर स्थित नित्यम योग सेंटर की 30 वर्षीय योगाचार्या प्रीति वर्मा इस संबंध में बताती हैं कि उनके सेंटर पर योग के 5 बैच चलते हैं। हर बैच में कम से 10-12 लोग आते हैं। इस तरह वो एक तय अमाउंट में प्रति दिन 50 से ज्यादा लोगों को योग सिखाने का कार्य करती हैं। बीते 12 वर्षों से योग के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाली प्रीति मानती है कि योग के बारे में लोग पहले सोचते थे कि ये पुराने काल की बातें और इसका संबंध सिर्फ ऋषियों और मुनियों से ही है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका जिक्र किए जाने के बाद लोगों में योग के प्रति जागरूकता और उत्साह दोनों बढ़ा जबकि कोविड के बाद लोगों को इसकी जरूरत खुद महसूस होने लगी। वह बताती हैं कि उन्होंने कोरोना काल में लोगों को मुफ्त में योग क्लासें दीं और पाया कि योग करने वाले लोग इस बीमारी से जल्दी रिकवर होने में सक्षम थे।

योग की महत्वता और एक रोजगार की तरह हो रहे उसके विकास का अंदाजा हम इस बात से भी लगा सकते हैं कि जो लोग दूसरे क्षेत्रों में कार्यरत हैं वह भी आज अलग से इसमें संभावना देख रहे हैं। जैसे सिसी अगस्तन। जनसंपर्क क्षेत्र में काम करने वाली सिसी ने कुछ समय पहले योगा क्लासें देनी शुरू कीं। ऑपइंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें याद है कि साल 2015 के बाद योग लोगों के बीच पॉपुलर होना शुरू हुआ था। अगस्तन के अनुसार लोगों में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए उन्होंने योग की क्लासें देनी शुरू की थी और जैसे-जैसे उनके पास योग सीखने वालों की संख्या बढ़ेगी वो कोशिश करेंगी कि अलग से एक स्पेस लेकर वो अपनी योगा क्लासें चलाएँ।

AYUSH मंत्रालय की स्थापना

बता दें कि भारत में योग का इतिहास 5 हजार से 10 हजार साल पुराना है, लेकिन आधुनिक होने के क्रम में इसे पिछड़ा मान लिया गया। देश में इसे लेकर जागरूकता घर-घर में फैलनी तब शुरू हुई जब साल 2014 में मोदी सरकार ने इस दिशा में कदम उठाए। 2014 में जब मोदी सरकार सरकार आई तो नवंबर माह में आयुष मंत्रालय बनाया गया। इस मंत्रालय का उद्देशय ही यही था कि आयुर्वेद, योग, नैचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध और होमियोपैथी (AYUSH) सेक्टर में नए स्टार्टअप हों। इस मंत्रालय ने उन उद्यमियों को सहारा देना शुरू किया जो इन दिशाओं में काम कर रहे थे। इसकी स्थापना के बाद साल 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा योगा डे मनाने की घोषण की गई और उसके बाद तो अचानक योग के कारोबार में वृद्धि दिखी। 

आयुष मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट (2022-23) पृष्ठ संख्या 12-13 पर दी सूचना के अनुसार, 2014-15 से लेकर 2020 में आयुष की मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री में बहुत अधिक उछाल आया। साल 2014-15 में आयुष मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री केवल 21, 697 करोड़ रुपए की थी। जबकि 2020 तक ये 6 गुना बढ़ी और 1,37, 800 करोड़ हो गई। इसी तरह आयुष के सर्विस सेक्टर में हुआ प्रारंभिक आँकड़ा भी 1,66, 797 करोड़ के राजस्व इकट्ठा होने की जानकारी देता है। वहीं साल 2022 में भारत के केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ये भी कह चुके हैं कि भारतीय आयुष क्षेत्र 2023 तक कम से कम 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार पर अपना कब्जा जमा लेगा। उन्होंने कहा था कि आयुष मंत्रालय भारत के आयुष क्षेत्र को वांछित समय सीमा के भीतर इस लक्ष्य तक पहुंचने में समर्थ बनाने के लिए कई पहल भी कर रहा है।

WHO ने माना योग का लोहा, अमेरिका में क्रेज बढ़ा

इसके अलावा केवल योग सेक्टर की बात करें तो स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के अलावा अंतरराष्ट्रीय लेवल पर भी योग की महत्ता बीते कुछ सालों में ही बहुत बढ़ी। WHO ने तो योग को जरूरत समझते हुए इसे वैश्विक स्तर पर ले -जाने के लिए आयुष मंत्रालय के साथ मिल WHOmYoga एप को भी लॉन्च किया, ताकि कहीं भी बैठे लोग योग से अपने जीवन को सुधार सकें।

इन प्रयासों का असर ये हुआ कि भारत के अलावा अमेरिका जैसे देशों में भी योग का क्रेज बढ़ गया। एक रिपोर्ट के अनुसार, आज 36 मिलियन से ज्यादा अमेरिकन योग का अभ्यास करते हैं व 48 हजार से ज्यादा पाइलेट्स व योग स्टूडियो यूएस में खुले हुए हैं। वहाँ एक औसत योगा प्रैक्टिशनर अपनी योगा क्लास, वर्कशॉप तथा उपकरणों पर एवरेज 62 हजार 640 डॉलर खर्चता है और इस तरह अमेरिका में योग सेक्टर एक बेहतरीन ढंग से हर साल ग्रो करता है। 

ग्लोबल योगा मार्केट की बात करें तो रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में योग का कारोबार 8 लाख करोड़ रुपए पहुँचा था जबकि 2023 से 2028 के बीच में योग 9 फीसद बढ़कर 9.6 लाख करोड़ रुपए (₹96,42,18,86,40,000) होने की पूरी संभावना है।

योग दिवस के कारण रोजगार में वृद्धि

इसी तरह भारत में भी न केवल योग सीखने और सिखाने वाले इस सेक्टर को मजबूत कर रहे हैं बल्कि वो लोग भी अच्छा कमा रहे हैं जो योगा से जुड़े मैट आदि उपकरण बनाते हैं। सरकार ऐसे स्टार्टअप को सपोर्ट करने में पूरा सहयोग कर रही है। उदाहरण के लिए इकोनॉमिक टाइम्स में 20 जून 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि आयुष मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पहले 34,000 योग मैट प्रदान करने के लिए ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ट्राइफेड) के साथ हाथ मिलाया। इस सराहनीय पहल का उद्देश्य जनजातीय कारीगरों के उत्थान और उनकी असाधारण शिल्प कौशल का प्रदर्शन बताया जा रहा है।

इसी तरह डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार नोएडा स्थित योग स्टूडियो प्रणव योग के निदेशक एमएस श्रीनाथ ने पिछले साल बताया था कि योग दिवस की बदौलत उनका कारोबार हर साल जून और जुलाई में 30-40 फीसदी तक बढ़ जाता है। उनके साथ पिछले वर्ष तक 300 से अधिक योग छात्र नामांकित थे जिनमें से 112 पिछले साल इन दो महीनों में परमानेंट मेम्बरशिप के लिए आए थे। श्रीनाथ ने ये भी बताया था कि पिछले कुछ वर्षों में योग के लिए साइन अप करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है।

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