संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के ‘वर्किंग ग्रुप अगेंस्ट अर्बीट्री डिटेंशन्स (WGAD)’ ने तथाकथित छात्र नेता सफूरा जरगर की गिरफ्तार और जेल भेजे जाने के मामले में टिप्पणी की है। सफूरा जरगर पर दिल्ली में CAA विरोधी आंदोलन के बहाने दंगे की साजिश रचने के आरोप हैं।
UN मानवाधिकार परिषद के समूह ने कहा कि CAA के खिलाफ भाषण देने के लिए सफूरा जरगर को गिरफ्तार किया गया, जो सत्ता की आलोचना के अधिकार से वंचित करने के अंतर्गत आता है। साथ ही उसने CAA विरोधी उन आंदोलनों को शांतिपूर्ण भी बताया है, जिसमें सफूरा जरगर ने भाषण दिए।
गुरुवार (मार्च 11, 2021) को जारी किए गए 11 पन्नों के बयान में संस्था ने कहा कि विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण प्रदर्शन ‘यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स’ के अनुच्छेद 19-20 में आता है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में भी है।
संस्था ने कहा कि सरकार को विचार रखने और प्रदर्शित करने के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए, सम्मान करना चाहिए और इसे पूरा करना चाहिए। सरकार को उन विचारों को प्रदर्शित करने के अधिकारों की भी सम्मान, सुरक्षा और पूरा करना चाहिए, जो उनकी नीतियों के अनुरूप नहीं हैं और जो उसकी विचारधारा के विरोध में जाते हैं।
सफूरा जरगर पर आर्म्स एक्ट, UAPA और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की धाराओं के तहत आरोप हैं। हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में उन्हें अप्रैल 10, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने जून में मानवता के आधार पर गर्भवती सफूरा जरगर को जमानत दे दी थी।
UNHRC की कार्यकारी संस्था का कहना है कि सफूरा जरगर को बिना वॉरंट के अनियमित तरीके से गिरफ्तार किया गया था और पुलिस थाने में सादे कागज पर हस्ताक्षर लेकर बिना किसी कानूनी आधार के हिरासत में ले लिया गया था।
संस्था ने कहा कि हिरासत में न लिए जाने पर वो कार्रवाई से भाग जातीं, ऐसी कोई संभावना नहीं थी। संस्था ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि सफूरा के खिलाफ शिकायतकर्ता पुलिस है और ‘गुप्त सूचनाओं’ को आधार बनाया गया है।
UN #HumanRights Council’s Working Group against Arbitrary Detentions (WGAD) has adopted an opinion critical of the government’s workings, and referred the case to three Special Rapporteurs for action. https://t.co/LCHf7yg6aY
— The Hindu (@the_hindu) March 13, 2021
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के ‘वर्किंग ग्रुप अगेंस्ट अर्बीट्री डिटेंशन्स (WGAD)’ ने कहा कि पुलिस ने सफूरा जरगर को गिरफ्तार करने के लिए कानून का दुरुपयोग किया। संस्था ने कहा कि 27 वर्षीय सफूरा जरगर उस समय गर्भवती थी और आपात गिरफ़्तारी की कोई ज़रूरत नहीं थी। उसका कहना है कि दिल्ली पुलिस ने उसे लंबे समय तक हिरासत में रखने के लिए साजिश की। साथ ही दावा किया कि सफूरा जरगर के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
UN की संस्था ने भारत सरकार का पक्ष जानने के लिए जवाब माँगा था, लेकिन उसका कहना है कि केंद्र सरकार से कोई स्पष्टीकरण न मिलने पर उसने अज्ञात लोगों द्वारा इस मामले में दर्ज की गई शिकायत के बाद खुद के विचारों की रिपोर्ट प्रकाशित की। साथ ही ‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से’ सफूरा जरगर को मुआवजा देने की भी सलाह दी गई। साथ ही उसके ‘मानवाधिकार हनन’ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया।
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में सफूरा ज़रगर पर आरोप है कि उसने चाँदबाग़ के नज़दीक मौजूद मुस्लिम भीड़ को भड़काया, जिसने बाद दिल्ली पुलिस पर हमला किया और उसमें हवलदार रतन लाल की हत्या कर दी गई थी।