देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि वैश्विक महामारी की दूसरी लहर चालू हो गई है। देश के 5 राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने हैं। रेलवे और विमान सेवाएँ चालू हैं। ऐसे में, क्या आपको पता है कि देश के कुछ सक्रिय कोरोना संक्रमितों में से 68.94% उन 5 राज्यों में हैं, जहाँ कॉन्ग्रेस की सरकार है या पार्टी सरकार में साझीदार है।
और हाँ, इन 5 राज्यों में चुनाव नहीं हैं। ये राज्य हैं- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान और झारखंड। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पूरे देश में सक्रिय कोरोना मामलों का गढ़ बना हुआ है। देश में फ़िलहाल कोरोना के कुल 7,85,787 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से 5,41,740 इन्हीं 5 राज्यों में हैं। अकेले महाराष्ट्र में कोरोना के 4,51,375 सक्रिय मरीज हैं, जो देश के कुल सक्रिय संक्रमितों का 57.44% बैठता है।
अगर महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सक्रिय कोरोना मामलों को मिला दें तो ये आँकड़ा 4,95,671 हो जाता है। यानी देश के कुल सक्रिय मामलों का 63.08% के बराबर। ये दोनों राज्य टॉप पर बैठे हुए हैं। यहाँ न सिर्फ कोरोना, बल्कि कई दूसरी समस्याएँ भी सिर उठा कर खड़ी हैं। आगे हम कोरोना के इन आँकड़ों के बारे में बात करेंगे, लेकिन पहले महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सरकारों की मौजूदा स्थिति को समझते हैं।
महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस सत्ताधारी गठबंधन में NCP के बाद तीसरे नंबर की पार्टी है। राज्य की सरकार पहले सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद जनता के निशाने पर आई, जिसके बाद उसका पूरा समय अपनी पुलिस की पीठ थपथपाने में गया। अब उसी पुलिस के कई अधिकारी सरकार के खिलाफ खड़े हैं। एक अधिकारी एंटीलिया केस में NIA की गिरफ्तार में है। राज्य के गृह मंत्री को हाल ही में इस्तीफा देना पड़ा है।
जहाँ तक छत्तीसगढ़ की बात है, वहाँ कॉन्ग्रेस की अकेले दम पर सरकार है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कॉन्ग्रेस के प्रथम परिवार के वफादार सिपहसालारों में से एक बन कर उभरे हैं और अपनी ऊर्जा के कारण कई राज्यों में चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। नक्सली हमले में 22 जवानों के मारे जाने के बाद राज्य की कानून-व्यवस्था सवालों के घेरे में है। स्वास्थ्य मंत्री TS सिंह देव सुरगुजा के ‘महाराज’ हैं। मध्य प्रदेश के एक महाराज की तरह ये भी कभी CM पद के दावेदार थे। लिहाजा बघेल के साथ खटपट की खबरें भी समय-समय पर आती रहती हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना के कारण मौतें भी उतनी हुई हैं, जिसकी एक चौथाई मौतें भी किसी अन्य राज्य में नहीं हुईं। यहाँ कोरोना से 56,033 लोग मरे हैं। देश में कोरोना से अब तक 1,65,585 मरीज काल की गाल में समाए हैं। इस तरह से देश में कोरोना से हुई मौतों का 33.83% अकेले महाराष्ट्र का आँकड़ा है। दूसरे नंबर पर आने वाले तमिलनाडु में 12,789 मौतें हुईं। आप महाराष्ट्र और तमिलनाडु के इस आँकड़े के बीच का अंतर देखिए- 4.38 गुना ज्यादा।
5 कॉन्ग्रेस शासित राज्यों में कोरोना के कारण अब तक 71,562 लोगों की मौत हुई है। इस तरह से देश में कोरोना संक्रमण महामारी के कारण 43.21% मौतें अकेले कॉन्ग्रेस शासित 5 राज्यों में हुईं। ये वो 5 राज्य हैं, जहाँ 2020 में सत्ता नहीं बदली। यहाँ भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आने के पहले से ही कॉन्ग्रेस की सरकारें हैं। ऐसा नहीं है कि इन राज्यों ने बाकियों से ज्यादा टेस्टिंग कर ली है।
‘केरल मॉडल’ कैसे फुस्स हुआ, हमें पता है। वामपंथियों ने मीडिया और अंतरराष्ट्रीय प्रोपेगेंडा मशीनरी के जरिए प्रचार किया था कि केरल में कोरोना को सबसे सटीक तरीके से नियंत्रित किया गया और वहाँ से न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया को सीख लेनी चाहिए। सच्चाई ये है कि अब तक राज्य में 11,37,591 कोरोना केससामने आ चुके हैं, जो देश में आए 1,26,86,830 मामलों का 8.96% है। इस मामले में महाराष्ट्र के बाद वह दूसरे स्थान पर है।
केरल में कोरोना के कुल 28,370 सक्रिय मामले हैं और ये इस मामले में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के बाद चौथे नंबर पर काबिज है। अर्थात, स्थिति अभी भी बहुत बेहतर नहीं है। वो भी तब, जब जनसंख्या के मामले में केरल से ऊपर देश के 12 अन्य राज्य हैं। देश में सबसे ज्यादा टेस्टिंग उत्तर प्रदेश (3.6 करोड़) और पिछड़ा माने जाने वाले बिहार (2.4 करोड़) ने की है। इसके बाद कर्नाटक (2.2 करोड़) का नंबर आता है।
इन तीनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। टेस्टिंग के मामले में झारखंड और पंजाब का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। जहाँ झारखंड में मात्र 59.7 लाख लोगों की ही कोरोना टेस्टिंग की गई है, पंजाब में ये आँकड़ा 61 लाख है। इस मामले में दोनों राज्य आसपास ही हैं। जम्मू-कश्मीर (62.5 लाख) और असम (73 लाख) जैसे राज्यों में इन राज्यों से ज्यादा टेस्टिंग हुई है। टेस्टिंग के मामले में टॉप-10 में एक ही कॉन्ग्रेस शासित राज्य है और वो है महाराष्ट्र, जहाँ स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है।
केंद्र सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि आज देश में 8.31 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो चुका है। लेकिन याद कीजिए स्वदेशी कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रम कौन फैला रहा था। जो लोग कल तक वैक्सीन को लेकर अफवाहें फैला कर इसके प्रति लोगों के मन में नकारात्मक भाव भर रहे थे, वही अब पूछ रहे हैं कि भारत ने 75 देशों को वैक्सीन देकर उनकी मदद क्यों की? ये वही छत्तीसगढ़ की सरकार है, जिसने कहा था कि वैक्सीन को लेकर जनता को सलाह देने का आत्मविश्वास उसमें नहीं है।
आज इसी छत्तीसगढ़ ने वैक्सीन की कमी बता कर केंद्र सरकार से इसकी और खेप भेजने का निवेदन किया है। जब कॉन्ग्रेस जैसी बड़ी पार्टी का मुखिया (अघोषित) और उसके नेता कोरोना जैसे त्रासदी के बीच भी नकारात्मकता फैलाते हैं तो वो भूल जाते हैं कि इसका बुरा असर उन राज्यों पर भी पड़ने वाला है, जहाँ उनकी सरकार है। जबकि पीएम मोदी ने बार-बार सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की, उनकी बातें सुनीं, सलाहों का लेन-देन हुआ और हर कुछ सप्ताह के अंतराल पर उन्हें अगले कदम के लिए विश्वास में लिया गया।
आँकड़े खुद गवाही दे रहे हैं कि दुष्प्रचार का नुकसान कॉन्ग्रेस शासित राज्यों की जनता को भुगतना पड़ रहा है, जबकि नेता तो चुनाव प्रचार और अदालत से फटकार खाने में व्यस्त हैं। पंजाब के आँकड़ों को देखते हुए ‘किसान आंदोलन’ की याद आनी स्वाभाविक है, जहाँ तबलीगी जमातियों की तरह हर नियम-कानून को धता बताया गया और कई महीनों तक अराजकता होती रही। परिणाम ये कि राज्य सक्रिय कोरोना मामलों में टॉप-5 में है।
(सभी आँकड़े खबर लिखे जाने तक उपलब्ध हुए डेटा के हिसाब से हैं। आँकड़े ‘Covid19India‘ नामक वेबसाइट से लिए गए हैं।)