NCERT के विवादित ट्रेनिंग मैनुएल के समर्थन में बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर ने आवाज उठाई है। उन्होंने #yesweexist हैशटैग के साथ मैनुएल बनाने वालों में से एक विक्रमादित्य सहाय के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे ऑनलाइन अभियान पर अपनी नाराजगी दिखाई है।
अभिनेत्री ने लिखा, “पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा फाइल की गई शिकायत के कारण न केवल शिक्षकों को LGBTQIA+ मुद्दे पर संवेदनशील करने वाला एनसीईआरटी का ट्रेनिंग मैनुएल वेबसाइट से हटाया गया बल्कि उसी समय जिन्होंने मैनुएल को बनाया था- विक्रमादित्य सहाय, उनका ऑनलाइन हैरेस्मेंट हुआ। उन्हें ट्रांस्फोबिया, बॉडी शेमिंग, स्टॉकिंग, डॉक्सिंग का शिकार होना पड़ रहा है।”
अब यहाँ मालूम हो कि सोनम के दावों से उलट विक्रमादित्य, मैनुएल को लेकर हुई शिकायत के कारण ट्रोल नहीं हुए हैं बल्कि उनके पोस्ट जो उन्होंने हिंदुओं पर और पुरुषों पर किए थे, उसके कारण उन्हें सोशल मीडिया पर घेरा जा रहा है। रही बात डॉक्सिंग की तो, विक्रमादित्य की सारी जानकारी सोशल मीडिया पर पहले से मौजूद हैं और पब्लिक उसे एक्सेस कर सकती है। यही वजह है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर जो सेमी न्यूड फोटोज डाली थीं, वो इंस्टा पर वायरल हुईं और लोगों ने सवाल किया कि जो लोग ऐसे पोस्ट कर सकते हैं वो शिक्षा के तरीके बताएँगे।
अब मैनुएल के सामने आने के बाद हुई आलोचना को सोनम कपूर ने ट्रांस्फोबिया करार दिया और इसके बाद एक और पोस्ट किया जिसमें उन्होंने मैनुएल का लिंक उपलब्ध करवाया, साथ ही ये भी बताया कि ये 115 पेज का है इसलिए लोड होने में समय ले सकता है।
यहाँ बता दें कि इस मैनुएल को बनाने वाले विक्रमादित्य सहाय के पोस्ट जब सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो इसपर कई लोगों ने सवाल किया। ऐसे में कुछ वोक एक्टिविस्ट उभर कर आए और उन्होंने सवाल करने वालों को टारगेट करना शुरू किया। ऑपइंडिया पत्रकार @YearOfTheKraken भी इसी क्रम में निशाना बनाए गए। उनपर बॉडीशेमिंग और विक्रम के खिलाफ ट्रोलिंग अभियान चलाने का इल्जाम लगाया गया।
बता दें कि नेशनल काउंसिल ऑफ एड्युकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) द्वारा जेंडर और ट्रांसजेंडर विषय पर शिक्षकों के लिए एक ट्रेनिंग मैनुएल जारी किया गया था। 115 पेज का मैनुएल कई शिक्षकों और बाहरी टीम के लोगों ने मिलकर तैयार किया था। मैनुएल की विवादित बातें ये थीं कि इसमें इसमें ट्रांस्जेंडर्स के साथ होते भेदभाव के पीछे ये कारण दिया गया था कि स्कूलों में जो अलग-अलग शौचालय बनाए जाते हैं उससे ये लिंग भेद बढ़ता है।