चीन के वुहान से निकलने कोरोना संक्रमण ने पिछले साल पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा था। भारत फिलहाल इसकी दूसरी लहर से जूझ रहा है। वैश्विक महामारी के इस काल में भी सैन्य खर्च पर भारी इजाफा देखने को मिला है। इस दौरान कई देशों ने अपने बजट का अच्छा-खासा हिस्सा हथियार खरीदने में लगाया। यह बात स्टॉकहॉम इंटरनेशनल पीस रिसचर्स इंस्टीट्यूट (सिपरी) की रिपोर्ट से हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार 2020 में वैश्विक सैन्य खर्च बढ़कर 1981 अरब डॉलर (करीब 147 लाख करोड़ रुपए) हो गया। 2019 के मुकाबले यह 2.6% ज्यादा है। विभिन्न देश अपना सैन्य खर्च लगतार बढ़ रहे हैं। लेकिन वैश्विक महामारी के दौर में यह इजाफा चौंकाने वाला है।
Total global military expenditure rose to $1981 billion in 2020, an increase of 2.6% in real terms from 2019, according to new data published by SIPRI.
— SIPRI (@SIPRIorg) April 27, 2021
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रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक सैन्य खर्च का 62 प्रतिशत केवल 5 देश ने किया है। ये हैं: अमेरिका, चीन, भारत, रूस, और ब्रिटेन। चीन ऐसा देश है जिसके सैन्य खर्च में लगातार 26वें साल इजाफा हुआ है।
हैरानी की बात ये हैं कि वैश्विक स्तर पर सैन्य खर्च में ये इजाफा उस समय दर्ज किया गया जब जीडीपी 4.4% नीचे हुई। रिपोर्ट के अनुसार इससे जीडीपी में सैन्य खर्च की हिस्सेदारी का 2020 में वैश्विक औसत 2.4 प्रतिशत तक पहुँच गया, जो 2019 में 2.2 प्रतिशत था।
चिली और साउथ कोरिया ऐसे देश हैं जिन्होंने अपने सैन्य खर्च का हिस्सा महामारी से निपटने में खर्च किया। ब्राजील, रूस ने 2020 के मुकाबले अपने प्रारंभिक सैन्य बजटों की तुलना में इस बार काफी कम खर्च किया है।
सिपरी के शस्त्र और सैन्य खर्च कार्यक्रम के रिसर्चर डिएगो लोपेस द सिल्वा के मुताबिक, “हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि साल 2020 में महामारी का महत्वपूर्ण प्रभाव सैन्य खर्च पर नहीं पड़ा।” वह आगे कहते हैं, “यह देखने लायक होगा कि क्या देश महामारी के दूसरे साल भी इस तरह से सैन्य खर्च को बनाए रखते हैं।”
किस देश ने किया कितना खर्च?
सिपरी के मुताबिक भारत का सैन्य खर्च 2020 में 2019 की तुलना में 2% ज्यादा रहा। इसके पीछे भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा विवाद और तनाव हो सकता है। भारत ने 72.9 अरब डॉलर (₹5.39 लाख करोड़), रूस ने 61.7 अरब डॉलर (करीब ₹4.56 लाख करोड़) और ब्रिटेन ने 59.2 अरब डॉलर (₹4.38 लाख करोड़) खर्च किए। सबसे ज्यादा खर्च अमेरिका ने किए हैं।
7 साल तक लगातार इस खर्च में कमी के बाद अमेरिका सैन्य खर्च लगातार तीन सालों से बढ़ रहा है। रिपोर्ट बताती है कि 2020 में अमेरिका ने कुल सैन्य खर्च का 39 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया। इससे अमेरिकी सैन्य खर्च अनुमानित 778 अरब डॉलर (करीब ₹57 लाख करोड़) तक पहुँच गया है। 2019 की तुलना में इसमें 4.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
वहीं चीन के सैन्य खर्च में 1.9 फीसदी का इजाफा हुआ है। उसने 2020 में 252 अरब डॉलर (करीब ₹18. 64 लाख करोड़) खर्च किए। दशक भर में उसका सैन्य खर्च 76 फीसदी बढ़ा है।
सिपरी के मुताबिक पिछले साल नॉटोनॉटोनॉटो(नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन) के सभी सदस्यों पर सैन्य बोझ बढ़ा। नतीजन, नाटो के 12 सदस्यों ने अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत या उससे अधिक खर्च रक्षा पर किया। 2019 में सिर्फ 9 सदस्यों का खर्च लक्ष्य के भीतर था। उदाहरण के लिए, फ्रांस, वैश्विक स्तर पर 8 वाँ सबसे बड़ा देश है, जिसने 2009 के बाद पहली बार 2 प्रतिशत की सीमा पार की।
क्या है SIPRI?
बता दें कि SIPRI एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है। इसकी स्थापना 1966 में हुई थी। यह संस्था युद्धों तथा संघर्ष, युद्धक सामग्रियों, हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण के क्षेत्र में शोध का कार्य करती है और नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और इच्छुक लोगों को आँकड़ों का विश्लेषण और सुझाव उपलब्ध कराती है।
इसका मुख्यालय स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में है। इसे विश्व के सर्वाधिक सम्मानित थिंक टैंकों की सूची में शामिल किया जाता है। इसका डेटाबेस हर वर्ष अपडेट होता है। हाल में आए आँकड़े इस साइट (https://www.sipri.org) पर क्लिक करके देख सकते हैं।
नोट: इस साइट पर सैन्य खर्च (Military expenditure) का मतलब, वर्तमान सैन्य बलों और गतिविधियों पर सभी सरकारी खर्चों को संदर्भित करता है। इसमें वेतन और लाभ, परिचालन व्यय, हथियार और उपकरण खरीद, सैन्य निर्माण, अनुसंधान और विकास, केंद्रीय प्रशासन, कमान और समर्थन शामिल हैं। SIPRI सैन्य खर्च को केवल हथियारों पर होने वाला खर्च नहीं बताता, बल्कि उनके अनुसार, हथियार खरीद इसका एक हिस्सा है।