Sunday, April 28, 2024
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‘कृषि से जुड़े अपने प्राचीन ज्ञान को फिर से सीखने की जरूरत है’: PM मोदी ने कहा- किसान प्राकृतिक खेती अपनाएँ, इसमें लागत कम

पीएम मोदी ने कहा, कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति को जन्म दिया, लेकिन यह भी सच है कि हमें विकल्पों पर काम करते रहना होगा। इसका मुख्य कारण यह है कि हमें दूसरे देशों से फर्टिलाइजर आयात करना पड़ता है, जिससे खेती की लागत बढ़ जाती है। इसलिए, (प्राकृतिक खेती के बारे में) जागरूक होने की आवश्यकता है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (16 दिसंबर 2021) को कहा कि किसानों के हित में और उनकी आय को बढ़ाने के लिए सरकार ने पिछले सात वर्षों में कई कदम उठाए हैं। आय में वृद्धि के लिए पीएम मोदी ने किसानों से प्राकृतिक कृषि अपनाने का सुझाव दिया और कहा कि इससे लागत में कमी है। उन्होंने प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए राज्य सरकारों से भी आग्रह किया।

पीएम मोदी ने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति को जन्म दिया, लेकिन यह भी सच है कि हमें विकल्पों पर काम करते रहना होगा। इसका मुख्य कारण यह है कि हमें दूसरे देशों से फर्टिलाइजर आयात करना पड़ता है, जिससे खेती की लागत बढ़ जाती है। इसलिए, (प्राकृतिक खेती के बारे में) जागरूक होने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा कि खेती को केमिस्ट्री लैब से निकालकर प्रकृति के लैब से जोड़ा जाना चाहिए। उर्वरक के पास जो भी शक्ति है, वह प्रकृति में भी पाई जा सकती है। हमें बस इसका पता लगाना है। पीएम ने कहा, “नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी।”

उन्होंने कहा, “एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी, जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का इतिहास साक्षी है।”

इसके साथ ही पीएम ने कहा, “कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब में तराशने की भी जरूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में डालना होगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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