भारत की अध्यक्षता में G20 समिट के पहले दिन ‘ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस’ बनाने की घोषणा की गई। इसका उद्देश्य बायोफ्यूल्स के विकास और उपयोग को बढ़ावा देना है। G20 समिट के पहले दिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की उपस्थिति में पीएम मोदी ने ‘ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस’ की घोषणा करते हुए इसे ‘ऐतिहासिक क्षण’ बताया।
वर्तमान में इसमें 19 सदस्य देश शामिल हैं। इस एलायंस को काफी महत्वपूर्ण समझा जा रहा है। इसलिए सबसे पहले यही जान लेते हैं कि आखिर ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस करेगा क्या और क्यों इसकी स्थापना की गई है।
ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस के प्रमुख लक्ष्य
- 1-बायोफ्यूल्स के लिए एक अनुकूल नीतिगत माहौल बनाना
- 2-बायोफ्यूल्स के विकास और उपयोग के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना
- 3-बायोफ्यूल्स के उत्पादन और उपयोग के लिए बाजारों को बढ़ावा देना
- 4-बायोफ्यूल्स के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों का आकलन करना
‘ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस‘ के सदस्य देश बायोफ्यूल्स के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे। सभी देश बायोफ्यूल्स के लिए नीतिगत समर्थन के साथ ही तकनीकी भी साझा करेंगे। इन देशों में बायोफ्यूल्स के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने पर व्यापक रूप से सहमति बनी है।
‘ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस’ के सदस्य देशों में शामिल हैं: ब्राजील, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चिली, चीन, कोलंबिया, इंडोनेशिया, इटली, मेक्सिको, नॉर्वे, पेरू, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और युगांडा।
‘ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस’ को बायोफ्यूल्स के विकास और उपयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखा जा रहा है। इस एलायंस से बायोफ्यूल्स के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलेगी।
क्या होता है बायोफ्यूल्स
बायोफ्यूल्स को जैव-द्रव, जैव-ईंधन या जैव-ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है। बायोफ्यूल्स प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं और जीवाश्म ईंधन, जैसे कोयला, तेल और गैस के विकल्प होते हैं। बायोफ्यूल्स का उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिसमें परिवहन, बिजली उत्पादन, हीटिंग और खाना पकाना शामिल है। बायोफ्यूल्स जीवाश्म ईंधन की तुलना में कई लाभ प्रदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- 1-बायोफ्यूल्स कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद कर सकता है।
- 2-बायोफ्यूल्स अपेक्षाकृत नवीकरणीय हैं, जिसका अर्थ है कि वो लंबे समय तक उपलब्ध रहने वाले हैं।
- 3-बायोफ्यूल्स स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
बायोफ्यूल्स में कुछ खामियाँ भी हो सकती हैं –
वे अक्सर जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक महँगे होते हैं।
उनके उत्पादन से कभी-कभी पर्यावरणीय समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे कि मिट्टी का क्षरण और ज़्यादा पानी का उपयोग।
बायोफ्यूल्स का उत्पादन विभिन्न प्रकार के जैव-द्रव्य पदार्थों से किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
फसल जैसे गन्ना, मक्का और सोयाबीन
पशु अपशिष्ट
कचरा
खाद्य अपशिष्ट
बायोफ्यूल्स को कई अलग-अलग तरीकों से बनाया जा सकता है। सबसे आम तरीकों में शामिल हैं:
एथेनॉल का उत्पादन, जो गन्ने, मक्का और अन्य फसलों से बनाया जा सकता है।
बायोडीजल का उत्पादन, जो तेल बीजों या पशु वसा से बनाया जा सकता है।
बायोगैस का उत्पादन, जो फसलों के अपशिष्ट, पशु अपशिष्ट और अन्य जैविक पदार्थों से बनाया जा सकता है।
बायो-हाइड्रोजन का उत्पादन, जो जीवाणुओं के माध्यम से पानी से किया जा सकता है।
बायोफ्यूल्स एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत बनने की क्षमता रखते हैं। वे जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद कर सकते हैं।