मुंबई आतंकी हमले (26/11) में अपनी शहादत देकर आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़वाने वाले बलिदानी तुकाराम ओंबले को जीव वैज्ञानिकों ने विशेष सम्मान दिया है। महाराष्ट्र में हाल ही मिली मकड़ी की दो नई प्रजातियों में से एक का नाम आइसियस तुकारामी (Icius Tukarami) दिवंगत पूर्व सहायक उप निरीक्षक (ASI) तुकाराम ओंबले के नाम पर रखा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहली बार इस नाम का उपयोग मकड़ियों की खोज करने वाले शोधकर्ताओं की टीम ने एक शोध पत्र में किया है। इस शोध पत्र का उद्देश्य महाराष्ट्र में मिली मकड़ी की दो नई प्रजातियों जेनेरा फिनटेला और आइसियस से दुनिया को अवगत कराना था।
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— Dhruv Prajapati (@Dhruv_spidy) June 27, 2021
Join me to introduce 2 new species of jumping spiders from Maharastra, India!
One species is dedicated to ASI Tukaram Omble, who coughed terrorist Kasab alive and took 23 bullets.
Presenting Icius tukarami from Thane, Maharashtra.@MumbaiPolice @arunbothra @ipskabra @IndiAves pic.twitter.com/CmirKBbmcL
शोधकर्ताओं का कहना है कि इनमें से एक मकड़ी का नाम आइसियस तुकारामी उन्होंने मुंबई अटैक के हीरो तुकाराम ओंबले के नाम पर रखा है। उन्होंने आगे कहा कि ओंबले ने अपनी जान की परवाह किए बिना 23 गोलियाँ खाने के बाद भी आतंकी अजमल कसाब को जिंदा धर दबोचने में अहम भूमिका निभाई थी।
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— Dhruv Prajapati (@Dhruv_spidy) June 27, 2021
Second new species is Phintella cholkei, in remembrance of friend Kamlesh Cholke.
This species is distributed in Thane and Aarey Milk Colony in Mumbai.#TwitterNatureCommunity #WorldofWilds #Luv4Wilds @spiderdayNight #NewDiscoveries pic.twitter.com/haBWfLA7iy
निहत्थे पकड़ा एके-47 का बैरल
गौरतलब है कि 27 नवंबर की रात जब ओंबले का गिरगाँव चौपाटी पर अजमल कसाब से सामना हुआ, तब वह पूरी तरह निहत्थे थे। यह जानने के बावजूद कि सामने वाले के हाथों में एके-47 है, वह अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकी पर टूट पड़े। अपने हाथों से उसकी एके-47 का बैरल पकड़ लिया। ट्रिगर दबा और पल भर में कई गोलियाँ चलीं और ओंबले मौके पर ही बलिदानी हो गए। इसके पहले अजमल कसाब और उसके साथी आतंकी इस्माइल खान ने छत्रपती शिवाजी टर्मिनल और कामा अस्पताल को अपना निशाना बनाया था।
दरअसल, ओंबले से पहले उनके गाँव से कोई भी व्यक्ति पुलिस का हिस्सा नहीं बना था, लेकिन उनके शहीद होने के बाद 13 युवा पुलिस में भर्ती हुए। मुंबई से 284 किलोमीटर दूर, महज 250 परिवारों का गाँव, केदाम्बे। इस गाँव के लिए देश के लिहाज से तीन तिथियाँ सबसे अहम हैं – पहली 15 अगस्त, दूसरी 26 जनवरी और तीसरी 26 नवंबर।
बलिदान होने के बाद हुए थे अशोक चक्र से सम्मानित
बलिदानी होने के उपरांत तुकाराम को बहादुरी के लिए अशोक चक्र पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। तुकाराम की याद में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने लिखा है, ”ओंबले के ही कारण कसाब को पकड़ा गया। उन्होंने जो किया उससे ही लश्कर-ए-तैयबा की साजिश को नाकाम किया जा सका।” इसके अलावा गिरगाँव चौपाटी पर जिस जगह तुकाराम वीरगति को प्राप्त हुए थे, वहाँ उनकी प्रतिमा भी लगाई गई है और उसे प्रेरणा स्थल का नाम दिया गया है।