केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में आम लोगों की सुविधा की दृष्टि से कई बड़े कदम उठा रही है। इसी कड़ी में घाटी के गांदरबल जिले में 100 बेड का छात्रावास (महिला) बनाया जा रहा है। इस छात्रावास के निर्माण का उद्देश्य जनजातीय समुदाय से आने वाले छात्राओं को सुविधा प्रदान कराना है, जो पढ़ाई के लिए सुदूर क्षेत्रों से आती हैं।
इस प्रोजेक्ट से दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाली छात्राओं (विशेष रूप से गुज्जर और बकरवाल समुदाय की छात्राएँ) को बड़ा लाभ होगा, जो शहरों में ठहरने का खर्च नहीं उठा सकती हैं। यह नया छात्रावास केंद्र सरकार की राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत बनाया जा रहा है। जम्मू कश्मीर प्रशासन का सड़क और इमारत विभाग इस परियोजना को क्रियान्वित कर रहा है।
परियोजना के अभियंता इश्फ़ाक रथर ने इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया, “यह छात्रावास दो तल का होगा, जिसे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान ने पारित किया है। छात्रावास का निर्माण 306 लाख रुपए की लागत से 597 स्क्वायर मीटर की जगह में किया जाएगा। हर तल पर वाशरूम की सुविधा है, इसके अलावा वार्डेन के लिए अलग कमरा और चिकित्सा कक्ष भी मौजूद होगा।”
इसके बाद उन्होंने बताया कि छात्रावास का लगभग 80 फ़ीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जिसमें इमारत का ढाँचा और आकार शामिल हैं। निर्माण के बाद सिर्फ सजावट और सफाई का कार्य बचा हुआ है। कुछ महीनों में वह भी पूरा हो जाने की उम्मीद है। इसके बाद वुसान और छत्तरगुल की छात्राएँ अगले साल के मार्च महीने से यहाँ पढ़ने के लिए आ सकती हैं। वहाँ के स्थानीय लोगों ने इस कार्य की सराहना की है और कहा है इससे छात्राओं को काफी बड़े पैमाने पर मदद मिलेगी।
मुजफ्फर अहमद नाम के स्थानीय निवासी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “सुदूर क्षेत्रों से आने वाली छात्राएँ कई किलोमीटर की दूरी तय करके अपने शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने के लिए आती हैं। सरकार की तरफ से उठाया गया यह कदम सराहनीय है, इसकी वजह से लड़कियाँ पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित कर पाएँगी।”
इसके अलावा आसिफ अहमद नाम के स्थानीय छात्र ने भी इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा। उसने कहा कि सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है, गुज्जर और बकरवाल समुदाय से आने वाली तमाम लड़कियों को इस कदम से लाभ होगा।
इसके बाद अहमद ने कहा कि छात्राओं को अपनी पढ़ाई के लिए घंटों की यात्रा करनी पड़ती थी और ठंड के वक्त में अंधेरा हो जाने की वजह से सबसे ज़्यादा प्रभाव लड़कियों पर ही पड़ता था। इसकी वजह से बहुत सी लड़कियों को अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी थी। 100 बेड का हॉस्टल छात्राओं के लिए मददगार साबित होगा और इससे गुज्जर-बकरवाल समुदाय के लोगों का विकास होगा।”