इधर दिल्ली के निजामुद्दीन का मामला थमा भी नहीं था कि उधर राजस्थान में एक दरगाह पर 100 लोग दुआ करने के लिए जुट गए। अजमेर के सरवाड स्थित एक दरगाह के पास मंगलवार (मार्च 31, 2020) को बड़ी संख्या में लोग दुआ पढ़ने के लिए जुट गए, जिन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस को बल-प्रयोग करना पड़ा। पूरे देश में अभी लॉकडाउन चल रहा है और कहीं भी किसी भी धार्मिक, समाजिक या फिर राजनीतिक आयोजन या भीड़ जुटाने की अनुमति नहीं है।
पुलिस ने इस मामले में 3 लोगों को गिरफ़्तार भी किया है। उन सब पर लॉकडाउन की अवहेलना करने का आरोप लगाया गया है। सरवाड स्थित ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती दरगाह पर हरेक साल चादर चढ़ाए जाने की परंपरा रही है। जहाँ हर राज्य की पुलिस अपने-अपने प्रदेशों में ये पता करने में जुटी है कि वहाँ कोई ऐसा व्यक्ति तो नहीं जिसने निजामुदीन में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शिरकत की हो- राजस्थान में इस तरह से भीड़ जुटना वहाँ की पुलिस के लिए नया सिरदर्द बन गया है।
पुलिस ने बताया कि अजमेर में चादर चढ़ाने के लिए 5 लोगों को अनुमति दी गई थी लेकिन वहाँ भारी भीड़ जुटा ली गई। जब पुलिस ने वहाँ जुटी भीड़ को हटने को कहा और कोरोना से बचाव के लिए हुए लॉकडाउन की याद दिलाई तो लोग उलटा पुलिस के साथ ही भिड़ गए। पुलिस से वहाँ उपस्थित समुदाय विशेष के लोग झड़प करने लगे। इसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज कर के लोगों को वहाँ से भगाना पड़ा। जमालुद्दीन अंसारी, हुसैन ख़ान, सैयद नवाब कुरैशी, मोहम्मद मिराज शेख और अजहरुद्दीन शेख समेत अन्य लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है। इन सब पर राजस्थान एपिडेमिक डिजीजेज एक्ट लगाया गया है।
अजमेर के एसपी कुँवर राष्ट्रदीप ने बताया कि दरगाह की दीवार फाँद-फाँद कर लोग जबरदस्ती अंदर घुस गए थे। बुधवार को मोईनुद्दीन चिश्ती की छठी की दुआ के लिए अनुमति दे दी गई है लेकिन भीड़ नहीं जुटने दी जाएगी। अंजुमन सदर सैयद मोईन हुसैन चिश्ती ने बताया कि इस बार छठी की रस्म के साथ-साथ विशेष दुआ भी माँगी जाएगी, ताकि जल्द से जल्द कोरोना वायरस संक्रमण आपदा का खात्मा हो।