केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार पर बड़ी चोट की है। सरकार ने 21 भ्रष्ट अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। भ्रष्टाचार में फँसे इन 21 अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए इन अधिकारियों की जबरन सेवानिवृत्ति करवा इन्हें सेवा से मुक्त कर दिया है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी के अनुसार ग्रुप बी के 21 ऐसे अधिकारियों को केंद्र सरकार की नियमावली के नियम 56(जे) के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेजा जा रहा है जोकि भ्रष्टाचार या सीबीआई की इन्क्वारी में फँसे हुए हैं अथवा जिन पर जाँच चल रही है।
बता दें कि यह पाँचवाँ राउंड है, जब सरकार द्वारा भ्रष्ट टैक्स अधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही सेवा से मुक्त किए गए अधिकारियों की संख्या 85 हो जाएगी, जिनमें 64 टैक्स अधिकारी टॉप ग्रेड से हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों की खबर है कि इस मामले राउंड में मुंबई के ऑफिस से तीन, पास के ही ठाणे जिले से दो टैक्स अफसर शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुंबई और ठाणे के अलावा सेवानिवृत्ति पर भेजे गए अधिकारियों में विशाखापटनम, हैदराबाद, राजमुंदरी, झारखंड के हजारीबाग, महाराष्ट्र के नागपुर, गुजरात के राजकोट, राजस्थान के माधोपुर, बीकानेर, जोधपुर तथा मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल के अधिकारी भी इस लिस्ट शामिल हैं।
बता दें कि सरकार के इस फैसले को प्रधानमंत्री मोदी के उस कथन से जोड़कर देखा जा रहा है जो उन्होंने लाल किले की प्राचीर से कहा था। पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि “कुछ काले भेड़ प्रशासन में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं और करदाताओं को परेशान किया जाता रहा है, ऐसे अधिकारियों पर हम कार्रवाई कर उन्हें दंडित करेंगे।”
आधे से ज्यादा टैक्स अधिकारियों को सीबीआई ने रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनमें से एक को तो रंगे हाथ पचास हज़ार की घूस लेते हुए पकड़ा गया था। इससे पहले जून और अगस्त में भी कई अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था। इन अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। इनमें रिश्वत की लेन देन से लेकर क्रिमिनल कांस्पीरेसी जैसे आरोप शामिल थे।