उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्म पाल सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा हाल ही में किए गए सर्वे से पता चला है कि राज्य में 7500 से अधिक मदरसे बिना मान्यता के चलाए जा रहे थे। सरकार द्वारा निर्धारित की गई शर्तों को पूरा करने वाले गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता देने के लिए यह सर्वेक्षण किया जा रहा है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा है कि जितने भी मदरसे गैर-मान्यता प्राप्त पाए गए हैं उनको लेकर अब एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति फैसला करेगी।
गौरतलब है कि सभी जिलाधिकारी आगामी 15 नवंबर तक मदरसों के सर्वे को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपेगें। इसके बाद ही गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की अंतिम सूची जारी की जाएगी।
Nearly 7,500 madrasas found running without recognition in survey conducted by Uttar Pradesh govt, says minister Dharm Pal Singh
— Press Trust of India (@PTI_News) October 29, 2022
इस मामले में, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा है कि गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों को लेकर सटीक संख्या सामने आने में अभी समय लगेगा। हालाँकि, अनुमान के हिसाब से लगभग 7500 ऐसे मदरसे हैं, जिनका सर्वे गुरुवार (27 अक्टूबर, 2022) तक 75 जिलों की टीमों द्वारा किया गया था।
उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में 16,513 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें से 560 को शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को वेतन के रूप में सरकारी अनुदान दिया जा रहा था। 560 मदरसों के शिक्षण कर्मचारियों का वेतनमान केंद्र सरकार के स्कूलों के समान है।”
उल्लेखनीय है कि मदरसा आधुनिकीकरण योजनाके तहत 744 मदरसों को शिक्षा मित्र के लिए अनुदान दिया जाता है। साथ ही सभी मान्यता प्राप्त मदरसों के मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति भी प्रदान किया जाता है।
मदरसों को उचित कक्षाओं, छात्रों के लिए फर्नीचर, पीने का पानी, पंखे, लाइट, शौचालय और अन्य ऐसे ही बुनियादी सुविधाओं व सरकार द्वारा अनिवार्य मानदंडों को पूरा करने के लिए अनुदान दिया जा रहा था। मदरसे शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी दोनों के वेतन के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, गोरखपुर में 150, लखनऊ, आजमगढ़, वाराणसी और मऊ में 100, अलीगढ़ में 90, कानपुर में 85, प्रयागराज में 70 और आगरा में 35 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 सितंबर को घोषणा की थी कि वह राज्य के गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराएगी ताकि शिक्षकों और छात्रों के विवरण, पाठ्यक्रम और किसी भी गैर-सरकारी संगठन से इसकी संबद्धता जैसी जानकारी का पता लगाया जा सके।
अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा था कि यह सर्वे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाएगा। जिसमें, छात्रों को प्रदान की जाने वाली बुनियादी सुविधाओं की जाँच की जाएगी। मंत्री ने आगे कहा था कि इस सर्वे से मदरसे का नाम और इसे चलाने वाली संस्था का नाम, चाहे वह निजी या किराए के भवन में चलाया जाता हो और पीने का पानी, फर्नीचर, बिजली तथा शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में मदद मिलेगी।