पालघर भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामले में गिरफ्तार किए गए 89 लोगों को ठाणे की एक अदालत ने शनिवार (जनवरी 16, 2021) को जमानत दे दी। अदालत ने सभी 89 लोगों पर जमानत के लिए 15 हजार रुपए की राशि जमा कराने का निर्देश दिया है। अदालत ने इन्हें इस आधार पर जमानत दी कि ये लोग केवल घटनास्थल पर मौजूद थे।
Palghar mob lynching case: A Thane court grants bail to 89 people arrested in the case. on a surety of Rs 15,000 each. These 89 people were granted bail on the grounds that they were simply present at the spot, at the time of the incident.
— ANI (@ANI) January 16, 2021
गौरतलब है कि 16 अप्रैल 2020 को जूना अखाड़े से जुड़े दो साधु 70 वर्षीय कल्पवृक्ष गिरि महाराज और 35 वर्षीय सुशील गिरि महाराज अपने ड्राइवर 30 वर्षीय नीलेश तेलगेडे के साथ एक अन्य साधु के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई से गुजरात जा रहे थे। इसी बीच पालघर जिले के गढ़चिंचले गाँव के 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने इकठ्ठा होकर साधुओं पर हमला किर दिया था। इस दौरान भीड़ ने दोनों साधुओं के साथ उनके एक ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।
इस मामले की जाँच के लिए एक स्वतंत्र फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी का गठन किया गया था। कमिटी ने साधुओं की मॉब लिंचिंग को लेकर चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा है कि इसके पीछे गहरी साजिश थी। साथ ही इस घटना के तार नक्सलियों से भी जुड़ रहे हैं। कमिटी ने यह भी पाया है कि वहाँ उपस्थित पुलिसकर्मी अगर चाहते तो इस हत्याकांड को रोक सकते थे लेकिन उन्होंने हिंसा की साजिश में शामिल होने का रास्ता चुना।
फैक्ट-फाइंडिंग पैनल के सदस्य संतोष जनाठे (Santosh Jnathe) ने दावा किया था कि एक एनसीपी नेता को उस भीड़ के बीच देखा गया था, जो पालघर में साधुओं की लिंचिंग की घटना में शामिल थे। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जिस NCP नेता को इस भीड़ हिंसा के बीच पाया है, उसका नाम काशीनाथ चौधरी बताया गया।
काशीनाथ चौधरी शरद पवार की ‘नेशनलिस्ट कॉन्ग्रेस पार्टी’ का जिला सदस्य हैं। उन पर आरोप लगे कि साधुओं की लिंचिंग कर उनकी निर्मम हत्या करने वाली भीड़ में वामपंथी पार्टी सीपीएम के पंचायत सदस्य व उसके साथ विष्णु पातरा, सुभाष भावर और धर्मा भावर भी शामिल थे।
फैक्ट फाइंडिंग समिति पहले भी इस निष्कर्ष पर पहुँच चुकी है कि क्षेत्र में काम करने वाले वामपंथी संगठन आदिवासियों के मन में सरकार और हिंदू धर्म गुरुओं, साधुओं और सन्यासियों के खिलाफ नफरत पैदा कर रहे हैं।