खुद को धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी बताने वाला कैम्प की पहचान दिखावटी घमंड और मूर्खता है। मानवाधिकार कार्यकर्ता आकार पटेल भी इसी समूह से आते हैं। अमिताभ बच्चन के कोरोना पॉजिटिव होने की ख़बर आने के बाद हर कोई चाहे वह उनका प्रशंसक हो या न हो, उनकी सलामती की दुआएँ कर रहा। लेकिन आकार पटेल जैसे लोग भी हैं, जिनकी न तो मानसिकता आम है और न ही तौर-तरीके।
आम इंसानों से ठीक विपरीत रवैया अपनाते हुए आकार पटेल ने खबर सुनते ही अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों के लिए नफ़रत फैलाना शुरू कर दिया। पटेल के मुताबिक़ यह 3 हस्तियाँ साबित करती हैं कि ‘पैसे से क्लास नहीं आता।’ अपनी विकृत मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए आकार ने तीनों को ‘मिडिल क्लास ऑपोरच्युनिस्ट’ (मध्यमवर्गीय अवसरवादी) भी कहा।
अपनी बात के अगले हिस्से में आकार पटेल ने कहा इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि ‘तीनों लोग (अमिताभ, अक्षय, सचिन) कितने पैसे कमाते हैं। यह छोटे ही रहने वाले हैं, इनकी मानसिकता कुएँ के मेढक जैसी ही है।’ हकीक़त कुछ और ही है। तीनों का संघर्ष और परिश्रम दुनिया ने देखा है, पूरे देश और दुनिया में लोग इन्हें पसंद करते हैं। ऐसे में आकार पटेल जैसे व्यक्ति की बात का क्या ही अर्थ निकलता है।
मेहनत करके अपना नाम कमाने वाले लोगों के लिए जिस तरह का नज़रिया पश्चिमी देशों के रईस रखते थे, ठीक उस तरह की मानसिकता आकार पटेल की भी है। आकार पटेल के पास भले अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और सचिन तेंदुलकर की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन फिर भी वह उन्हें अवसरवादी मानता है। आकार पटेल की मानें तो तीनों लोग जिन्होंने इतनी मशक्कत के बाद इतना सम्मान, पैसा और प्यार कमाया है, वह इसके हक़दार नहीं हैं।
आकार पटेल की नज़रों में सब अवसरवादी हैं क्योंकि वह किसी रईस के सामने झुके नहीं। जबकि हम तीनों के जीवन पर ध्यान दें तो सभी ने बिलकुल शुरुआत से संघर्ष किया है। अमिताभ बच्चन के पिता स्व. हरिवंश राय बच्चन उस ज़माने के मशहूर कवि थे फिर भी उन्होंने अपने हिस्से का संघर्ष पूरा किया। सचिन तेंदुलकर और अक्षय कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, दोनों ने ही अपने जीवन में हर तरह के हालातों का सामना किया है। आज की तारीख़ में देश का कोई भी नया क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर जैसा बनने का सपना रखता है।
खैर आकार पटेल जैसे लोगों के लिए परिश्रम शब्द के मायने समझना ज़रा कठिन है। उन्हें वाकई इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि जीवन में जिस तरह हर बड़ा इंसान कुछ हासिल करता है, उसके लिए वह कितनी कीमत चुकाता है। आकार पटेल को इस बात से बहुत घृणा है कि सचिन तेंदुलकर जैसे लोग अपने जीवन में अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते हैं। लेकिन आकार पटेल जैसे लोगों की दिक्कत किसी और बात से नहीं बल्कि इस बात से है कि सचिन ब्राह्मण जाति से आते हैं। उनके मुताबिक़ सचिन ने जीवन में संघर्ष नहीं किया, बल्कि अपनी जाति की वजह से उन्होंने इतना कुछ हासिल किया है।
वोक कैम्प और आकार पटेल जैसे लोग हर सफल ब्राह्मण से नफ़रत करते हैं। ठीक इसी तरह अक्षय कुमार ने भी करियर की शुरुआत बेहद निचले पायदान से की है और आज जहाँ हैं उसके लिए बहुत संघर्ष किया है। आज वह बॉलीवुड के सबसे हुनरमंद कलाकार के तौर पर पहचाने जाते हैं लेकिन अक्षय का कसूर यह है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना कर दी। इसके बाद वह संभ्रांत वामपंथी समूह के निशाने पर आ गए।
सिर्फ़ यही 3 लोग नहीं बल्कि वोक और आकार पटेल की निगाह में हर वह इंसान दोषी है जिसने अपने जीवन में मेहनत की है। आज का वामपंथ असल में केवल रईसों की नुमाइंदगी करता है, ऐसा वर्ग जिसके लिए संघर्ष शब्द का कोई ख़ास मतलब नहीं होता है। वह ऐसे परिवारों में पले होते हैं जहां उन्हें सब कुछ अपने आप मिलता है। उन्हें अपनी बुनियादी ज़रूरतों और अधिकारों के लिए लड़ना नहीं पड़ता है। इनकी मंशा केवल यहीं तक सीमित है कि शक्ति और धन केवल उच्च वर्ग के लोगों तक सीमित रहे। समाज की अंतिम पंक्ति से आने वाला व्यक्ति कभी समाज में अपना नाम न बना पाए।