Saturday, June 14, 2025
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‘WhatsApp ग्रुप में मैसेज के लिए एडमिन जिम्मेदार नहीं’: केरल हाईकोर्ट ने कहा- एडमिन और सदस्यों के बीच मालिक-नौकर का संबंध नहीं

न्यायालय मार्च 2020 के एक मामले में सुनवाई कर रहा था, जिसमें फ्रेंड्स नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक ग्रुप मेंबर द्वारा बच्चों के अश्लील वीडियो शेयर कर दिए गए थे। इसमें ग्रुप के को-एडमिन को भी पुलिस ने आरोपित बनाया गया था।

केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने बुधवार (23 फरवरी) को एक फैसले में कहा है कि व्हाट्सएप ग्रुप में किसी अन्य सदस्य द्वारा आपत्तिजनक मैसेज भेजने पर ग्रुप एडमिन सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं माना जाएगा। न्यायालय के अनुसार, ग्रुप एडिमन का अधिकार किसी को सदस्य के रूप में जोड़ने या निकालने तक सीमित है। किसी के द्वारा उसमें क्या पोस्ट किया जा रहा है, ये एडमिन के नियंत्रण से बाहर है।

दरअसल, न्यायालय मार्च 2020 के एक मामले में सुनवाई कर रहा था, जिसमें फ्रेंड्स नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक ग्रुप मेंबर द्वारा बच्चों के अश्लील वीडियो शेयर कर दिए गए थे। इसमें ग्रुप के को-एडमिन को भी पुलिस ने आरोपित बनाया गया था। इसके बाद को-एडमिन ने केरल हाईकोर्ट की शरण ली थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में फ्रेंड्स नाम के व्हाट्सएप ग्रुप में 2 एडमिन में से एक ने बच्चों की अश्लीलता से जुड़े वीडियो शेयर किए थे। इस मामले में वीडियो शेयर करने वाले के खिलाफ पुलिस ने IT एक्ट अधिनियम, 2000 की धारा 67 बी (ए), (बी) और (डी) और यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) की धारा 13, 14 और 15 के तहत FIR दर्ज की थी। पुलिस ने दोनों एडमिन को मामले में आरोपित बनाया था।

न्यायाधीश ने आगे कहा, “ऐसा कोई भी कानून नहीं है, जिसके तहत एडमिन को किसी अन्य सदस्य द्वारा भेजे गए मैसेज का जिम्मेदार ठहराया जा सके। एडमिन किसी संदेश को प्राप्त या प्रसारित नहीं करता। संदेश भेजने वाले और एडमिन के बीच कोई मालिक-नौकर का रिश्ता नहीं होता। किसी के द्वारा भेजे गए संदेश को सेंसर करना भी एडमिन के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।”

न्यायाधीश के मुताबिक, “यह साबित नहीं हो पाया कि याचिकाकर्ता ने अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रचारित किया था। साथ ही यह भी तय नहीं हो पाया कि याचिकाकर्ता ने इसे इंटरनेट से खोजा या डाउनलोड किया हो। याचिकाकर्ता किसी अपराध में सीधे तौर पर साबित होता नहीं दिख रहा।”

इसी के साथ याचिकाकर्ता पर चल रही करवाई को निरस्त कर दिया गया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने की। याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट अनिल कुमार एम शिवरामन और सी चंद्रशेखरन ने बहस की। वहीं, सरकार की तरफ से एमके पुष्पलता ने पक्ष रखा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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