Saturday, November 16, 2024
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कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद फिर बवाल, स्कूल में गैर-ईसाई छात्रों को बाइबल पढ़ने को किया जा रहा मजबूर: हिंदू संगठन का आरोप

पूरा मामला क्लेरेंस हाई स्कूल का है जहाँ कथिततौर पर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता से पहले ही ये वादा लिया जा रहा है कि वे अपने बच्चों के बाइबिल स्कूल परिसर में ले जाने पर आपत्ति नहीं करेंगे।

कर्नाटक में एक ओर जहाँ मजहबी कट्टरता से निपटने के क्रम में पिछले दिनों हिजाब विवाद हुआ, अब उसी कर्नाटक के एक स्कूल से खबर है कि वहाँ छात्रों को बाइबल लेकर स्कूल में पढ़ने के लिए बुलवाया जा रहा है। हिंदू संगठनों ने दावा किया है कि बेंगलुरु के एक स्कूल में छात्रों के अभिभावकों से ये वादा लिया जा रहा है कि वे अपने बच्चे को बाइबल के साथ स्कूल भेजें। संगठन आरोप लगा रहे हैं कि स्कूल प्रशासन गैर ईसाई छात्रों को भी बाइबल पढ़ने पर मजबूर कर रहा है।

पूरा मामला क्लेरेंस हाई स्कूल का है जहाँ कथिततौर पर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता से पहले ही अंडरटेकिंग ली जा रही है कि वे अपने बच्चों के बाइबल स्कूल परिसर में ले जाने पर आपत्ति नहीं करेंगे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू जनजागृति समिति के राज्य प्रवक्ता मोहन गौड़ा ने इस मामले को लेकर दावा किया है कि स्कूल में गैर-ईसाई छात्रों को बाइबल पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। समूह का कहना है कि स्कूल में गैर-ईसाई छात्र भी हैं लेकिन स्कूल उन्हें भी बाइबल पढ़ने के लिए मजबूर कर रहा है।

इस विवाद के उठने के बाद स्कूल प्रशासन ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि स्कूल में वह लोग बाइबल आधारित शिक्षा ही देते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, स्कूल में एंट्री के लिए भरी जाने वाले एप्लीकेशन पर क्रमांक संख्या 11 में लिखा है, “आप पुष्टि करते हैं कि आपका बच्चा अपने स्वयं के नैतिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए मॉर्निंग असेंबली स्क्रिप्चर क्लास और क्लबों सहित सभी कक्षाओं में भाग लेगा और बाइबल ले जाने पर आपत्ति नहीं करेगा।”

कर्नाटक का हिजाब विवाद

गौरतलब है कि हाल में कर्नाटक में ही हिजाब को लेकर विवाद उठा था। उस समय कॉलेज की छात्राओं ने जिद्द की थी कि वो हिजाब पहनकर क्लास में बैठना चाहती हैं जबकि प्रशासन का तर्क ये था कि स्कूल में सभी को समानता की शिक्षा दी जाती है। ऐसे में मजहबी पोशाक पहनकर क्लास में बैठना उचित नहीं है। ये मामला हाईकोर्ट में सुना गया जिसके बाद फैसला हुआ कि हर छात्र को ड्रेस कोड का पालन करना होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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